स्वास्थ्य विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव पीके महापात्रा ने सोमवार को सिविल अस्पताल का दौरा किया। अस्पताल की इमरजेंसी में डॉग बाइट की एंटी रेबिज इंजेक्शन नहीं मिलने उन्होंने सिविल सर्जन से लेकर संबंधित अधिकारी को जमकर फटकारा।
अस्पताल के बाहर जमा कचरा और इमरजेंसी के बाहर में खड़ी गाड़ियों को लेकर भी वो कार्यकारी प्रधान चिकित्सा अधिकारी पर भड़के और अस्पताल के बाहर कूड़ादान रखने की हिदायत दी। पुलिस के साथ मिलकर चालान कटवाने का निर्देश दिया।
सिविल सर्जन, डिप्टी सिविल सर्जन और प्रधान चिकित्सा अधिकारी सभी एकजुट होकर अस्पताल की व्यवस्था का जायजा लेते रहे, लेकिन इसके बावजूद अधिकारियों के कार्य से मुख्य सचिव संतुष्ट नहीं दिखे। उन्होंने अस्पताल की सुविधाओं को बेहतर करने का निर्देश दिया और अस्पताल के तमाम सुविधाओं को ऑनलाइन करने का निर्देश दिया है।
अधिकारियों के साथ बैठक लेते हुए उन्होंने गुणवत्ता आधारित काम करने को कहा। सीएसआर के तहत लगाई जाने वाली अल्ट्रासाउंड और एक्स-रे मशीन के रूम में लेड दीवार लगाने को कहा।
पीएचसी और सीएचसी में आने वाले मरीजों को टेली स्क्रीनिंग की सुविधा उपलब्ध कराने के लिए सिविल सर्जन को निर्देश दिए गए, ताकि वहां के मरीजों को यहां आने से बचाया जा सके।
अस्पताल में डॉक्टरों के अलावा तृतीय श्रेणी कर्मचारी, लैब टेक्निशियन, ऑपरेशन थियेटर के कर्मचारी आदि के लिए आउट सोर्सिंग करने का निर्देश दिया और इसके लिए प्रस्ताव बनवाकर भेजने को कहा गया।
दवा नहीं मिलने पर मरीज ने की शिकायत
कई बार मरीजों को अस्पताल में दवाई नहीं मिलती है। इस बात को लेकर मुख्य सचिव से दो महिलाओं ने शिकायत की। जिसके बाद उन्होंने अस्पताल में ओपीडी रजिस्ट्रेशन से लेकर दवाइयों को दिए जाने तक की जानकारी ऑनलाइन करने का निर्देश दिया।
अतिरिक्त मुख्य सचिव ने कहा कि अगर सबकुछ ऑनलाइन रहेगा, तो आसानी से पता चल सकेगा कि दवा कहां खपत हुई और कितनी बची है। दवा खत्म होने से पहले ही उसका इंतजाम करने के मुख्य सचिव ने निर्देश दिए।
स्वास्थ्य विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव पीके महापात्रा ने सोमवार को सिविल अस्पताल का दौरा किया। अस्पताल की इमरजेंसी में डॉग बाइट की एंटी रेबिज इंजेक्शन नहीं मिलने उन्होंने सिविल सर्जन से लेकर संबंधित अधिकारी को जमकर फटकारा।
अस्पताल के बाहर जमा कचरा और इमरजेंसी के बाहर में खड़ी गाड़ियों को लेकर भी वो कार्यकारी प्रधान चिकित्सा अधिकारी पर भड़के और अस्पताल के बाहर कूड़ादान रखने की हिदायत दी। पुलिस के साथ मिलकर चालान कटवाने का निर्देश दिया।
सिविल सर्जन, डिप्टी सिविल सर्जन और प्रधान चिकित्सा अधिकारी सभी एकजुट होकर अस्पताल की व्यवस्था का जायजा लेते रहे, लेकिन इसके बावजूद अधिकारियों के कार्य से मुख्य सचिव संतुष्ट नहीं दिखे। उन्होंने अस्पताल की सुविधाओं को बेहतर करने का निर्देश दिया और अस्पताल के तमाम सुविधाओं को ऑनलाइन करने का निर्देश दिया है।
अधिकारियों के साथ बैठक लेते हुए उन्होंने गुणवत्ता आधारित काम करने को कहा। सीएसआर के तहत लगाई जाने वाली अल्ट्रासाउंड और एक्स-रे मशीन के रूम में लेड दीवार लगाने को कहा।
पीएचसी और सीएचसी में आने वाले मरीजों को टेली स्क्रीनिंग की सुविधा उपलब्ध कराने के लिए सिविल सर्जन को निर्देश दिए गए, ताकि वहां के मरीजों को यहां आने से बचाया जा सके।
अस्पताल में डॉक्टरों के अलावा तृतीय श्रेणी कर्मचारी, लैब टेक्निशियन, ऑपरेशन थियेटर के कर्मचारी आदि के लिए आउट सोर्सिंग करने का निर्देश दिया और इसके लिए प्रस्ताव बनवाकर भेजने को कहा गया।
दवा नहीं मिलने पर मरीज ने की शिकायत
कई बार मरीजों को अस्पताल में दवाई नहीं मिलती है। इस बात को लेकर मुख्य सचिव से दो महिलाओं ने शिकायत की। जिसके बाद उन्होंने अस्पताल में ओपीडी रजिस्ट्रेशन से लेकर दवाइयों को दिए जाने तक की जानकारी ऑनलाइन करने का निर्देश दिया।
अतिरिक्त मुख्य सचिव ने कहा कि अगर सबकुछ ऑनलाइन रहेगा, तो आसानी से पता चल सकेगा कि दवा कहां खपत हुई और कितनी बची है। दवा खत्म होने से पहले ही उसका इंतजाम करने के मुख्य सचिव ने निर्देश दिए।