गोरखपुर महिला अस्पताल की संविदाकर्मी शहाना निशा उर्फ सुहानी की मौत के मामले में पुलिस की आत्महत्या की थ्योरी पर सवाल उठने पर रविवार को आरोपी दरोगा राजेंद्र सिंह के खिलाफ आत्महत्या के लिए उकसाने (306 आईपीसी) का केस दर्ज कर लिया गया। एलआईयू में तैनात आरोपी दरोगा को कोतवाली पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। पुलिस के इस कदम से शहाना और उसके साल भर के बेटे के लिए न्याय की उम्मीद जग गई है। शनिवार को कोतवाली पुलिस ने इस मामले को दफन करने के साथ ही आरोपी के राहत का पूरा इंतजाम कर दिया था।
शहाना की मौत 15 अक्तूबर को हुई थी। उसकी लाश घर में दुपट्टे से लटकी मिली। उसको सात माह से मानदेय नहीं मिला था, लिहाजा कोतवाली पुलिस ने पोस्टमार्टम रिपोर्ट, और आर्थिक तंगी के हवाले से इसे सीधे आत्महत्या का मामला बता दिया। वैसे पुलिस ने घटना के तत्काल बाद घटनास्थल की अन्य परिस्थितियों को नजरअंदाज नहीं किया और शहाना की मौत का प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष कारण बने दरोगा राजेंद्र सिंह को हिरासत में ले लिया। यहां तक सब ठीक चला, मगर शनिवार को कोतवाली पुलिस ने ट्रैक बदल दिया। उनकी आंखों पर आत्महत्या का ऐसा चश्मा चढ़ा कि और कुछ दिखाई देना बंद हो गया।
परिजन लगातार हत्या का आरोप लगा रहे थे। उनका कहना था कि शहाना की हत्या करके खुदकुशी का रूप दिया गया है। वे हत्या के लिए गोरखपुर एलआईयू में तैनात बलिया जिले के रहने वाले दरोगा राजेन्द्र सिंह पर आरोप लगा रहे थे। परिजनों के हत्या के आरोप कोतवाली पुलिस के कानों से टकराकर इधर-उधर जाने लगे।
केस दर्ज करने के लिए कोतवाली पुलिस और अफसरों के बीच 60 घंटे तक माथापच्ची होती रही। दो दिन तक तो तहरीर न मिलने का कोतवाली पुलिस ने हवाला दिया। रविवार सुबह मीडिया ने कोतवाली पुलिस को वह चश्मा उतारने के लिए मजबूर कर दिया। नतीजा, रविवार को पूरे दिन शहाना की मां-बहन और भाई तथा रिश्तेदारों को कोतवाली थाने में पुलिस अफसरों के साथ ही एलआईयू के अफसर समझाते रहे। तहरीर लिखी जाती रही और फाड़ी जाती रही। रविवार देर शाम कोतवाली इंस्पेक्टर कल्याण सिंह सागर ने बताया कि शहाना की मां की तहरीर पर केस दर्ज किया गया है।
एसएसपी डॉ. विपिन ताडा ने बताया कि आत्महत्या के लिए उकसाने का केस दर्ज करके आरोपित दरोगा को गिरफ्तार कर लिया गया है। आगे अनुसंधान में जैसे साक्ष्य मिलेंगे, वैसा किया जाएगा। मामले की जांच जारी है। बच्चा किसका है, यह भी जांच के दायरे में है। बच्चे का वाजिब हक उसे मिलेगा। इसके लिए वैज्ञानिक जांच की जरूरत पड़ी तो वह करवाई जाएगी।
विस्तार
गोरखपुर महिला अस्पताल की संविदाकर्मी शहाना निशा उर्फ सुहानी की मौत के मामले में पुलिस की आत्महत्या की थ्योरी पर सवाल उठने पर रविवार को आरोपी दरोगा राजेंद्र सिंह के खिलाफ आत्महत्या के लिए उकसाने (306 आईपीसी) का केस दर्ज कर लिया गया। एलआईयू में तैनात आरोपी दरोगा को कोतवाली पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। पुलिस के इस कदम से शहाना और उसके साल भर के बेटे के लिए न्याय की उम्मीद जग गई है। शनिवार को कोतवाली पुलिस ने इस मामले को दफन करने के साथ ही आरोपी के राहत का पूरा इंतजाम कर दिया था।
शहाना की मौत 15 अक्तूबर को हुई थी। उसकी लाश घर में दुपट्टे से लटकी मिली। उसको सात माह से मानदेय नहीं मिला था, लिहाजा कोतवाली पुलिस ने पोस्टमार्टम रिपोर्ट, और आर्थिक तंगी के हवाले से इसे सीधे आत्महत्या का मामला बता दिया। वैसे पुलिस ने घटना के तत्काल बाद घटनास्थल की अन्य परिस्थितियों को नजरअंदाज नहीं किया और शहाना की मौत का प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष कारण बने दरोगा राजेंद्र सिंह को हिरासत में ले लिया। यहां तक सब ठीक चला, मगर शनिवार को कोतवाली पुलिस ने ट्रैक बदल दिया। उनकी आंखों पर आत्महत्या का ऐसा चश्मा चढ़ा कि और कुछ दिखाई देना बंद हो गया।
परिजन लगातार हत्या का आरोप लगा रहे थे। उनका कहना था कि शहाना की हत्या करके खुदकुशी का रूप दिया गया है। वे हत्या के लिए गोरखपुर एलआईयू में तैनात बलिया जिले के रहने वाले दरोगा राजेन्द्र सिंह पर आरोप लगा रहे थे। परिजनों के हत्या के आरोप कोतवाली पुलिस के कानों से टकराकर इधर-उधर जाने लगे।
केस दर्ज करने के लिए कोतवाली पुलिस और अफसरों के बीच 60 घंटे तक माथापच्ची होती रही। दो दिन तक तो तहरीर न मिलने का कोतवाली पुलिस ने हवाला दिया। रविवार सुबह मीडिया ने कोतवाली पुलिस को वह चश्मा उतारने के लिए मजबूर कर दिया। नतीजा, रविवार को पूरे दिन शहाना की मां-बहन और भाई तथा रिश्तेदारों को कोतवाली थाने में पुलिस अफसरों के साथ ही एलआईयू के अफसर समझाते रहे। तहरीर लिखी जाती रही और फाड़ी जाती रही। रविवार देर शाम कोतवाली इंस्पेक्टर कल्याण सिंह सागर ने बताया कि शहाना की मां की तहरीर पर केस दर्ज किया गया है।
एसएसपी डॉ. विपिन ताडा ने बताया कि आत्महत्या के लिए उकसाने का केस दर्ज करके आरोपित दरोगा को गिरफ्तार कर लिया गया है। आगे अनुसंधान में जैसे साक्ष्य मिलेंगे, वैसा किया जाएगा। मामले की जांच जारी है। बच्चा किसका है, यह भी जांच के दायरे में है। बच्चे का वाजिब हक उसे मिलेगा। इसके लिए वैज्ञानिक जांच की जरूरत पड़ी तो वह करवाई जाएगी।