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उत्तराखंड आपदा: ग्लेशियरों की सैर पर जाने वालों से प्रशासन ‘अंजान’, नहीं है कोई रिकॉर्ड
संवाद न्यूज एजेंसी, बागेश्वर
Published by: अलका त्यागी
Updated Sat, 23 Oct 2021 02:38 PM IST
सार
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पिंडर घाटी के ग्लेशियरों की सैर पर जाने के लिए वन विभाग कपकोट में पंजीकरण कराता है, जिसका डाटा पर्यटन विभाग को भेजा जाता है।
उत्तराखंड में तीन दिन की भारी बारिश ने जहां ग्लेशियरों की सैर पर गए पर्यटकों की जान सांसत में डाल दी है, वहीं बागेश्वर जिला प्रशासन की भी कलई खोलकर रख दी है। रेस्क्यू कार्य चलने के बावजूद प्रशासन को ग्लेशियर में फंसे हुए लोगों की सही जानकारी नहीं है। पिंडारी, कफनी और सुंदरढूंगा जाने के लिए वन विभाग में पंजीकरण कराना जरूरी है लेकिन 73 लोग ग्लेशियर पहुंच गए और वहां फंस गए, लेकिन उनका पंजीकरण करना तो दूर प्रशासन को उनके जाने तक की भनक नहीं लगी।
पिंडर घाटी के ग्लेशियरों की सैर पर जाने के लिए वन विभाग कपकोट में पंजीकरण कराता है, जिसका डाटा पर्यटन विभाग को भेजा जाता है। पर्यटन विभाग इसी डाटा के आधार पर वर्षभर में जिले में आने वाले विदेशी और देशी सैलानियों के आंकड़े जारी करता है। वन विभाग के कपकोट कार्यालय में पंजीकरण कराने के बाद पर्यटकों से कुछ शुल्क लेकर पर्ची काटी जाती है, जिसकी जांच ग्लेशियर रेंज में कराने के बाद ही पर्यटक ग्लेशियरों की सैर कर सकते हैं। पंजीकरण के आधार पर प्रशासन को पिंडारी, कफनी, सुंदरढूंगा आदि स्थानों पर गए पर्यटकों की सटीक जानकारी रहती है। वहीं प्रशासन को भी पर्यटकों से राजस्व प्राप्त होता है।
पर्यटकों की जानकारी रखने के लिए अपनाई जाने वाली उक्त प्रक्रिया बेहद सरल है, बावजूद इसके संबंधित विभाग इसके लिए गंभीर नजर नहीं रहा, जिसका परिणाम अब दिखाई दे रहा है। तीन दिन से प्रशासनिक अमला सुंदरढूंगा में हताहत लोगों को रेस्क्यू करना तो दूर उनकी लोकेशन तक नहीं तलाश सका है। कफनी ग्लेशियर में भी फंसे पर्यटकों को रेस्क्यू नहीं किया जा सका है। द्वाली में 34 लोगों के फंसने की बात की जा रही थी, लेकिन रेस्क्यू के समय संख्या 42 पहुंच गई। इससे साफ जाहिर होता है कि ट्रैंकिंग रूटों पर जाने वालों की जानकारी और निगरानी को लेकर प्रशासन कतई गंभीरता से कार्य नहीं कर रहा है। ट्रैकर ग्लेशियरों के लिए रवाना हो गए और इसकी भनक तक सरकारी तंत्र को नहीं लगी। यह गंभीर चूक का मामला है।
सेना के हेलीकॉप्टर लौटे खाली हाथ
सेना के एमआई-17 हेलीकॉप्टर शुक्रवार को सुंदरढूंगा ग्लेशियर में हताहत पर्यटकों की टोह लेने गए, लेकिन मौसम खराब होने के कारण बैरंग लौट आए। करीब पौने एक बजे गाजियाबाद से सेना के दो चॉपर केदारेश्वर मैदान में उतरे। एक बजे चॉपर ग्लेशियरों की टोह लेने रवाना हुए। हेलीकॉप्टर में सेना के जवानों के साथ एसडीआरएफ के जवान भी मौजूद थे। 1:28 पर दोनों चॉपर वापस लौट आए। एसडीआरएफ के जवानों ने बताया कि ग्लेशियर में मौसम खराब था। इसके कारण सर्च अभियान नहीं चलाया जा सका है। अगर सुबह से खोजबीन चलती तो सफलता मिल सकती थी।
दो पोस्ट पर लिखत-पढ़त और पर्यटक लौटे घर
द्वाली से लौटे पर्यटकों को दो चेक पोस्टों पर जानकारी एकत्र की जा रही है। खाईबगड़ पुल के पास और शामा-सौंग तिराहे पर पर्यटकों के नाम, पता, आधार नंबर, पासपोर्ट, मोबाइल फोन आदि की जानकारी लेकर उन्हें वापस भेजा जा रहा है।
केदारेश्वर मैदान में जमा रह प्रशासनिक अमला
कपकोट के केदारेश्वर मैदान में डीएम विनीत कुमार, एसपी अमित श्रीवास्तव सहित पूरा प्रशासनिक अमला दो दिनों से जमा है। शुक्रवार को भी डीएम मौके पर रहकर खोज-बचाव कार्य की जानकारी लेते रहे। मैदान में भाजयुमो के प्रदेश उपाध्यक्ष सुरेश गढ़िया, ब्लॉक प्रमुख गोविंद दानू भी मौजूद थे। अधिकारी और जनप्रतिनिधियों ने सामंजस्य बनाकर हालात से निपटने की बात की।
सेटेलाइट फोन के दावों की खुली पोल
विश्व प्रसिद्ध पर्यटक स्थल होने के बावजूद पिंडर घाटी संचार सुविधाओं से महरूम है। शासन-प्रशासन क्षेत्र में सेटेलाइट फोन होने के दावे करता रहा है, लेकिन ऐन मौके पर आई आपदा ने सेटेलाइट फोन के दावों की पोल खोलकर रख दी है। संचार सुविधा नहीं होने से तीन दिन की भारी बारिश का अलर्ट भी क्षेत्र के लोगों को पता नहीं चला। हालांकि शासन-प्रशासन मोबाइल नेटवर्क की तरह सेटेलाइट सेवा के भी बाधित होने की बात कर रहा है।
डीएफओ ने ग्लेशियर जाने वाले किसी भी ट्रैकर का पंजीकरण नहीं होने की बात कही है, जबकि वन क्षेत्र में पड़ने वाले ग्लेशियरों में जाने से पहले वन विभाग में पंजीकरण करना आवश्यक है। इस मामले की जांच की जाएगी और भविष्य में सिस्टम को बेहतर बनाने के लिए कड़े कदम उठाए जाएंगे। ट्रैकरों का पंजीकरण अनिवार्य किया जाएगा। - विनीत कुमार, जिलाधिकारी बागेश्वर शंकर
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