डॉक्टरों की कमी से जूझ रहे बीके सिविल अस्पताल के मरीजों को इलाज के लिए अब ज्यादा इंतजार नहीं करना होगा। यहां के डॉक्टर अब कोर्ट जाने के बजाय वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए जज के सामने पेश होंगे। अस्पताल में जल्द ही वीडियो कॉंफ्रेंसिग रूम बनाया जाएगा। अस्पताल प्रबंधन ने इसके निर्माण की कवायद भी शुरू कर दी है।
मालूम हो कि बीके सिविल अस्पताल में रोजाना दो से तीन डॉक्टरों को बयान दर्ज कराने कोर्ट में जाना पड़ता है। कोर्ट में कई घंटे लग जाने की वजह से कभी कभी डॉक्टर ओपीडी समय निकल जाने के बाद ही वापस लौट पाते हैं।
उस दिन या तो उस डॉक्टर से संबंधित ओपीडी बंद कर दी जाती है या फिर मरीजों को कई घंटे इंतजार करना पड़ता है। यह भी होता है कि कुछ डॉक्टर कोर्ट में पेशी होने के नाम पर ड्यूटी से गायब रहते हैं।
वीडियो काँफ्रेंसिंग हॉल बन जाने से अब उनकी पेशी और गवाही आदि सिविल अस्पताल से ही हो जाएगी। प्रधान चिकित्सा अधिकारी डॉ. वीरेंद्र यादव ने हारट्रोन कंपनी को एस्टीमेट बनवाने का पत्र लिखा है। उन्होंने बताया कि मुख्यालय से मंजूरी मिलने के बाद हॉल के निर्माण का कार्य शुरू हो जाएगा।
डॉक्टरों की कमी से जूझ रहे बीके सिविल अस्पताल के मरीजों को इलाज के लिए अब ज्यादा इंतजार नहीं करना होगा। यहां के डॉक्टर अब कोर्ट जाने के बजाय वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए जज के सामने पेश होंगे। अस्पताल में जल्द ही वीडियो कॉंफ्रेंसिग रूम बनाया जाएगा। अस्पताल प्रबंधन ने इसके निर्माण की कवायद भी शुरू कर दी है।
मालूम हो कि बीके सिविल अस्पताल में रोजाना दो से तीन डॉक्टरों को बयान दर्ज कराने कोर्ट में जाना पड़ता है। कोर्ट में कई घंटे लग जाने की वजह से कभी कभी डॉक्टर ओपीडी समय निकल जाने के बाद ही वापस लौट पाते हैं।
उस दिन या तो उस डॉक्टर से संबंधित ओपीडी बंद कर दी जाती है या फिर मरीजों को कई घंटे इंतजार करना पड़ता है। यह भी होता है कि कुछ डॉक्टर कोर्ट में पेशी होने के नाम पर ड्यूटी से गायब रहते हैं।
वीडियो काँफ्रेंसिंग हॉल बन जाने से अब उनकी पेशी और गवाही आदि सिविल अस्पताल से ही हो जाएगी। प्रधान चिकित्सा अधिकारी डॉ. वीरेंद्र यादव ने हारट्रोन कंपनी को एस्टीमेट बनवाने का पत्र लिखा है। उन्होंने बताया कि मुख्यालय से मंजूरी मिलने के बाद हॉल के निर्माण का कार्य शुरू हो जाएगा।