उत्तराखंड के चमोली में ऋषिगंगा की आपदा के 16वें दिन एक मानव अंग और दो शव और मिले। टनल से एक मानव अंग, जबकि श्रीनगर और कीर्तिनगर से दो शव मिले। तीनों की शिनाख्त नहीं हो पाई है। वहीं तपोवन सुरंग और बैराज साइट से मलबा हटाने का काम जारी है। टनल से अभी तक 16 शव मिल चुके हैं। आपदा के बाद से लापता 204 लोगों में से अलग-अलग जगह से मानव अंग समेत कुल 70 शव मिले हैं जबकि 134 लोग अभी भी लापता हैं।
सोमवार को भी तपोवन से लेकर रैणी क्षेत्र में लापता लोगों की तलाश जारी रही। सोमवार शाम करीब छह बजे बचाव कर्मियों को सुरंग के अंदर से एक मानव अंग मिला, जबकि एसडीआरएफ की टीम को एक शव श्रीनगर चौरास और एक शव कीर्तिनगर से मिला। शवों की शिनाख्त नहीं हो पाई है। वहीं तपोवन सुरंग से लगातार पानी का रिसाव हो रहा है, जिससे रेस्क्यू में तेजी नहीं आ पा रही है।
यहां जेसीबी की मदद से मलबा डंपर में भरकर निकाला जा रहा है। सुरंग से पूरी तरह से मलबा हटाने में कितना समय लगेगा कुछ कहा नहीं जा सकता। खुद प्रशासन भी अभी यह बताने की स्थिति में नहीं है कि अंदर कितना मलबा और हो सकता है। वहीं धौली नदी के पानी को बैराज साइट में आने से रोकने के लिए उसमें डंपरों से मिट्टी डाली जा रही है, जिससे बैराज में तलाश तेज की जा सके।
मोर्चरी में रखे शव
कोतवाल कीर्तिनगर कमल मोहन भंडारी ने बताया कि एसडीआरएफ की टीम ने एक शव महर गांव के समीप श्रीनगर जल विद्युत परियोजना की झील से बाहर निकाला। मृतक की उम्र करीब 25 से 30 वर्ष है। जबकि दूसरा शव परियोजना झील के चैनल न.2 में मिला है। मृतक की उम्र करीब 30 से 35 वर्ष के बीच है। शवों को शिनाख्त के लिए 72 घंटे तक बेस अस्पताल की मोर्चरी में रखा गया है। संवाद
टनल से 174 मीटर तक निकाला जा चुका है मलबा
एनटीपीसी के मीडिया प्रभारी राजेंद्र सिंह जियाड़ा ने बताया कि सोमवार तक टनल से 174 मीटर मलबा हटाया जा चुका है। वहीं सुरंग के अंदर से आ रहे पानी को निकालने के लिए चार पंप मशीन लगा दी गई हैं, जिससे तेजी से पानी निकाला जा रहा है।
प्रदेश के आपदा प्रबंधन विभाग ने आपदा प्रभावित चमोली जिले में अब ऋषि गंगा के मुहाने पर बनी झील पर दूर से नजर रखने में भी सफलता हासिल कर ली है। रविवार को यह एसडीआरएफ ने क्यूडीए संचार प्रणाली के तहत उपकरण को झील के पास स्थापित किया था। सोमवार से इसका फीड मिलना शुरू हो गया है।
राज्य आपदा मोचन बल ने अक्तूबर में ही क्विक डिपलायबल एंटीना (क्यूडीए) सिस्टम की तकनीक हासिल की थी।मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने इसका लोकार्पण किया था और उस समय बताया गया था कि इस तकनीक को हासिल करने वाला उत्तराखंड देश का पहला राज्य है। इस तकनीक से सेटेलाइट के जरिये बिना नेटवर्क के भी फोटो और वीडिया हासिल किए जा सकते हैं। जौलीग्रांट में एसडीआरएफ के मुख्यालय में इसे स्थापित किया गया था। इसके तहत एसडीआरएफ ने छह उपकरण हासिल किए थे।
रविवार को एसडीआरएफ ने इनमें से एक उपकरण को ऋषि गंगा के मुहाने पर बनी झील में स्थापित किया। अब इस झील पर एसडीआरएफ 24 घंटे नजर रख सकता है और झील के वीडियो हासिल कर सकता है। हेलीकाप्टर के जरिये आपदा प्रभावित क्षेत्र में इस उपकरण को पहुंचाया गया।
एसडीआरएफ के मुताबिक झील का अध्ययन किया जा रहा है। झील से जल निकासी के सुरक्षित उपाय भी देखे जा रहे हैं। आने वाले कुछ दिनों में उत्तराखंड में बारिश की संभावना भी जताई जा रही है। लिहाजा आपदा प्रबंधन अभियान में जुटे अधिकारियों की चिंता भी बढ़ गई है।
चमोली में सात फरवरी को नीति घाटी में आई जल प्रलय की घटना के बाद ऋषि गंगा के मुहाने पर झील बन गई थी। 750 मीटर लंबी, करीब आठ मीटर औसत गहराई और 50 मीटर चौड़ी इस झील में 4.80 करोड़ लीटर पानी होने का अनुमान है। केदारनाथ में चौराबाड़ी से बड़ी बताई जा रही इस झील से पानी की निकासी लगातार हो रही है और कोशिश है कि झील से पूरी तरह से पानी की निकासी की जा सके।
परियोजना में काम शुरू होने पर जताया आक्रोश
तपोवन जल विद्युत परियोजना में फिर से निर्माण कार्य शुरू करने को लेकर पैनखंडा संघर्ष समिति ने आक्रोश जताया। समिति का कहना है कि एक तरफ अभी लापता लोगों की तलाश की जा रही है वहीं दूसरी तरफ कंपनी ने काम शुरू कर दिया है। समिति ने इस संबंध में मुख्यमंत्री को ज्ञापन भेजा। उन्होंने एनटीपीसी और ऋषिगंगा परियोजना में कार्यरत मजदूरों को जल्द खोजने और परियोजना को बंद करने की भी मांग की।
समिति का कहना है कि कंपनी आपदा के सही आंकड़े नहीं दे रही है। वहीं सुरंग में फंसे लोगों को निकालने के बजाय फिर से काम शुरू कर दिया गया है। यह पूरी तरह से अमानवीय है। कहा कि ऋषिगंगा परियोजना के मालिक ने अभी तक वहां काम करने वाले मजदूरों की सूची तक जारी नहीं की है और न ही पीड़ित परिवारों को राहत राशि देने की बात कही है। इसको लेकर संघर्ष समिति में शासन, प्रशासन और कंपनी के प्रति आक्रोश है। उन्होंने लापता लोगों की खोज में तेजी जाने और लापता लोगों को मृत घोषित कर मृत प्रमाणपत्र जारी करने की मांग की। ज्ञापन देने वालों में पैनखंडा संघर्ष समिति के संरक्षक भरत सिंह कुंवर, सुखदेव सिंह, अजित पाल रावत आदि शामिल रहे।
उत्तराखंड के चमोली में ऋषिगंगा की आपदा के 16वें दिन एक मानव अंग और दो शव और मिले। टनल से एक मानव अंग, जबकि श्रीनगर और कीर्तिनगर से दो शव मिले। तीनों की शिनाख्त नहीं हो पाई है। वहीं तपोवन सुरंग और बैराज साइट से मलबा हटाने का काम जारी है। टनल से अभी तक 16 शव मिल चुके हैं। आपदा के बाद से लापता 204 लोगों में से अलग-अलग जगह से मानव अंग समेत कुल 70 शव मिले हैं जबकि 134 लोग अभी भी लापता हैं।
सोमवार को भी तपोवन से लेकर रैणी क्षेत्र में लापता लोगों की तलाश जारी रही। सोमवार शाम करीब छह बजे बचाव कर्मियों को सुरंग के अंदर से एक मानव अंग मिला, जबकि एसडीआरएफ की टीम को एक शव श्रीनगर चौरास और एक शव कीर्तिनगर से मिला। शवों की शिनाख्त नहीं हो पाई है। वहीं तपोवन सुरंग से लगातार पानी का रिसाव हो रहा है, जिससे रेस्क्यू में तेजी नहीं आ पा रही है।
यहां जेसीबी की मदद से मलबा डंपर में भरकर निकाला जा रहा है। सुरंग से पूरी तरह से मलबा हटाने में कितना समय लगेगा कुछ कहा नहीं जा सकता। खुद प्रशासन भी अभी यह बताने की स्थिति में नहीं है कि अंदर कितना मलबा और हो सकता है। वहीं धौली नदी के पानी को बैराज साइट में आने से रोकने के लिए उसमें डंपरों से मिट्टी डाली जा रही है, जिससे बैराज में तलाश तेज की जा सके।
मोर्चरी में रखे शव
कोतवाल कीर्तिनगर कमल मोहन भंडारी ने बताया कि एसडीआरएफ की टीम ने एक शव महर गांव के समीप श्रीनगर जल विद्युत परियोजना की झील से बाहर निकाला। मृतक की उम्र करीब 25 से 30 वर्ष है। जबकि दूसरा शव परियोजना झील के चैनल न.2 में मिला है। मृतक की उम्र करीब 30 से 35 वर्ष के बीच है। शवों को शिनाख्त के लिए 72 घंटे तक बेस अस्पताल की मोर्चरी में रखा गया है। संवाद
टनल से 174 मीटर तक निकाला जा चुका है मलबा
एनटीपीसी के मीडिया प्रभारी राजेंद्र सिंह जियाड़ा ने बताया कि सोमवार तक टनल से 174 मीटर मलबा हटाया जा चुका है। वहीं सुरंग के अंदर से आ रहे पानी को निकालने के लिए चार पंप मशीन लगा दी गई हैं, जिससे तेजी से पानी निकाला जा रहा है।