साल 2022 में होने वाले विधानसभा चुनावों को देखते हुए उत्तराखंड कांग्रेस फ्रंट फुट पर आ गई है। कांग्रेस में प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल ने राज्य सरकार को कई मामलों पर घेरा। सोमवार को देहरादून में आयोजित प्रेस कांफ्रेंस में उन्होंने अतिथि शिक्षकों और कर्मचारियों को डीए सहित कई मद्दों पर सरकार को घेरा।
प्रेस वार्ता में कांग्रेस अध्यक्ष गोदियाल कर्मचारियों के पक्ष में उतरे। उन्होंने कहा कर्मचारियों के फ्रीज किए गए डीए को बहाल करने की मांग की। वहीं उपनल, मनरेगा कर्मचारियों का वेतन बढ़ाने पर भी जोर दिया। गोदियाल ने अतिथि शिक्षकों का वेतन न बढ़ने पर भी नाराजगी जताई। कहा कि राज्य सरकार अतिथि शिक्षकों को परमानेंट करने का रास्ता निकाले।
प्रीतम की नियुक्तियों पर गोदियाल ने चलाई कैंची
आखिरकार वही हुआ, जिसके कयास लगाए जा रहे थे। उत्तराखंड कांग्रेस में प्रदेश अध्यक्ष पद से विदा होने से पूर्व प्रीतम सिंह की ओर से की गई ब्लाक अध्यक्षों की नियुक्तियों को नव नियुक्त प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गणेश गोदियाल ने तत्काल प्रभाव से रद्द कर दिया है। जबकि पूर्व में नियुक्त ब्लाक अध्यक्षों को यथावत रखा गया है।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गणेश गोदियाल ने कार्यालय ज्ञापन जारी कर कहा कि 20 जुलाई को प्रदेश अध्यक्ष पद की घोषणा के बाद विभिन्न ब्लाक कमेटी के अध्यक्ष पदों पर नियुक्तियां की गईं, इन्हें तत्काल प्रभाव से रद्द किया जाता है। पार्टी ने 22 जुलाई को गणेश गोदियाल को प्रदेश अध्यक्ष बनाया था। नए अध्यक्ष से पहले बतौर अध्यक्ष प्रीतम सिंह ने संगठन में कई नियुक्तियां की थीं।
गणेश गोदियाल ने कहा कि संगठनात्मक जिला इकाई कोटद्वार की ब्लाक कमेटी दुगड्डा, ब्लाक कमेटी द्वारीखाल व ब्लाक कमेटी यमकेश्वर की संगठनात्मक इकाई की समीक्षा के लिए पार्टी के वरिष्ठ नेताओं को पर्यवेक्षक की जिम्मेदारी सौंपी गई है। दुगड्डा ब्लाक में पूर्व प्रमुख पोखड़ा सुरेंद्र सिंह रावत, द्वारीखाल ब्लाक में जसवीर राणा और यमकेश्वर ब्लाक में धीरेंद्र सिंह नेगी को पर्यवेक्षक की जिम्मेदारी सौंपी गई है। उन्होंने सभी पर्यवेक्षकों से स्थानीय वरिष्ठ नेताओं व कार्यकर्ताओं से चर्चा के बाद संगठनात्मक समीक्षा की गोपनीय रिपोर्ट एक हफ्ते के भीतर तलब की है।
उधर, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष के इस कदम के विरोध में पार्टी के भीतर दूसरा धड़ा सक्रिय हो गया है। सोशल मीडिया पर इस धड़े से जुड़े नेताओं ने पार्टी में निष्कासितों की एंट्री को मुद्दा बनाना शुरू कर दिया है।
विस्तार
साल 2022 में होने वाले विधानसभा चुनावों को देखते हुए उत्तराखंड कांग्रेस फ्रंट फुट पर आ गई है। कांग्रेस में प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल ने राज्य सरकार को कई मामलों पर घेरा। सोमवार को देहरादून में आयोजित प्रेस कांफ्रेंस में उन्होंने अतिथि शिक्षकों और कर्मचारियों को डीए सहित कई मद्दों पर सरकार को घेरा।
प्रेस वार्ता में कांग्रेस अध्यक्ष गोदियाल कर्मचारियों के पक्ष में उतरे। उन्होंने कहा कर्मचारियों के फ्रीज किए गए डीए को बहाल करने की मांग की। वहीं उपनल, मनरेगा कर्मचारियों का वेतन बढ़ाने पर भी जोर दिया। गोदियाल ने अतिथि शिक्षकों का वेतन न बढ़ने पर भी नाराजगी जताई। कहा कि राज्य सरकार अतिथि शिक्षकों को परमानेंट करने का रास्ता निकाले।
प्रीतम की नियुक्तियों पर गोदियाल ने चलाई कैंची
आखिरकार वही हुआ, जिसके कयास लगाए जा रहे थे। उत्तराखंड कांग्रेस में प्रदेश अध्यक्ष पद से विदा होने से पूर्व प्रीतम सिंह की ओर से की गई ब्लाक अध्यक्षों की नियुक्तियों को नव नियुक्त प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गणेश गोदियाल ने तत्काल प्रभाव से रद्द कर दिया है। जबकि पूर्व में नियुक्त ब्लाक अध्यक्षों को यथावत रखा गया है।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गणेश गोदियाल ने कार्यालय ज्ञापन जारी कर कहा कि 20 जुलाई को प्रदेश अध्यक्ष पद की घोषणा के बाद विभिन्न ब्लाक कमेटी के अध्यक्ष पदों पर नियुक्तियां की गईं, इन्हें तत्काल प्रभाव से रद्द किया जाता है। पार्टी ने 22 जुलाई को गणेश गोदियाल को प्रदेश अध्यक्ष बनाया था। नए अध्यक्ष से पहले बतौर अध्यक्ष प्रीतम सिंह ने संगठन में कई नियुक्तियां की थीं।
गणेश गोदियाल ने कहा कि संगठनात्मक जिला इकाई कोटद्वार की ब्लाक कमेटी दुगड्डा, ब्लाक कमेटी द्वारीखाल व ब्लाक कमेटी यमकेश्वर की संगठनात्मक इकाई की समीक्षा के लिए पार्टी के वरिष्ठ नेताओं को पर्यवेक्षक की जिम्मेदारी सौंपी गई है। दुगड्डा ब्लाक में पूर्व प्रमुख पोखड़ा सुरेंद्र सिंह रावत, द्वारीखाल ब्लाक में जसवीर राणा और यमकेश्वर ब्लाक में धीरेंद्र सिंह नेगी को पर्यवेक्षक की जिम्मेदारी सौंपी गई है। उन्होंने सभी पर्यवेक्षकों से स्थानीय वरिष्ठ नेताओं व कार्यकर्ताओं से चर्चा के बाद संगठनात्मक समीक्षा की गोपनीय रिपोर्ट एक हफ्ते के भीतर तलब की है।
उधर, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष के इस कदम के विरोध में पार्टी के भीतर दूसरा धड़ा सक्रिय हो गया है। सोशल मीडिया पर इस धड़े से जुड़े नेताओं ने पार्टी में निष्कासितों की एंट्री को मुद्दा बनाना शुरू कर दिया है।