नई दिल्ली। दिल्ली नगर निगमों के लिए चुनाव आयुक्त के रूप में दिल्ली के मुख्य सचिव विजय देव की नियुक्ति को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई है। यह याचिका भाजपा के पूर्व विधायक नंद किशोर गर्ग ने दायर की है। याचिका पर मुख्य न्यायाधीश डीएन पटेल और न्यायमूर्ति ज्योति सिंह की पीठ के समक्ष बुधवार को सुनवाई होगी।
अधिवक्ता शशांक देव सुधी के माध्यम से दायर याचिका में तर्क दिया गया है कि नियुक्ति संविधान के अनुच्छेद के उल्लंघन में की गई है जो स्वतंत्र चुनाव आयुक्त की नियुक्ति का प्रावधान करता है। याचिका में कहा गया है कि दिल्ली में आगामी नगर निगम चुनावों को प्रभावित करने के लिए निहित स्वार्थों के साथ यह कदम उठाया गया है।
दिल्ली सरकार ने अपने अतिरिक्त सचिव के माध्यम से 25 नवंबर को एक अधिसूचना जारी कर मौजूदा मुख्य सचिव विजय देव को दिल्ली नगर निगमों के चुनाव के लिए छह साल के के लिए चुनाव आयुक्त नियुक्त किया है। नियुक्ति 24 अप्रैल 2022 से प्रभावी होगी। हालांकि वह मार्च 2023 तक सरकारी सेवा में बने रहेंगे।
याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि नियुक्ति राजनीति से प्रेरित है क्योंकि मुख्य सचिव को दिल्ली सरकार के सभी प्रशासनिक और नीतिगत फैसलों की जानकारी है और चुनाव आयुक्त का पद धारण करने से चुनाव प्रक्रिया के परिणाम में हेरफेर की संभावना है।
याची ने कहा इस नियुक्ति ने दिल्ली नगर निगम में चुनाव प्रचार की संस्थागत अखंडता की निष्पक्षता और निष्पक्षता को गंभीर रूप से कम कर दिया है, क्योंकि मौजूदा मुख्य सचिव अब निश्चित रूप से दिल्ली सरकार की कमान के अधीन होंगे क्योंकि सरकार ने मौजूदा मुख्य सचिव की सरकारी नौकरी को और पांच साल तक जारी रखना सुनिश्चित किया है।
याचिका के अनुसार चुनाव किसी भी लोकतंत्र के लिए जीवनदायिनी है। इससे समझौता करने और पतित होने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। चुनाव अधिकारी की नियुक्ति का मुद्दा नहीं सुलझा है। इस मुद्दे की शीर्ष अदालत द्वारा बार-बार जांच की गई है और यह माना जाता है कि मुख्य चुनाव आयुक्त या चुनाव आयुक्त की नियुक्ति के लिए योग्य उम्मीदवार का त्रुटिहीन इतिहास होना चाहिए।
उन्होंने कहा सर्वोच्च न्यायालय के अनुसार नौकरशाह को चुनाव का अतिरिक्त प्रभार लोकतंत्र का मजाक है क्योंकि चुनाव प्रक्रिया को प्रभावित करने की बहुत संभावना है। याची ने चुनाव आयुक्त के रूप में मुख्य सचिव की नियुक्ति को रद्द करने के साथ ही चुनाव आयुक्त की नियुक्ति के लिए व्यापक दिशानिर्देश तैयार करने की मांग की है।
नई दिल्ली। दिल्ली नगर निगमों के लिए चुनाव आयुक्त के रूप में दिल्ली के मुख्य सचिव विजय देव की नियुक्ति को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई है। यह याचिका भाजपा के पूर्व विधायक नंद किशोर गर्ग ने दायर की है। याचिका पर मुख्य न्यायाधीश डीएन पटेल और न्यायमूर्ति ज्योति सिंह की पीठ के समक्ष बुधवार को सुनवाई होगी।
अधिवक्ता शशांक देव सुधी के माध्यम से दायर याचिका में तर्क दिया गया है कि नियुक्ति संविधान के अनुच्छेद के उल्लंघन में की गई है जो स्वतंत्र चुनाव आयुक्त की नियुक्ति का प्रावधान करता है। याचिका में कहा गया है कि दिल्ली में आगामी नगर निगम चुनावों को प्रभावित करने के लिए निहित स्वार्थों के साथ यह कदम उठाया गया है।
दिल्ली सरकार ने अपने अतिरिक्त सचिव के माध्यम से 25 नवंबर को एक अधिसूचना जारी कर मौजूदा मुख्य सचिव विजय देव को दिल्ली नगर निगमों के चुनाव के लिए छह साल के के लिए चुनाव आयुक्त नियुक्त किया है। नियुक्ति 24 अप्रैल 2022 से प्रभावी होगी। हालांकि वह मार्च 2023 तक सरकारी सेवा में बने रहेंगे।
याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि नियुक्ति राजनीति से प्रेरित है क्योंकि मुख्य सचिव को दिल्ली सरकार के सभी प्रशासनिक और नीतिगत फैसलों की जानकारी है और चुनाव आयुक्त का पद धारण करने से चुनाव प्रक्रिया के परिणाम में हेरफेर की संभावना है।
याची ने कहा इस नियुक्ति ने दिल्ली नगर निगम में चुनाव प्रचार की संस्थागत अखंडता की निष्पक्षता और निष्पक्षता को गंभीर रूप से कम कर दिया है, क्योंकि मौजूदा मुख्य सचिव अब निश्चित रूप से दिल्ली सरकार की कमान के अधीन होंगे क्योंकि सरकार ने मौजूदा मुख्य सचिव की सरकारी नौकरी को और पांच साल तक जारी रखना सुनिश्चित किया है।
याचिका के अनुसार चुनाव किसी भी लोकतंत्र के लिए जीवनदायिनी है। इससे समझौता करने और पतित होने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। चुनाव अधिकारी की नियुक्ति का मुद्दा नहीं सुलझा है। इस मुद्दे की शीर्ष अदालत द्वारा बार-बार जांच की गई है और यह माना जाता है कि मुख्य चुनाव आयुक्त या चुनाव आयुक्त की नियुक्ति के लिए योग्य उम्मीदवार का त्रुटिहीन इतिहास होना चाहिए।
उन्होंने कहा सर्वोच्च न्यायालय के अनुसार नौकरशाह को चुनाव का अतिरिक्त प्रभार लोकतंत्र का मजाक है क्योंकि चुनाव प्रक्रिया को प्रभावित करने की बहुत संभावना है। याची ने चुनाव आयुक्त के रूप में मुख्य सचिव की नियुक्ति को रद्द करने के साथ ही चुनाव आयुक्त की नियुक्ति के लिए व्यापक दिशानिर्देश तैयार करने की मांग की है।