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Kadri Gopalnath Birth Anniversary: know about Padma Shri Awardee Late Indian alto saxophonist
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Kadri Gopalnath: कादरी गोपालनाथ ने कर्नाटक संगीत को सैक्सोफोन पर दिलाई थी नई पहचान, 20 वर्ष तक की थी मेहनत
एंटरटेनमेंट डेस्क, अमर उजाला
Published by: ज्योति राघव
Updated Tue, 06 Dec 2022 07:27 AM IST
सार
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रिपोर्ट्स के मुताबिक अपने पश्चिमी सैक्सोफोन को भारतीय शास्त्रीय संगीत के अनुकूल बनाने के लिए कादरी गोपालनाथ ने अपने वाद्य यंत्र को खुद मॉडिफाई किया था।
आज कादरी गोपालनाथ की बर्थ एनिवर्सरी है। पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित कादरी गोपालनाथ विश्व प्रसिद्ध सैक्सोफोनिस्ट थे। सैक्सोफोन पर कर्नाटक संगीत वादन को लोकप्रिय बनाने का श्रेय कादरी गोपालनाथ को जाता है। रिपोर्ट्स के मुताबिक गोपालनाथ को सैक्सोफोन में पारंगत होने के लिए करीब 20 साल तक मेहनत करनी पड़ी थी। रिपोर्ट्स के मुताबिक कादरी गोपालनाथ ने बचपन में मैसूर पैलेस बैंड के सेट पर सैक्सोफोन सुना, जहां से उन्हें इसे सीखने की प्रेरणा मिली थी। आइए जानते हैं इनके बारे में...
करनी पड़ी कड़ी मेहनत
कादरी कोपालनथा का जन्म 6 दिसंबर 1949 को टवाल तालुक के नागरी में थनियप्पा और गंगम्मा के घर हुआ था। कादरी को सैक्सोफोन की प्रारंभिक शिक्षा उनके पिता ने दी थी। जब उनके पिता कादरी चले गए तो उन्हें संगीत विद्वान एन गोपालकृष्ण अय्यर से कर्नाटिक संगीत सीखने का मौका मिला। सैक्सोफोन एक पश्चिमी वाद्य यंत्र था और उस पर कर्नाटक संगीत बजाना मुश्किल था, इसलिए गोपालनाथ को काफी कड़ी मेहनत करनी पड़ी। रिपोर्ट्स के मुताबिक अपने पश्चिमी सैक्सोफोन को भारतीय शास्त्रीय संगीत के अनुकूल बनाने के लिए कादरी गोपालनाथ ने अपने वाद्य यंत्र को खुद मॉडिफाई किया था।
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इस तरह करते थे अभ्यास
रिपोर्ट्स के मुताबिक क्लास के बाद वह कादरी जोगी मठ के पास पांडव गुहे में बैठा करते थे और अभ्यास किया करते। एक बार एक बातचीत के दौरान उन्होंने कहा था, 'उन दिनों जोगी मठ का इलाका खाली रहता था और मुझे प्रैक्टिस करने और कौशल सुधारने के लिए यह सबसे अच्छी जगह होती थी। यह जगह पेड़ों से भरी थी और प्रकृति से मुझे अपने लक्ष्य पर ध्यान केंद्रित करने में मदद मिलती थी। यहां कम मौकों के कारण मैं चेन्नै चला गया और टीवी गोपालकृष्णन में मुझे सबसे अच्छा गुरु मिला।' उन्होंने यह भी कहा था, 'दुनियाभर के मंचों पर प्रस्तुति देकर मैं खुद को खुशनसीब मानता हूं, लेकिन मंगलूरु ने मुझे वह मंच दिया और मेरे करियर की नींव रखी।' रिपोर्ट्स के मुताबिक कादरी गोपालनाथ मंगलूरु में होने वाले हर कार्यक्रम, खासकर कादरी मंदिर के भगवान मंजूदेव के सालाना जश्न में जरूर शामिल होते थे।
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यक्षगान से जुटाईं जानकारियां
रिपोर्ट्स के मुताबिक कादरी गोपालनाथ को सैक्सोफोन में पारंगत होने के लिए करीब 20 वर्ष लगे थे। कर्नाटक संगीत के लीजेंड सम्मनगुडी श्रीनिवास अय्यर ने उन्हें कर्नाटक संगीत का जीनियस कहा था। कादरी ने एक बातचीत के दौरान कहा था कि उन्होंने यक्षगान के जरिए महान काव्यों और ग्रंथों के बारे में जाना। उन्होंने बताया, 'जब मैं छोटा था तो 25 पैसे का टिकट लेकर पहली सीट पर बैठकर यक्षगान देखता था। इससे मुझे रामायण और महाभारत के बारे में जानने में मदद मिली।' अपनी कला के लिए कादरी गोपालनाथ को तमाम सम्मान दिए गए। उन्हें संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार और कर्नाटक कलश्री समेत कई पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। वर्ष 2004 में उन्हें पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया था। बता दें कि 11 अक्तूबर 2019 को दिल का दौरा पड़ने से उनका निधन हो गया।
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