सीमा शर्मा, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: पूजा त्रिपाठी
Updated Sat, 21 Sep 2019 10:02 AM IST
भारतीय शिक्षा में बदलाव को शनिवार को होने वाली कैब बैठक में हिंदी को अनिवार्य बनाने के मुद्दे पर तकरार हो सकती है। मोदी सरकार गैर हिंदी राज्यों के साथ नई शिक्षा नीति पर कोई टकराव नहीं चाहती है। इसलिए बीच का रास्ता निकालते हुए ड्रॉफ्ट से हिंदी अनिवार्य की सिफारिश हटा दी है।
सूत्रों के मुताबिक, भाषा पर टकराव की बजाय नई शिक्षा नीति को लागू करवाना है। राज्यों के सहयोग के बगैर लागू नहीं किया जा सकता है। बैठक में केंद्र के प्रतिनिधि गैर हिंदी राज्यों पर हिंदी थोपने से परहेज करते हुए प्राथमिक शिक्षा मातृभाषा में करवाने पर फोकस करेंगे। इसका मकसद पांचवीं कक्षा तक बच्चा अपने घर में बोली जाने वाली भाषा को पढ़े, जाने और समझे। इससे संस्कृति व प्रदेश से जुड़ सकेगा।
हिंदी को अन्य भारतीय भाषाओं की तर्ज पर बढ़ावा दिया जाएगा। राज्य अपनी मातृभाषा को पहले की तर्ज पर बढ़ावा दे सकते हैं। इसलिए प्राथमिक शिक्षा तक की पढ़ाई मातृभाषा में करने पर मंजूरी दी जाएगी। इसके लिए राज्य चाहें तो एनसीईआरटी से विशेष पाठ्यक्त्रस्म भी तैयार करवाने पर चर्चा होगी। हाई स्कूल की शिक्षा में हिंदी को जोडऩे की योजना है। हालांकि इस पर भी राज्यों से सहमति ली जाएगी।
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सूत्रों के मुताबिक, थ्री लैंग्वेज फार्मूला में संस्कृत के साथ तीन भारतीय भाषाओं की पढ़ाई करवाने की अनिवार्य कमेटी की सिफारिश पर चर्चा होगी। इसके अलावा इलेक्टिव में विदेशी भाषा को शामिल करने पर भी राय ली जाएगी। यदि कोई भारतीय समेत शास्त्रीय भाषाओं में पढ़ाई करवाना चाहेगा तो केंद्र सरकार आर्थिक रूप से मदद देगी।
भारतीय शिक्षा में बदलाव को शनिवार को होने वाली कैब बैठक में हिंदी को अनिवार्य बनाने के मुद्दे पर तकरार हो सकती है। मोदी सरकार गैर हिंदी राज्यों के साथ नई शिक्षा नीति पर कोई टकराव नहीं चाहती है। इसलिए बीच का रास्ता निकालते हुए ड्रॉफ्ट से हिंदी अनिवार्य की सिफारिश हटा दी है।
सूत्रों के मुताबिक, भाषा पर टकराव की बजाय नई शिक्षा नीति को लागू करवाना है। राज्यों के सहयोग के बगैर लागू नहीं किया जा सकता है। बैठक में केंद्र के प्रतिनिधि गैर हिंदी राज्यों पर हिंदी थोपने से परहेज करते हुए प्राथमिक शिक्षा मातृभाषा में करवाने पर फोकस करेंगे। इसका मकसद पांचवीं कक्षा तक बच्चा अपने घर में बोली जाने वाली भाषा को पढ़े, जाने और समझे। इससे संस्कृति व प्रदेश से जुड़ सकेगा।
हिंदी को अन्य भारतीय भाषाओं की तर्ज पर बढ़ावा दिया जाएगा। राज्य अपनी मातृभाषा को पहले की तर्ज पर बढ़ावा दे सकते हैं। इसलिए प्राथमिक शिक्षा तक की पढ़ाई मातृभाषा में करने पर मंजूरी दी जाएगी। इसके लिए राज्य चाहें तो एनसीईआरटी से विशेष पाठ्यक्त्रस्म भी तैयार करवाने पर चर्चा होगी। हाई स्कूल की शिक्षा में हिंदी को जोडऩे की योजना है। हालांकि इस पर भी राज्यों से सहमति ली जाएगी।
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सूत्रों के मुताबिक, थ्री लैंग्वेज फार्मूला में संस्कृत के साथ तीन भारतीय भाषाओं की पढ़ाई करवाने की अनिवार्य कमेटी की सिफारिश पर चर्चा होगी। इसके अलावा इलेक्टिव में विदेशी भाषा को शामिल करने पर भी राय ली जाएगी। यदि कोई भारतीय समेत शास्त्रीय भाषाओं में पढ़ाई करवाना चाहेगा तो केंद्र सरकार आर्थिक रूप से मदद देगी।