पूर्वी दिल्ली के मौजपुर में मंगलवार को भी हिंसाग्रस्त इलाके में बतौर पत्रकार कवरेज के लिए पहुंचा। यहां हर तरफ से उपद्रवी एक-दूसरे पर पत्थर बरसा रहे थे। इस पूरे घटनाक्रम को मैंने अपने मोबाइल में कैद करने का प्रयास किया, तभी पास से ही सैकड़ों लोगों का झुंड मुझ पर टूट पड़ा।
उन लोगों ने मेरे मोबाइल को बाकायदा खंगाला और उसके बाद अभद्र भाषा का इस्तेमाल कर मुझे वहां से बाहर जाने को कह दिया। इसी दौरान, कुछ दूर से चेहरे पर रुमाल बांधे खड़े युवक ने पत्थर बरसाने शुरू कर दिए।
एक पत्थर मेरे दाहिने पैर पर आकर लगा। दर्द के कारण कुछ देर के लिए तो मेरे लिए चलना भी मुश्किल हो गया। बात जान पर बन आई तो इसके बाद मैंने वहां से हटने में ही गनीमत समझी।
अब तक बतौर पत्रकार कई बड़ी घटनाओं को कवर कर चुका हूं, लेकिन मौजपुर में जारी हिंसा का एक नया रूप देखने को मिला। मंगलवार दोपहर करीब 12 बजे मौजपुर मेट्रो स्टेशन के नीचे खड़े होकर पूरे बवाल को कवर कर रहा था।
मेरे मोबाइल निकालते ही उपद्रवियों ने निशाने पर ले लिया। यहां से जान बचाकर निकलने के बाद मैं पुलिस के पास मदद मांगने के लिए पहुंचा। वहां अराजकता का माहौल ऐसा था कि पुलिसकर्मी भी कवरेज करने पर फटकार लगाने लगे।
इसके बाद उन्होंने मुझे तत्काल वहां से बाहर निकलने की नसीहत दे डाली। किसी तरह जान बचाकर निकलने के बाद मैंने भगवान का शुक्रिया अदा किया।
पूर्वी दिल्ली के मौजपुर में मंगलवार को भी हिंसाग्रस्त इलाके में बतौर पत्रकार कवरेज के लिए पहुंचा। यहां हर तरफ से उपद्रवी एक-दूसरे पर पत्थर बरसा रहे थे। इस पूरे घटनाक्रम को मैंने अपने मोबाइल में कैद करने का प्रयास किया, तभी पास से ही सैकड़ों लोगों का झुंड मुझ पर टूट पड़ा।
उन लोगों ने मेरे मोबाइल को बाकायदा खंगाला और उसके बाद अभद्र भाषा का इस्तेमाल कर मुझे वहां से बाहर जाने को कह दिया। इसी दौरान, कुछ दूर से चेहरे पर रुमाल बांधे खड़े युवक ने पत्थर बरसाने शुरू कर दिए।
एक पत्थर मेरे दाहिने पैर पर आकर लगा। दर्द के कारण कुछ देर के लिए तो मेरे लिए चलना भी मुश्किल हो गया। बात जान पर बन आई तो इसके बाद मैंने वहां से हटने में ही गनीमत समझी।
अब तक बतौर पत्रकार कई बड़ी घटनाओं को कवर कर चुका हूं, लेकिन मौजपुर में जारी हिंसा का एक नया रूप देखने को मिला। मंगलवार दोपहर करीब 12 बजे मौजपुर मेट्रो स्टेशन के नीचे खड़े होकर पूरे बवाल को कवर कर रहा था।
मेरे मोबाइल निकालते ही उपद्रवियों ने निशाने पर ले लिया। यहां से जान बचाकर निकलने के बाद मैं पुलिस के पास मदद मांगने के लिए पहुंचा। वहां अराजकता का माहौल ऐसा था कि पुलिसकर्मी भी कवरेज करने पर फटकार लगाने लगे।
इसके बाद उन्होंने मुझे तत्काल वहां से बाहर निकलने की नसीहत दे डाली। किसी तरह जान बचाकर निकलने के बाद मैंने भगवान का शुक्रिया अदा किया।