निर्भया के दोषी पवन ने फांसी से बचने के लिए मंडोली जेलकर्मियों पर जो मारपीट का आरोप लगाया था उस मामले में अदालत ने सुनवाई करते हुए जेल प्रशासन को 8 अप्रैल तक अपना जवाब दाखिल करने का समय दिया है। हालांकि इस केस की वजह से फांसी में कोई बाधा न आए उसका निर्देश भी अदालत ने दे दिया है।
मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट प्रियांक नायक ने केस की सुनवाई के दौरान यह साफ कर दिया है कि इस केस की वजह से अन्य मामलों और दोषियों की फांसी में कोई रुकावट नहीं आएगी।
क्या है पवन की याचिका
निर्भया के दोषी पवन गुप्ता ने अपने सारे कानूनी विकल्प समाप्त होने के बाद भी फांसी को टलवाने के लिए अदालत का रुख किया है। इस बार उसने मंडोली जेल के दो पुलिस कर्मियों पर उससे मारपीट करने का आरोप लगाया है। कोर्ट में शिकायत दायर कर उसने कहा कि मारपीट से उसके सिर में गंभीर चोट लगी है।
लिहाजा आरोपी पुलिस वालों पर एफआईआर करने का निर्देश पुलिस को दिया जाए। निर्भया के चारों दोषियों पवन, अक्षय, विनय और अक्षय को 20 मार्च की सुबह साढ़े 5 बजे फांसी दी जानी है।
कड़कड़डूमा जिला अदालत के मुख्य महानगर दंडाधिकारी ने पवन की अर्जी पर संज्ञान लेते हुए मंडोली जेल प्रशासन को नोटिस जारी कर बृहस्पतिवार यानि 12 मार्च तक जवाब मांगा है।
कोर्ट के समक्ष पवन के वकील एपी सिंह ने कहा कि जेल में उनके मुवक्किल से पुलिस कर्मियों द्वारा मारपीट उसके मानवाधिकारों का उल्लंघन है। उन्होंने कहा कि जेल में कैदी के साथ इस तरह मारपीट नहीं की जा सकती।
उन्होंने कहा कि फांसी के समय अगर किसी भी दोषी को गंभीर चोट लगी तो हो उसके उपचार तक फांसी पर रोक लगाई जानी चाहिए। उनके मुव्वकिल से मारपीट करने वाले पुलिस कर्मियों पर एफआईआर की जाए।
उल्लेखनीय है कि इससे पहले निर्भया के अन्य दोषी विनय शर्मा ने 9 मार्च को दिल्ली के उपराज्यपाल अनिल बैजल के पास अर्जी भेजकर फांसी की सजा को उम्रकैद में बदलने की गुहार लगाई थी। विनय शर्मा के वकील एपी सिंह ने धारा 432 और 433 के तहत एलजी के पास याचिका दाखिल कर अपने मुवक्किल के लिए राहत की मांग की थी।
इस याचिका में विनय ने कहा था कि उसे फांसी की सजा नहीं दी जानी चाहिए क्योंकि यह दुर्लभतम में से दुर्लभ मामलों के लिए तय है, जिनमें उम्रकैद के विकल्प की निर्विवाद रूप से मनाही है। विनय ने मांग की कि उसके बर्ताव में बदलाव, उसकी कम उम्र और परिवार की कमजोर सामाजिक एवं आर्थिक स्थिति को देखते हुए उसे राहत दी जानी चाहिए। इस मामले में पटियाला हाउस के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश धर्मेंद्र राणा ने दोषियों के खिलाफ पांच मार्च को चौथा डेथ वारंट जारी किया था।
निर्भया के दोषी पवन ने फांसी से बचने के लिए मंडोली जेलकर्मियों पर जो मारपीट का आरोप लगाया था उस मामले में अदालत ने सुनवाई करते हुए जेल प्रशासन को 8 अप्रैल तक अपना जवाब दाखिल करने का समय दिया है। हालांकि इस केस की वजह से फांसी में कोई बाधा न आए उसका निर्देश भी अदालत ने दे दिया है।
मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट प्रियांक नायक ने केस की सुनवाई के दौरान यह साफ कर दिया है कि इस केस की वजह से अन्य मामलों और दोषियों की फांसी में कोई रुकावट नहीं आएगी।
क्या है पवन की याचिका
निर्भया के दोषी पवन गुप्ता ने अपने सारे कानूनी विकल्प समाप्त होने के बाद भी फांसी को टलवाने के लिए अदालत का रुख किया है। इस बार उसने मंडोली जेल के दो पुलिस कर्मियों पर उससे मारपीट करने का आरोप लगाया है। कोर्ट में शिकायत दायर कर उसने कहा कि मारपीट से उसके सिर में गंभीर चोट लगी है।
लिहाजा आरोपी पुलिस वालों पर एफआईआर करने का निर्देश पुलिस को दिया जाए। निर्भया के चारों दोषियों पवन, अक्षय, विनय और अक्षय को 20 मार्च की सुबह साढ़े 5 बजे फांसी दी जानी है।