दिल्ली विश्वविद्यालय का स्कूल ऑफ ओपन लर्निंग वीडियो लेक्चर प्रोजेक्ट में एक अनूठे प्रयोग की योजना पर काम कर रहा है। योजना के तहत शिक्षक या छात्र लेक्चर में न केवल कुछ जोड़ सकेंगे बल्कि सुधार की गुजाइंश होने पर सुधार भी कर सकेंगे।
ऐसा करने के लिए उन्हें एक क्रिएटिव लाइसेंस दिया जाएगा। यह एसओएल पर निर्भर करेगा कि यह लाइसेंस वह किसे देना चाहता है। इस योजना को अमली जामा पहनाने के लिए प्रशासन ने एक समीक्षा कमेटी भी बनाई है। यह कमेटी देखेगी कि इसमें और किस प्रकार के सुधारों की आवश्यकता है।
एसओएल में स्नातक स्तर पर उपलब्ध पाठ्यक्रमों के अंतर्गत लगभग चार लाख छात्र पढ़ते हैं। जिसमें दिल्ली समेत देश के विभिन्न राज्यों के भी छात्र होते हैं। ऐसे में छात्रों की सुविधा के लिए प्रशासन ऑडियो वीडियो लेक्चर तैयार कर रहा है। डिजिटलाइजेशन के इस दौर में ऑडियो वीडियो से पढ़ाई बेहद अहम हो गई है। चरणबद्ध तरीके से अब तक कॉमर्स, अर्थशास्त्र, संस्कृत, राजनीति शास्त्र के लेक्चर तैयार किए जा चुके हैं। अब इतिहास व हिंदी के लेक्चर तैयार करने पर काम किया जा रहा है।
कैंपस ऑफ ओपन लर्निंग के निदेशक प्रो सी.एस दुबे ने बताया 20-30 मिनट की अवधि वाले इन लेक्चर को डैशबोर्ड पर अपलोड किया जाएगा। जिससे कि छात्र इनका लाभ ले सकेंगे। उन्होंने बताया कि इन लेक्चर में आगे चलकर सुधार की जरुरत भी पड़ सकती है या फिर कोई नई बात जोडनी हो, तो ऐसे में इसमें सुधार की सुविधा देने पर काम किया जा रहा है।
उन्होंने दावा किया फिलहाल ऐसा भारत में कोई भी ओपन यूनिवर्सिटी नहीं कर रही है। विदेश में यूके की एक यूनिवर्सिटी ने ओपन लर्न लाइसेंस शुरु कर रखा है। वैसे ही हम क्रिऐटिव लाइसेंस बनाने की सोच रहे हैं। जो कोई लेक्चर में सुधार करना चाहेगा तो उसे यह बताना होगा कि वह लेक्चर में क्या सुधार करना चाहता है। उसके बाद ही प्रशासन की ओर से उसे सुधार करने के लिए लाइसेंस दिया जाएगा। उन्होंने बताया कि इसमें तीन-चार तरह केलाइसेंस तैयार करने पर विचार किया जा रहा है।
दिल्ली विश्वविद्यालय का स्कूल ऑफ ओपन लर्निंग वीडियो लेक्चर प्रोजेक्ट में एक अनूठे प्रयोग की योजना पर काम कर रहा है। योजना के तहत शिक्षक या छात्र लेक्चर में न केवल कुछ जोड़ सकेंगे बल्कि सुधार की गुजाइंश होने पर सुधार भी कर सकेंगे।