पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) एम गणपति हरिद्वार में पुलिस व्यवस्था से खासे नाराज हैं। एक विक्षिप्त व्यक्ति द्वारा हत्या किए जाने को लेकर उन्होंने फोन पर एसएसपी से बात की। डीजीपी ने पूछा कि विक्षिप्त व्यक्ति कई दिन से आने जाने वालों से गाली-गलौज कर रहा था, तो पुलिस ने पहले कोई कार्यवाही क्यों नहीं की।
कांग्रेेस नेता क्षेमांनद जोशी की हत्या तथा डॉ. रवि बेदी व सेवानिवृत्त इंजीनियर चिंता सिंह को गंभीर रूप से घायल किए जाने की घटना से क्षुब्ध समाजसेवी रमेश चंद्र शर्मा ने बृहस्पतिवार को देहरादून जाकर डीजीपी से मुलाकात की और इस घटना के लिए हरिद्वार पुलिस को जिम्मेदार ठहराया।
उन्होंने डीजीपी को बताया कि पुलिस ने शासन के पूर्व में जारी सत्यापन के आदेशों का पालन किया होता तो इस प्रकार घटना नहीं होती।
उन्होंने कहा कि शासन व हाईकोर्ट के आदेश के बाद भी हर की पैड़ी क्षेत्र से पुलिस अतिक्रमण व भिखारियों को न तो हटाया और न सत्यापन किया है।रोडी बेलवाला, पंतद्वीप, चंडीघाट आदि मेला क्षेत्र में प्रतिदिन नए-नए लोग आकर झोपड़ी डालकर रहने लगते हैं, जिनका पुलिस सत्यापन नहीं किया जाता है।
शर्मा ने बताया कि डीजीपी ने उनके सामने ही एसएसपी हरिद्वार से बात की और कहा कि हर की पैड़ी क्षेत्र की स्थिति सुधर नहीं रही है। स्थिति सुधारने के लिए कोई अच्छा मेहनती चौकी इंचार्ज की नियुक्त किया जाए।
उन्होंने कप्तान से पूछा कि जल पुलिस क्या कर रही है। डीजीपी ने समाजसेवी रमेश चंद्र शर्मा से कहा कि वे एसएसपी से मिलकर उन्हें हर की पैड़ी क्षेत्र की व्यवस्था सुधारने के लिए अपने सुझाव दें और उन पर कार्यवाही नहीं होती है तो फिर उन्हें (डीजीपी) को आकर बताएं।
पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) एम गणपति हरिद्वार में पुलिस व्यवस्था से खासे नाराज हैं। एक विक्षिप्त व्यक्ति द्वारा हत्या किए जाने को लेकर उन्होंने फोन पर एसएसपी से बात की। डीजीपी ने पूछा कि विक्षिप्त व्यक्ति कई दिन से आने जाने वालों से गाली-गलौज कर रहा था, तो पुलिस ने पहले कोई कार्यवाही क्यों नहीं की।
कांग्रेेस नेता क्षेमांनद जोशी की हत्या तथा डॉ. रवि बेदी व सेवानिवृत्त इंजीनियर चिंता सिंह को गंभीर रूप से घायल किए जाने की घटना से क्षुब्ध समाजसेवी रमेश चंद्र शर्मा ने बृहस्पतिवार को देहरादून जाकर डीजीपी से मुलाकात की और इस घटना के लिए हरिद्वार पुलिस को जिम्मेदार ठहराया।
उन्होंने डीजीपी को बताया कि पुलिस ने शासन के पूर्व में जारी सत्यापन के आदेशों का पालन किया होता तो इस प्रकार घटना नहीं होती।