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coronavirus delhi Less admission in Delhi hospitals, adults recovering in five days, pneumonia is not happening
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राहत: दिल्ली के अस्पतालों में भर्ती हो रही कम, पांच दिन में ठीक हो रहे वयस्क, नहीं हो रहा निमोनिया
अमर उजाला नेटवर्क, नई दिल्ली
Published by: शाहरुख खान
Updated Fri, 21 Jan 2022 12:02 AM IST
सार
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने दिल्ली का उदाहरण देते हुए बताया कि देश में कोरोना की इस नई लहर का असर टीकाकरण के जरिए काफी हद तक कम करने में कामयाबी मिली है। केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण ने बताया कि दिल्ली में 99 फीसदी कोरोना संक्रमित मरीजों में बुखार, कफ और गले में खरास या फिर दर्द जैसे लक्षण मिल रहे हैं।
फाइल फोटो
- फोटो : पीटीआई
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दिल्ली के अस्पतालों में अब मरीजों की भर्ती कम हो रही है। जिन वयस्क लोगों में संक्रमण की पुष्टि हो रही है, उनमें औसतन पांच दिन बाद रिकवरी भी हो रही हैं। बृहस्पतिवार को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने दिल्ली का उदाहरण देते हुए बताया कि देश में कोरोना की इस नई लहर का असर टीकाकरण के जरिए काफी हद तक कम करने में कामयाबी मिली है।
केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण ने बताया कि दिल्ली में 99 फीसदी कोरोना संक्रमित मरीजों में बुखार, कफ और गले में खरास या फिर दर्द जैसे लक्षण मिल रहे हैं। इनके अलावा मांसपेशियों में कमजोरी या फिर थकावट भी महसूस की जा रही है। इनमें से अधिकांश रोगी अपने घरों में रहकर ठीक हो रहे हैं। औसतन पांचवें दिन इन मरीजों में लक्षण खत्म हो जा रहे हैं।
इसी तरह 11 से 18 वर्ष तक की आयु की बात करें तो इन संक्रमित रोगियों में बुखार सबसे अधिक देखने को मिल रहा है। साथ ही इस आयुवर्ग में कोरोना का वायरस ऊपरी श्वसन तंत्र से नीचे नहीं आ रहा है। इसका मतलब यह है कि इन रोगियों को बहुत अधिक परेशानी नहीं हो रही है।
साथ ही मरीजों में निमोनिया अब देखने को नहीं मिल रहा है। जब ऊपरी श्वसन तंत्र से वायरस नीचे फेफड़ों की ओर जाता है तो एक निमोनिया की स्थिति बनती है जो पहले की लहर में यह स्थिति काफी देखने को मिली थी लेकिन वर्तमान में ऐसे काफी कम मामले हैं।
दरअसल दिल्ली के अस्पतालों में कुछ दिन पहले ही कोरोना संक्रमण की स्थिति के बारे में जानकारी हासिल करने के लिए केंद्र सरकार के नेशनल सेंटर फॉर डिजीट कंट्रोल (एनसीडीसी) ने एक दौरा किया था। इस दौरान एनसीडीसी की टीम ने दिल्ली एम्स, सफदरजंग अस्पताल, आरएमएल, लोकनायक अस्पताल और लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज में भर्ती कोरोना मरीजों के बारे में जानकारी एकत्रित की।
इसी जानकारी के आधार पर टीम ने एक रिपोर्ट तैयार कर स्वास्थ्य मंत्रालय को सौंपी थी, जिसके आधार पर मंत्रालय ने गणितीय मॉडल के जरिए दिल्ली के वर्तमान हालातों के बारे में बताया। दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन भी कई बार अस्पतालों में संक्रमित रोगियों की भर्ती दर कम होने और पहले की तुलना में वर्तमान स्थिति काफी नियंत्रण में होने की जानकारी भी दे चुके हैं।
पिछली लहरों से बेहतर है दिल्ली अभी
स्वास्थ्य सचिव ने बताया कि दिल्ली में अब तक कोरोना की चार लहर देखी जा चुकी हैं। पांचवीं लहर का सामना वर्तमान में किया जा रहा है। इन सभी लहर की आपस में तुलना करते हैं तो यह पता चलता है कि पहली लहरों की तुलना में अब अस्पतालों में भर्ती होने वाले रोगियों की दर काफी कम है।
10 दिन में यह मिले हालात
रिपोर्ट के अनुसार इस साल बीते नौ से 19 जनवरी के बीच दिल्ली में रोजाना हजारों की संख्या में लोग संक्रमित मिले हैं। साथ ही सक्रिय रोगियों की संख्या भी 90,000 तक पहुंची, लेकिन इस बीच अस्पतालों में भर्ती होने वाले दैनिक मरीजों की संख्या 1618 से बढ़कर 2624 तक ही पहुंची है। जबकि इसी अवधि में दैनिक संक्रमित रोगियों की संख्या 22,751 से कम होकर 13,785 तक दर्ज की गई है। वहीं, सक्रिय मरीजों की संख्या 60,733 से बढ़कर 75,282 तक पहुंची है। 14 से 15 जनवरी के बीच सक्रिय मरीजों की यह संख्या 93,407 तक पहुंच गई थी।
विस्तार
दिल्ली के अस्पतालों में अब मरीजों की भर्ती कम हो रही है। जिन वयस्क लोगों में संक्रमण की पुष्टि हो रही है, उनमें औसतन पांच दिन बाद रिकवरी भी हो रही हैं। बृहस्पतिवार को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने दिल्ली का उदाहरण देते हुए बताया कि देश में कोरोना की इस नई लहर का असर टीकाकरण के जरिए काफी हद तक कम करने में कामयाबी मिली है।
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केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण ने बताया कि दिल्ली में 99 फीसदी कोरोना संक्रमित मरीजों में बुखार, कफ और गले में खरास या फिर दर्द जैसे लक्षण मिल रहे हैं। इनके अलावा मांसपेशियों में कमजोरी या फिर थकावट भी महसूस की जा रही है। इनमें से अधिकांश रोगी अपने घरों में रहकर ठीक हो रहे हैं। औसतन पांचवें दिन इन मरीजों में लक्षण खत्म हो जा रहे हैं।
इसी तरह 11 से 18 वर्ष तक की आयु की बात करें तो इन संक्रमित रोगियों में बुखार सबसे अधिक देखने को मिल रहा है। साथ ही इस आयुवर्ग में कोरोना का वायरस ऊपरी श्वसन तंत्र से नीचे नहीं आ रहा है। इसका मतलब यह है कि इन रोगियों को बहुत अधिक परेशानी नहीं हो रही है।
साथ ही मरीजों में निमोनिया अब देखने को नहीं मिल रहा है। जब ऊपरी श्वसन तंत्र से वायरस नीचे फेफड़ों की ओर जाता है तो एक निमोनिया की स्थिति बनती है जो पहले की लहर में यह स्थिति काफी देखने को मिली थी लेकिन वर्तमान में ऐसे काफी कम मामले हैं।
दरअसल दिल्ली के अस्पतालों में कुछ दिन पहले ही कोरोना संक्रमण की स्थिति के बारे में जानकारी हासिल करने के लिए केंद्र सरकार के नेशनल सेंटर फॉर डिजीट कंट्रोल (एनसीडीसी) ने एक दौरा किया था। इस दौरान एनसीडीसी की टीम ने दिल्ली एम्स, सफदरजंग अस्पताल, आरएमएल, लोकनायक अस्पताल और लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज में भर्ती कोरोना मरीजों के बारे में जानकारी एकत्रित की।
इसी जानकारी के आधार पर टीम ने एक रिपोर्ट तैयार कर स्वास्थ्य मंत्रालय को सौंपी थी, जिसके आधार पर मंत्रालय ने गणितीय मॉडल के जरिए दिल्ली के वर्तमान हालातों के बारे में बताया। दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन भी कई बार अस्पतालों में संक्रमित रोगियों की भर्ती दर कम होने और पहले की तुलना में वर्तमान स्थिति काफी नियंत्रण में होने की जानकारी भी दे चुके हैं।
पिछली लहरों से बेहतर है दिल्ली अभी
स्वास्थ्य सचिव ने बताया कि दिल्ली में अब तक कोरोना की चार लहर देखी जा चुकी हैं। पांचवीं लहर का सामना वर्तमान में किया जा रहा है। इन सभी लहर की आपस में तुलना करते हैं तो यह पता चलता है कि पहली लहरों की तुलना में अब अस्पतालों में भर्ती होने वाले रोगियों की दर काफी कम है।
10 दिन में यह मिले हालात
रिपोर्ट के अनुसार इस साल बीते नौ से 19 जनवरी के बीच दिल्ली में रोजाना हजारों की संख्या में लोग संक्रमित मिले हैं। साथ ही सक्रिय रोगियों की संख्या भी 90,000 तक पहुंची, लेकिन इस बीच अस्पतालों में भर्ती होने वाले दैनिक मरीजों की संख्या 1618 से बढ़कर 2624 तक ही पहुंची है। जबकि इसी अवधि में दैनिक संक्रमित रोगियों की संख्या 22,751 से कम होकर 13,785 तक दर्ज की गई है। वहीं, सक्रिय मरीजों की संख्या 60,733 से बढ़कर 75,282 तक पहुंची है। 14 से 15 जनवरी के बीच सक्रिय मरीजों की यह संख्या 93,407 तक पहुंच गई थी।
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