दिल्ली विश्वविद्यालय में शैक्षिक सत्र 2019-20 में दाखिले के लिए जारी प्रक्रिया में आई तीन कटऑफ लिस्ट में कुछ कॉलेजों में सीटों से अधिक दाखिले हो गए हैं। अभी दो कटऑफ आनी बाकी हैं।
ऐसे में कॉलेजों में विद्यार्थियों को कक्षाओं की कमी से जूझना पड़ेगा। कई कॉलेज ऐसे हैं, जहां संसाधनों की कमी है और क्लास का टोटा है। ऐसे में कॉलेजों में एक-एक कक्षा में क्षमता से दोगुने विद्यार्थियों को बैठाना पड़ेगा।
कुछ कॉलेज नया सत्र शुरू होने से पहले इस समस्या का हल निकालने में जुट गए हैं, जबकि कुछ को उम्मीद है कि दाखिले रद्द होने पर संतुलन बन जाएगा। इसके उतनी दिक्कत नहीं उठानी पड़ेगी।
दिल्ली विश्वविद्यालय में इस बार सवर्णों के लिए 10 फीसदी ईडब्ल्यूएस कोटा लागू किया गया है। इस कारण से पांच हजार से अधिक सीटें बढ़ गई हैं। कॉलेजों में सामान्य श्रेणी की सीटें तो लगभग भर गई हैं, लेकिन आरक्षित श्रेणी की सीटें काफी जगह खाली हैं।
दो कटऑफ भी आनी हैं। ऐसे में विद्यार्थियों की संख्या बढ़नी है। यह समस्या इसलिए भी आ रही है कि पहले बीए प्रोग्राम में एक कोर्स के अंतर्गत दाखिले होते थे, लेकिन इस बार अलग-अलग डिसिप्लिन के हिसाब से इसमें दाखिले लिए जा रहे हैं। यदि साइंस कोर्सेज में ज्यादा दाखिले हो गए तो कक्षाओं में किसी तरह से पढ़ा लिया जाएगा, लेकिन प्रयोगशालाओं में दिक्कत आएगी।
बढ़ाई जाएगी सेक्शन की क्षमता
अरबिंदो कॉलेज के प्राचार्य डॉ. विपिन अग्रवाल ने कहा कि उनके यहां बीए प्रोग्राम की 330 सीटें हैं, लेकिन इस बार अलग-अलग डिसिप्लिन के हिसाब से दाखिले हुए हैं। इस कारण अब तक 400 दाखिले हो चुके हैं।
आरक्षित श्रेणी की सीटें खाली हैं, लिहाजा यह आंकड़ा और बढ़ जाएगा। ऐसा ही हाल कुछ अन्य कोर्सेज का है। उन्होंने कहा कि कमरों का साइज तो पहले जितना है, लेकिन विद्यार्थियों की संख्या ज्यादा हो जाएगी। ऐसे में उन्हें एक-एक कक्षा में 70 से अधिक विद्यार्थी बिठाने पड़ेंगे। एक अन्य प्रिंसिपल कहते हैं कि सीटें तो बढ़ा दी गईं, लेकिन कॉलेजों के वास्तविक हालात नहीं समझे गए।
रामानुजन कॉलेज के प्राचार्य डॉ. एसपी अग्रवाल कहते हैं कि ईडब्ल्यूएस की बीकॉम की पांच सीटों पर 30 दाखिले हो गए हैं। राजनीति शास्त्र ऑनर्स की 50 सीटों पर 82 दाखिले हो गए हैं।
अब देखना होगा कि कैसे इस परेशानी से निपटा जाए। वह उम्मीद करके चल रहे हैं कि दो लिस्ट में विद्यार्थियों ने दाखिले रद्द कराए तो संतुलन बन जाएगा। ऐसा नहीं होता तो सेक्शन की क्षमता को बढ़ाना पड़ेगा।
दिल्ली विश्वविद्यालय में शैक्षिक सत्र 2019-20 में दाखिले के लिए जारी प्रक्रिया में आई तीन कटऑफ लिस्ट में कुछ कॉलेजों में सीटों से अधिक दाखिले हो गए हैं। अभी दो कटऑफ आनी बाकी हैं।
ऐसे में कॉलेजों में विद्यार्थियों को कक्षाओं की कमी से जूझना पड़ेगा। कई कॉलेज ऐसे हैं, जहां संसाधनों की कमी है और क्लास का टोटा है। ऐसे में कॉलेजों में एक-एक कक्षा में क्षमता से दोगुने विद्यार्थियों को बैठाना पड़ेगा।
कुछ कॉलेज नया सत्र शुरू होने से पहले इस समस्या का हल निकालने में जुट गए हैं, जबकि कुछ को उम्मीद है कि दाखिले रद्द होने पर संतुलन बन जाएगा। इसके उतनी दिक्कत नहीं उठानी पड़ेगी।
दिल्ली विश्वविद्यालय में इस बार सवर्णों के लिए 10 फीसदी ईडब्ल्यूएस कोटा लागू किया गया है। इस कारण से पांच हजार से अधिक सीटें बढ़ गई हैं। कॉलेजों में सामान्य श्रेणी की सीटें तो लगभग भर गई हैं, लेकिन आरक्षित श्रेणी की सीटें काफी जगह खाली हैं।
दो कटऑफ भी आनी हैं। ऐसे में विद्यार्थियों की संख्या बढ़नी है। यह समस्या इसलिए भी आ रही है कि पहले बीए प्रोग्राम में एक कोर्स के अंतर्गत दाखिले होते थे, लेकिन इस बार अलग-अलग डिसिप्लिन के हिसाब से इसमें दाखिले लिए जा रहे हैं। यदि साइंस कोर्सेज में ज्यादा दाखिले हो गए तो कक्षाओं में किसी तरह से पढ़ा लिया जाएगा, लेकिन प्रयोगशालाओं में दिक्कत आएगी।
बढ़ाई जाएगी सेक्शन की क्षमता
अरबिंदो कॉलेज के प्राचार्य डॉ. विपिन अग्रवाल ने कहा कि उनके यहां बीए प्रोग्राम की 330 सीटें हैं, लेकिन इस बार अलग-अलग डिसिप्लिन के हिसाब से दाखिले हुए हैं। इस कारण अब तक 400 दाखिले हो चुके हैं।
आरक्षित श्रेणी की सीटें खाली हैं, लिहाजा यह आंकड़ा और बढ़ जाएगा। ऐसा ही हाल कुछ अन्य कोर्सेज का है। उन्होंने कहा कि कमरों का साइज तो पहले जितना है, लेकिन विद्यार्थियों की संख्या ज्यादा हो जाएगी। ऐसे में उन्हें एक-एक कक्षा में 70 से अधिक विद्यार्थी बिठाने पड़ेंगे। एक अन्य प्रिंसिपल कहते हैं कि सीटें तो बढ़ा दी गईं, लेकिन कॉलेजों के वास्तविक हालात नहीं समझे गए।
रामानुजन कॉलेज के प्राचार्य डॉ. एसपी अग्रवाल कहते हैं कि ईडब्ल्यूएस की बीकॉम की पांच सीटों पर 30 दाखिले हो गए हैं। राजनीति शास्त्र ऑनर्स की 50 सीटों पर 82 दाखिले हो गए हैं।
अब देखना होगा कि कैसे इस परेशानी से निपटा जाए। वह उम्मीद करके चल रहे हैं कि दो लिस्ट में विद्यार्थियों ने दाखिले रद्द कराए तो संतुलन बन जाएगा। ऐसा नहीं होता तो सेक्शन की क्षमता को बढ़ाना पड़ेगा।