न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: पूजा त्रिपाठी
Updated Wed, 18 Sep 2019 12:58 PM IST
दिल्ली सरकार द्वारा सर्दियों में प्रदूषण नियंत्रण के लिए बनाए गए सात सूत्री कार्यक्रम में से एक सम-विषम लागू करने के फैसले के खिलाफ एनजीटी पहुंची एक याचिका को सुनने से ट्रिब्यूनल ने इनकार कर दिया है। यही वजह है कि याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका वापस ले ली है।
इसके बाद माना जा रहा है कि दिल्ली सरकार की ये योजना तय समय से ही लागू होगी।
दिल्ली में 4 से 15 नवंबर के बीच सम-विषम योजना लागू करने के आम आदमी पार्टी सरकार के फैसले के खिलाफ राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण (एनजीटी) में 16 सितंबर को याचिका दायर की गई थी। यह याचिका वकील गौरव कुमार बंसल ने दाखिल की थी। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने 13 सितंबर को देश की राजधानी में फिर से सम-विषम योजना को लागू करने का एलान किया था।
अपनी याचिका में बंसल ने कहा था कि केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) ने दिल्ली की वायु गुणवत्ता पर सम-विषम योजना के प्रभाव का आकलन किया और पाया कि इसके क्रियान्वयन अवधि में शहर की वायु गुणवत्ता इसके लागू नहीं रहने की अवधि की तुलना में और खराब हो गई।
उन्होंने कहा कि जब सीपीसीबी एवं दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) जैसे देश के शीर्ष पर्यावरण प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों ने एक सुर में कहा है कि सम-विषम योजना 2016 में वायु प्रदूषण की समस्या पर रोक लगाने में नाकाम रही थी तो ऐसे में अन्य देशों के लोगों द्वारा किए गए महज एक अध्ययन के आधार पर सम-विषय योजना को लागू करना ना सिर्फ अप्रिय है बल्कि यह सीपीसीबी और डीपीसीसी जैसी संस्थाओं की साख भी गिराएगा।
दिल्ली सरकार द्वारा सर्दियों में प्रदूषण नियंत्रण के लिए बनाए गए सात सूत्री कार्यक्रम में से एक सम-विषम लागू करने के फैसले के खिलाफ एनजीटी पहुंची एक याचिका को सुनने से ट्रिब्यूनल ने इनकार कर दिया है। यही वजह है कि याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका वापस ले ली है।
इसके बाद माना जा रहा है कि दिल्ली सरकार की ये योजना तय समय से ही लागू होगी।
दिल्ली में 4 से 15 नवंबर के बीच सम-विषम योजना लागू करने के आम आदमी पार्टी सरकार के फैसले के खिलाफ राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण (एनजीटी) में 16 सितंबर को याचिका दायर की गई थी। यह याचिका वकील गौरव कुमार बंसल ने दाखिल की थी। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने 13 सितंबर को देश की राजधानी में फिर से सम-विषम योजना को लागू करने का एलान किया था।
अपनी याचिका में बंसल ने कहा था कि केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) ने दिल्ली की वायु गुणवत्ता पर सम-विषम योजना के प्रभाव का आकलन किया और पाया कि इसके क्रियान्वयन अवधि में शहर की वायु गुणवत्ता इसके लागू नहीं रहने की अवधि की तुलना में और खराब हो गई।
उन्होंने कहा कि जब सीपीसीबी एवं दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) जैसे देश के शीर्ष पर्यावरण प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों ने एक सुर में कहा है कि सम-विषम योजना 2016 में वायु प्रदूषण की समस्या पर रोक लगाने में नाकाम रही थी तो ऐसे में अन्य देशों के लोगों द्वारा किए गए महज एक अध्ययन के आधार पर सम-विषय योजना को लागू करना ना सिर्फ अप्रिय है बल्कि यह सीपीसीबी और डीपीसीसी जैसी संस्थाओं की साख भी गिराएगा।