देशभर के अस्पतालों में दवाओं की तरह अब मरीजों की जांच भी तय होगी। प्राथमिक से लेकर जिला अस्पताल तक में मरीज को कौन-कौन सी जांच सुविधा मिलेगी? इसके लिए सरकार ने राष्ट्रीय आवश्यक जांच सूची का ड्राफ्ट भी तैयार कर लिया है। भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) ने जारी किए इस ड्राफ्ट पर आपत्ति एवं सुझाव भी मांगे हैं। इसके लिए बकायदा 31 जनवरी 2019 अंतिम तिथि तय की गई है।
दरअसल, विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की अपील पर पिछले काफी समय से केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय अस्पतालों में मेडिकल जांच तय करने की प्रक्रिया में था। ताकि मरीजों को ग्रामीण और जिला अस्पताल में मूलभूत सुविधाएं मिल सकें। इसी साल देश भर के कई विशेषज्ञों की राय के बाद ये ड्राफ्ट तैयार किया है।
ड्राफ्ट में तीन चरणों के जरिये जांच सूची तैयार की है। इसमें टेस्ट यानी मेडिकल जांच का नाम, उपकरण और सैंपल का ब्योरा तैयार किया है। इसमें प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, उप स्वास्थ्य केंद्र, हेल्थ एंड वेलनेस सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र और जिला अस्पताल के कर्मचारियों के लिए स्पष्ट गाइडलाइंस भी दी हैं।
स्वास्थ्य मंत्रालय के सूत्रों का कहना है कि इस सूची के बाद देश के हजारों छोटे स्वास्थ्य केंद्रों पर भी मरीजों को मूलभूत मेडिकल जांच सुविधाएं उपलब्ध हो सकेंगी। एनएबीएल जांच गुणवत्ताओं का पूरा ख्याल रखा जाएगा। फिलहाल ये सुविधाएं बड़े सेंटरों पर ही मिल सकती हैं।
सूची में गांव के सेंटर पर हैमोटोलॉजी, ब्लड शुगर, गर्भवती जांच इत्यादि की सुविधा मिलेगी। सब सेंटर या हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर पर टीबी, पानी, गर्भावस्था सहित करीब 14 जांच मिलेंगी। प्राइमरी सेंटर पर 60 से भी ज्यादा और जिला अस्पताल में 100 से ज्यादा जांचें है। आमतौर पर इन जांच की कीमतें करीब चार से पांच हजार रुपये में निजी लैब के जरिए होती हैं। सूची में पैथोलॉजी, बॉयोकैमिस्ट्री और माइक्रोबॉयोलॉजी के करीब 40 जांचें अस्पताल में न होने के कारण मरीज को निजी केंद्र से कराने की सुविधा दी जाएगी।
देशभर के अस्पतालों में दवाओं की तरह अब मरीजों की जांच भी तय होगी। प्राथमिक से लेकर जिला अस्पताल तक में मरीज को कौन-कौन सी जांच सुविधा मिलेगी? इसके लिए सरकार ने राष्ट्रीय आवश्यक जांच सूची का ड्राफ्ट भी तैयार कर लिया है। भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) ने जारी किए इस ड्राफ्ट पर आपत्ति एवं सुझाव भी मांगे हैं। इसके लिए बकायदा 31 जनवरी 2019 अंतिम तिथि तय की गई है।
दरअसल, विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की अपील पर पिछले काफी समय से केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय अस्पतालों में मेडिकल जांच तय करने की प्रक्रिया में था। ताकि मरीजों को ग्रामीण और जिला अस्पताल में मूलभूत सुविधाएं मिल सकें। इसी साल देश भर के कई विशेषज्ञों की राय के बाद ये ड्राफ्ट तैयार किया है।