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पंजाब में जरूरतमंद और आधारहीन लोगों के लिए जारी सामाजिक कल्याण योजनाओं में फर्जीवाड़े के नए-नए खुलासे हो रहे हैं। करीब दो माह पहले 90248 ऐसे लोगों को बुढ़ापा पेंशन दी जाती रही, जिनकी मृत्यु हो चुकी थी। अब करीब 2 लाख लोगों द्वारा फर्जी दिव्यांगता सर्टिफिकेट बनवाकर सरकारी योजनाओं का लाभ लिए जाने का खुलासा हुआ है। इस घोटाले की जांच के लिए सामाजिक न्याय, आधिकारिता एवं अल्पसंख्यक मामलों की मंत्री डॉ. बलजीत कौर ने विभाग के दो सीनियर अधिकारियों की कमेटी का गठन कर दिया है। इस कमेटी का नेतृत्व मंत्री स्वयं कर रही हैं।
एक दिसंबर को डॉ. बलजीत कौर की तरफ से प्रदेश के सरकारी विभागों में कार्यरत 11000 दिव्यांग अफसरों और मुलाजिमों के दिव्यांगता सर्टिफिकेटों की जांच के आदेश जारी किए थे। इस आदेश के तहत सभी विभागों, बोर्ड-कारपोरेशनों के प्रबंध सचिवों को भेजे गए पत्र में दिव्यांगता सर्टिफिकेटों की पीजीआई चंडीगढ़ से जांच करवाकर 10 दिन में रिपोर्ट सौंपने को कहा गया है। इस फैसले के तहत संबंधित दिव्यांगों की फिजिकल वेरिफिकेशन होगी। यह मामला कुछ मुलाजिम संगठनों द्वारा विभाग को भेजी गई शिकायतों और उन पर सामाजिक न्याय के दिव्यांग सेल द्वारा की गई जांच में उजागर हुआ है। इसके साथ ही, मंत्री द्वारा गठित दो सदस्यीय कमेटी ने सभी जिलों से घोषित दिव्यांगों के सर्टिफिकेटों का डाटा एकत्र करना शुरू कर दिया, जिनके आधार पर संबंधित दिव्यांग की फिजिकल वेरिफिकेशन भी कराई जाएगी।
सामाजिक न्याय, आधिकारिता एवं अल्पसंख्यक विभाग के आंकड़ों के अनुसार, पंजाब में विभिन्न व्याधियों के चलते दिव्यांग लोगों की संख्या चार लाख है, लेकिन इस संबंध में विभाग को मिल रही शिकायतों पर जैसे-जैसे जांच आगे बढ़ रही है, यह साफ हो गया है कि करीब 50 फीसदी दिव्यांगता सर्टिफिकेट फर्जी तरीके से बनवाए गए हैं। राज्य सरकार की तरफ से इन दिव्यागों को 13.80 करोड़ रुपये पेंशन के रूप में दिए जा रहे हैं और यह सिलसिला पिछली शिअद-भाजपा और कांग्रेस सरकारों के समय से जारी है।
इस संबंध में सामाजिक न्याय, आधिकारिता एवं अल्पसंख्यक मामलों की मंत्री डॉ. बलजीत कौर ने कहा है कि मृत लोगों को जा रही बुढ़ापा पेंशन की राशि वापस ली गई है और अब दिव्यांगता सर्टिफिकेटों की जांच के बाद योग्य लाभपात्रों को ही पेंशन व अन्य सुविधाएं दी जाएंगी। फर्जी सर्टिफिकेट से सुविधाएं ले रहे लोगों से वसूली की जाएगी।