दस माह पहले दर्ज हुए दुष्कर्म के मामले में पुलिस की ओर से अदालत में अब तक रिपोर्ट नहीं पेश की गई है। सुनवाई के दौरान अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश आरपी गोयल की अदालत ने पुलिस को जल्द रिपोर्ट देने को कहा है।
पुलिस ने इस मामले में क्षेत्र के ही सुमित नामक युवक को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था, जो अभी भी जिला जेल में बंद है। इस मामले की सुनवाई अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश आरपी गोयल की अदालत में चल रही है।
इस मामले में अभियोजन पक्ष की चल रही गवाहियों के दौरान आरोपी ने अपने अधिवक्ता के माध्यम से अदालत से गुहार लगाई थी कि वह नाबालिग है और इसके समर्थन में उसने दिल्ली नगर निगम का जन्म प्रमाण पत्र भी प्रस्तुत किया था। अभियोजन पक्ष ने जन्म प्रमाण पत्र की सत्यता की जांच कराने का आग्रह अदालत से किया था।
अदालत ने संबंधित थाना पुलिस से इसकी जांच कराई थी, जिसमें पाया गया था कि यह जन्म प्रमाण पत्र फर्जी है। निगम द्वारा इस प्रकार का कोई प्रमाण पत्र जारी ही नहीं किया गया।
अदालत ने इस मामले में संज्ञान लेते हुए फर्जी जन्म प्रमाण पत्र बनाने वालों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने के आदेश भी दे दिए थे। अदालत ने पुलिस को आदेश दिया था कि वह जांच कर यह पता लगाएं कि फर्जी जन्म प्रमाण पत्र बनाने में किस किस की क्या भूमिका है।
पिछली तारीख पर भी पुलिस ने व्यस्तता का कारण बताकर जांच के लिए समय मांगा था। गत दिवस इस मामले की सुनवाई हुई तो पुलिस ने जांच के लिए और समय अदालत से मांगा है। अदालत ने पुलिस को जांच रिपोर्ट पेश करने के लिए आगामी 9 मई तक का समय दे दिया है।
दस माह पहले दर्ज हुए दुष्कर्म के मामले में पुलिस की ओर से अदालत में अब तक रिपोर्ट नहीं पेश की गई है। सुनवाई के दौरान अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश आरपी गोयल की अदालत ने पुलिस को जल्द रिपोर्ट देने को कहा है।
पुलिस ने इस मामले में क्षेत्र के ही सुमित नामक युवक को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था, जो अभी भी जिला जेल में बंद है। इस मामले की सुनवाई अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश आरपी गोयल की अदालत में चल रही है।
इस मामले में अभियोजन पक्ष की चल रही गवाहियों के दौरान आरोपी ने अपने अधिवक्ता के माध्यम से अदालत से गुहार लगाई थी कि वह नाबालिग है और इसके समर्थन में उसने दिल्ली नगर निगम का जन्म प्रमाण पत्र भी प्रस्तुत किया था। अभियोजन पक्ष ने जन्म प्रमाण पत्र की सत्यता की जांच कराने का आग्रह अदालत से किया था।
अदालत ने संबंधित थाना पुलिस से इसकी जांच कराई थी, जिसमें पाया गया था कि यह जन्म प्रमाण पत्र फर्जी है। निगम द्वारा इस प्रकार का कोई प्रमाण पत्र जारी ही नहीं किया गया।
अदालत ने इस मामले में संज्ञान लेते हुए फर्जी जन्म प्रमाण पत्र बनाने वालों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने के आदेश भी दे दिए थे। अदालत ने पुलिस को आदेश दिया था कि वह जांच कर यह पता लगाएं कि फर्जी जन्म प्रमाण पत्र बनाने में किस किस की क्या भूमिका है।
पिछली तारीख पर भी पुलिस ने व्यस्तता का कारण बताकर जांच के लिए समय मांगा था। गत दिवस इस मामले की सुनवाई हुई तो पुलिस ने जांच के लिए और समय अदालत से मांगा है। अदालत ने पुलिस को जांच रिपोर्ट पेश करने के लिए आगामी 9 मई तक का समय दे दिया है।