राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने परिवार सहित स्वर्गाश्रम स्थित परमार्थ निकेतन की गंगा आरती में शामिल होकर ऋषिनगरी में पतित पावनी मां गंगा को नमन किया। राष्ट्रपति ने कहा कि मां गंगा भारत के लिए सृष्टिकर्ता का अनूठा वरदान है। उन्होंने कहा कि मां गंगा और भारत दोनों एक दूसरे के पूरक हैं। मां गंगा का देश में जो आकर्षण है वह विश्व में किसी भी देश में नहीं है।
राष्ट्रपति कोविंद ने कहा कि यह उनके लिए भाव विभोर करने वाला क्षण है। वह काफी सालों से विश्वप्रसिद्ध गंगा आरती के दर्शन करना चाहते थे, लेकिन पहले व्यस्तता और फिर कोरोना महामारी के चलते उनके कार्यक्रम टलते चले गए। उन्होंने कहा कि वह बेहद खुश हैं कि आज उनका अधूरा कार्य पूरा हो गया। उन्होंने कहा कि मां गंगा की महिमा को शब्दों में नहीं पिरोया जा सकता है।
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मां गंगा भारत की अस्मिता हैं। राष्ट्रपति ने कहा कि वह बहुत कुछ कहना चाहते हैं, लेकिन मर्यादाओं का पालन करना भी जरूरी है। गंगा आरती के दौरान देश की प्रथम महिला सविता कोविंद, राष्ट्रपति की बेटी स्वाति कोविंद, राज्यपाल गुरमीत सिंह, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, स्वास्थ्य एवं उच्च शिक्षा मंत्री धन सिंह रावत और पूर्व मुख्यमंत्री एवं गढ़वाल सांसद तीरथ सिंह रावत आदि उपस्थित थे।
राष्ट्रपति ने कहा कि पतित पावनी मां गंगा के उत्पत्ति स्थल गंगोत्री में भी वह गंगा के नाम से जानी जाती हैं। गंगा जहां बहुत बड़े सागर में विसर्जित होती है, वहां भी वह गंगा ही है। गंगा ने अपना चरित्र नहीं छोड़ा। यही मां गंगा की सार्थकता है।
अध्यात्म ही भारत का आधार, सभी को मिली है शांति
राष्ट्रपति ने कहा कि वह विदेश यात्रा पर जाते रहते हैं। एक संस्मरण को याद करते हुए उन्होंने कहा कि एक बार स्विट्जरलैंड की राष्ट्रपति ने उनसे कहा कि हमारे देश में धन और समृद्धि दोनों है। फिर भी हम भौतिकता की ओर भागते हैं। हमारे यहां शांति नहीं है। भारत में ऐसा क्या है, जो लोग अध्यात्म को प्राथमिकता देते हैैं। ऐसा क्या कि भारत में शांति है और हमारे यहां अशांति है। राष्ट्रपति ने कहा कि मैंने उनको जवाब दिया कि अध्यात्म ही भारत का आधार है। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा कि विश्व के समृद्ध देश भारत के प्रति यह सोच रखते हैं। परमार्थ निकेतन की साध्वी भगवती सरस्वती अध्यात्म की खोज में ही अपना देश छोड़कर भारत आ गईं। विदेश से कई लोग आध्यात्मिक अनुभूति के लिए भारत का रुख करते हैं। वहीं विदेश यात्रा पर जाने वाले देश के लोगों को केवल वहां की सुंदरता ही आकर्षित करती है।
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राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने परिवार सहित स्वर्गाश्रम स्थित परमार्थ निकेतन की गंगा आरती में शामिल होकर ऋषिनगरी में पतित पावनी मां गंगा को नमन किया। राष्ट्रपति ने कहा कि मां गंगा भारत के लिए सृष्टिकर्ता का अनूठा वरदान है। उन्होंने कहा कि मां गंगा और भारत दोनों एक दूसरे के पूरक हैं। मां गंगा का देश में जो आकर्षण है वह विश्व में किसी भी देश में नहीं है।
राष्ट्रपति कोविंद ने कहा कि यह उनके लिए भाव विभोर करने वाला क्षण है। वह काफी सालों से विश्वप्रसिद्ध गंगा आरती के दर्शन करना चाहते थे, लेकिन पहले व्यस्तता और फिर कोरोना महामारी के चलते उनके कार्यक्रम टलते चले गए। उन्होंने कहा कि वह बेहद खुश हैं कि आज उनका अधूरा कार्य पूरा हो गया। उन्होंने कहा कि मां गंगा की महिमा को शब्दों में नहीं पिरोया जा सकता है।
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मां गंगा भारत की अस्मिता हैं। राष्ट्रपति ने कहा कि वह बहुत कुछ कहना चाहते हैं, लेकिन मर्यादाओं का पालन करना भी जरूरी है। गंगा आरती के दौरान देश की प्रथम महिला सविता कोविंद, राष्ट्रपति की बेटी स्वाति कोविंद, राज्यपाल गुरमीत सिंह, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, स्वास्थ्य एवं उच्च शिक्षा मंत्री धन सिंह रावत और पूर्व मुख्यमंत्री एवं गढ़वाल सांसद तीरथ सिंह रावत आदि उपस्थित थे।