श्रम विभाग ने बृहस्पतिवार को साइकिल सहायता एवं अन्य लाभ वितरण योजना के तहत निर्माण श्रमिकों को साइकिलें और लाखों रुपये के अन्य लाभ सेक्टर-21ए स्थित नोएडा स्टेडियम में वितरित किए। मुख्य अतिथि प्रदेश सरकार के श्रम और सेवायोजन मंत्री शाहिद मंजूर ने साइकिलें बांटीं।
खास बात यह रही कि बेहद कम लोग ही थे जो उन साइकिलों पर घरों के लिए रवाना हुए। ज्यादातर कारों, बाइक और अन्य वाहनों पर इन्हें लादकर ले गए। ऐसे लोग भी साइकिल ले जाते हुए दिखाई दिए जो पढ़े-लिखे और संपन्न दिखाई दे रहे थे।
सवाल यह उठता है कि क्या जिन श्रमिकों को वास्तव में इन साइकिलों को जरूरत है, उन्हीं तक यह पहुंची हैं या फिर बड़ी संख्या में ऐसे लोगों के हाथ साइकिलें लगी हैं जिनके पास कारें, बाइक, ट्रैक्टर, टैंपो, ऑटो और अन्य वाहन हैं।
इनका हुआ वितरण
1. निर्माण पुरुष श्रमिकों को 1100 व महिलाओं को 100 साइकिलें मिलीं।
2. 48 श्रमिकों को 7 लाख 12 हजार की शिशु हित लाभ योजना के चेक बांटे गए।
4. 35 महिला श्रमिकों की पत्नियों को मातृत्व हित लाभ योजना के अंतर्गत एक लाख आठ हजार रुपये के चेक सौंपे।
5. बालिका आशीर्वाद योजना के तहत सात को कुल एक लाख चालीस हजार रुपये की एफडीआर दी गई।
6. दुर्घटना/अंत्येष्टि योजना के तहत 5.15 लाख के चेक बांटे।
7. 48 लाभार्थियों को सौर ऊर्जा उपकरण प्रदान किए गए।
8. उपश्रम आयुक्त द्वारा श्रम मंत्री को छह करोड़ साठ लाख का चेक बोर्ड के नाम भेंट किया।
खास बात यह नजर आई कि साइकिल लेने आई महिलाओं ने घूंघट डाल रखे थे। आमतौर पर महिला मजदूर घूंघट का प्रयोग नहीं करती हैं। अब ऐसे में घूंघट की आड़ में कहीं वे तो साइकिल का लाभ नहीं ले गए जिन्हें जरूरत नहीं थी।
सपा सरकार की इस योजना का हाल आप खुद ही देख लीजिए।
श्रम विभाग ने बृहस्पतिवार को साइकिल सहायता एवं अन्य लाभ वितरण योजना के तहत निर्माण श्रमिकों को साइकिलें और लाखों रुपये के अन्य लाभ सेक्टर-21ए स्थित नोएडा स्टेडियम में वितरित किए। मुख्य अतिथि प्रदेश सरकार के श्रम और सेवायोजन मंत्री शाहिद मंजूर ने साइकिलें बांटीं।
खास बात यह रही कि बेहद कम लोग ही थे जो उन साइकिलों पर घरों के लिए रवाना हुए। ज्यादातर कारों, बाइक और अन्य वाहनों पर इन्हें लादकर ले गए। ऐसे लोग भी साइकिल ले जाते हुए दिखाई दिए जो पढ़े-लिखे और संपन्न दिखाई दे रहे थे।
सवाल यह उठता है कि क्या जिन श्रमिकों को वास्तव में इन साइकिलों को जरूरत है, उन्हीं तक यह पहुंची हैं या फिर बड़ी संख्या में ऐसे लोगों के हाथ साइकिलें लगी हैं जिनके पास कारें, बाइक, ट्रैक्टर, टैंपो, ऑटो और अन्य वाहन हैं।