स्टेट यूनिवर्सिटी ऑफ परफार्मिंग एंड विजुअल आर्ट्स में 4 दिनों से चल रही हड़ताल शुक्रवार को बवाल में बदल गई। यूनिवर्सिटी में हड़ताल के पांचवें दिन अभिभावकों की मौजूदगी में पुलिस के सामने ही स्टाफ और छात्रों के बीच हाथापाई हुई, जिसमें दो कर्मियों के कपड़े तक फट गए। छात्रों की मांगों पर मंथन करने पहुंचे अभिभावकों के साथ प्रबंधक बंद कांफ्रेंस हॉल में मीटिंग करना चाहता था।
बताया जा रहा है कि कमरे में अभिभावकों को छात्र-छात्राओं की विवि में बर्ताव से जुड़ी एक वीडियो क्लिप प्रोजेक्टर पर दिखाई जा रही थी। इसी बात पर छात्र भड़क गए और हॉल खुलवाने को लेकर कर्मचारियों से भिड़ गए। बवाल के बाद एसडीएम और पुलिस बल की मौजूदगी में प्रबंधन, अभिभावक और छात्रों की मीटिंग शुरू हुई। तीन घंटे तक चली मीटिंग में भी कोई रास्ता नहीं निकल सका। आखिर में अभिभावकों और बच्चों की 10 सदस्यीय कमेटी बनाई गई, जिसे प्रबंधन की ओर से 25 मई तक मांगें पूरी करने का आश्वासन दिया गया है। अगली मीटिंग तक छात्रों ने हड़ताल स्थगित कर दी है।
दरअसल, यूनिवर्सिटी में सोमवार से हड़ताल चल रही थी। शुक्रवार को छात्रों के अभिभावक प्रबंधन से वार्ता करने के लिए पहुंचे। यूनिवर्सिटी के कांफ्रेंस हॉल में वीसी अश्वनी सब्बरवाल समेत सभी फैकल्टी की मौजूदगी में अभिभावकों को अंदर बुला दिया गया और छात्रों को बाहर रखा गया। वहां पर अभिभावकों को प्रोजेक्टर के माध्यम से छात्रों के अभद्र व्यवहार से जुड़ी वीडियो क्लिप दिखाई जाने लगी। बाहर बैठे छात्रों को इसका पता चला तो वे भड़क गए और अंदर जाने लगे। लेकिन बाहर तैनात स्टाफ के लोगों ने गेट बंद कर दिया और किसी को भी अंदर नहीं जाने दिया गया। छात्र-छात्राओं ने यूनिवर्सिटी प्रशासन के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। इसी बीच पुलिस भी मौके पर पहुंच गई।
पुलिस ने भी छात्रों को बाहर रहने के लिए समझाया, लेकिन छात्र तैयार नहीं हुए। मामला इतना बढ़ा कि छात्रों और गेट पर खड़े कर्मियों में अंदर जाने के लिए पुलिस के सामने ही हाथापाई शुरू हो गई। हाथापाई और धक्का-मुक्की में यूनिवर्सिटी के चालक सुभाष और डाटा एंट्री ऑपरेटर जितेंद्र के कपड़े भी फट गए। गुस्साए छात्रों ने कर्मियों को गेट से हटा दिया और अंदर जा घुसे। वहां पर अभिभावकों और छात्रों ने प्रबंधन से सवाल-जवाब किए, लेकिन रास्ता नहीं निकला। कुछ देर बाद एसडीएम डॉ. मुनीष नागपाल और डीएसपी विवेक चौधरी पहुंच गए। एसडीएम ने एक-एक कर मांगें सुनीं।
भीड़ में समाधान नहीं होता देख 5 अभिभावकों और 5 छात्रों की दस सदस्यीय कमेटी बनवाई गई। डीन डीएस कपूर के कार्यालय में कमेटी की बैठक हुईं, लेकिन वहां भी कोई समाधान नहीं हो सका। आखिर में प्रबंधन ने आश्वासन दिया कि 25 मई तक मांगें पूरी कर दी जाएंगी। इस अवधि के बाद समाधान नहीं होने पर दोबारा से मीटिंग होगी। छात्रों ने अगली मीटिंग तक हड़ताल टाल दी है।
अभिभावकों और छात्रों के सवाल पर प्रबंधन के बेतुके जवाब
सवाल : टूर के नाम पर छात्रों से पांच-पांच हजार रुपये लिए गए, लेकिन टूर नहीं ले जाया जा रहा, क्यों?
जवाब : इस बार जाट आरक्षण आंदोलन के कारण 22 दिन यूनिवर्सिटी बंद रही। इसलिए टूर नहीं ले जाया गया। सवाल : जाट आरक्षण आंदोलन के पहले या बाद में टूर क्यों नहीं ले जाया गया। इस सवाल पर प्रबंधन के पास कोई संतोषजनक जवाब नहीं था।
सवाल : एडमिशन के समय स्टेशनरी और वर्कशॉप के नाम पर भी रुपये लिए जाते हैं, लेकिन स्टेशनरी आज तक नहीं दी?
जवाब : कई बार वर्कशॉप कराई गई है, जिसमें बजट से ज्यादा खर्च हुआ है। इसी कारण स्टेशनरी नहीं मिल पायी। छात्र : तो क्या अब वर्कशॉप के पूरे रुपये भी छात्र ही देंगे। इस पर भी प्रबंधन खामोश रहा।
सवाल : कई साल से पढ़ रहे छात्रों का रजिस्ट्रेशन अभी तक नहीं हुआ, आखिर क्यों?
जवाब : रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया चल रही है। जल्द ही रजिस्ट्रेशन कर दिए जाएंगे। छात्र : क्या दो साल में भी रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया पूरी नहीं हुई। प्रबंधन की बोलती बंद।
सवाल : 15 मई से पेपर होने हैं। इसकी डेटशीट जारी कर दी गई, लेकिन कोर्स अभी पूरा नहीं हुआ। परीक्षा कैसे दें?
जवाब : प्रबंधन के दो अलग-अलग जवाब आए।
एआर ने जवाब दिया कि रजिस्ट्रेशन के लिए एमडीयू पर दबाव डालने के लिए डेटशीट जारी हुई है। वीसी ने पास खड़े परीक्षा से संबंधित अधिकारी को आदेश दिया कि जो भी सिलेबस अब तक पढ़ाया गया है उसी में से पेपर तैयार करना। वीसी का यह जवाब भी बेतुका था। तो क्या आधे सिलेबस से पेपर कराएं जाएंगे। आखिर बच्चों के भविष्य से इतना बड़ा खिलवाड़ क्यों?
नोट : इसके अलावा भी ऐसे ढेरों सवाल पूछे गए, जिनका प्रबंधन के पास कोई जवाब नहीं था।
खूब हुआ अभद्र भाषा का प्रयोग, गुरु-शिष्य की मर्यादा खत्म
यूं तो स्टेट यूनिवर्सिटी में छात्रों और फैकल्टी के बीच अक्सर विवाद होते हैं, लेकिन शुक्रवार को मीटिंग के दौरान गुरु-शिष्य परंपरा की धज्जियां उड़ाई गईं। मीटिंग में जमकर अभद्र भाषा का प्रयोग हुआ। छात्रों ने प्रबंधन को खूब खरीखोटी सुनाई तो प्रबंधन ने भी कोई कसर नहीं छोड़ी। गाली-गलौच नहीं तो इससे कम भी नहीं कहा जा सकता।
मुंह पर हाथ रखने से काम नहीं चलेगा वीसी साहब
मीटिंग के दौरान वीसी के पास किसी भी सवाल का कोई ठोस जवाब नहीं था। हर सवाल पर वीसी या तो डीन की तरफ इशारा कर देते या किसी दूसरे अधिकारी और फैकल्टी की ओर। छात्रों और अभिभावकों ने कई बार गुस्सा जाहिर किया। यहां तक कह दिया कि वीसी साहब! मुंह पर हाथ रखकर काम नहीं चलेगा। दिन-रात मेहनत कर बच्चों की फीस भरते हैं। आप लोगों की वजह से मेहनत की कमाई को बर्बाद नहीं होने देंगे।
स्टेट यूनिवर्सिटी ऑफ परफार्मिंग एंड विजुअल आर्ट्स में 4 दिनों से चल रही हड़ताल शुक्रवार को बवाल में बदल गई। यूनिवर्सिटी में हड़ताल के पांचवें दिन अभिभावकों की मौजूदगी में पुलिस के सामने ही स्टाफ और छात्रों के बीच हाथापाई हुई, जिसमें दो कर्मियों के कपड़े तक फट गए। छात्रों की मांगों पर मंथन करने पहुंचे अभिभावकों के साथ प्रबंधक बंद कांफ्रेंस हॉल में मीटिंग करना चाहता था।
बताया जा रहा है कि कमरे में अभिभावकों को छात्र-छात्राओं की विवि में बर्ताव से जुड़ी एक वीडियो क्लिप प्रोजेक्टर पर दिखाई जा रही थी। इसी बात पर छात्र भड़क गए और हॉल खुलवाने को लेकर कर्मचारियों से भिड़ गए। बवाल के बाद एसडीएम और पुलिस बल की मौजूदगी में प्रबंधन, अभिभावक और छात्रों की मीटिंग शुरू हुई। तीन घंटे तक चली मीटिंग में भी कोई रास्ता नहीं निकल सका। आखिर में अभिभावकों और बच्चों की 10 सदस्यीय कमेटी बनाई गई, जिसे प्रबंधन की ओर से 25 मई तक मांगें पूरी करने का आश्वासन दिया गया है। अगली मीटिंग तक छात्रों ने हड़ताल स्थगित कर दी है।
दरअसल, यूनिवर्सिटी में सोमवार से हड़ताल चल रही थी। शुक्रवार को छात्रों के अभिभावक प्रबंधन से वार्ता करने के लिए पहुंचे। यूनिवर्सिटी के कांफ्रेंस हॉल में वीसी अश्वनी सब्बरवाल समेत सभी फैकल्टी की मौजूदगी में अभिभावकों को अंदर बुला दिया गया और छात्रों को बाहर रखा गया। वहां पर अभिभावकों को प्रोजेक्टर के माध्यम से छात्रों के अभद्र व्यवहार से जुड़ी वीडियो क्लिप दिखाई जाने लगी। बाहर बैठे छात्रों को इसका पता चला तो वे भड़क गए और अंदर जाने लगे। लेकिन बाहर तैनात स्टाफ के लोगों ने गेट बंद कर दिया और किसी को भी अंदर नहीं जाने दिया गया। छात्र-छात्राओं ने यूनिवर्सिटी प्रशासन के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। इसी बीच पुलिस भी मौके पर पहुंच गई।
पुलिस ने भी छात्रों को बाहर रहने के लिए समझाया, लेकिन छात्र तैयार नहीं हुए। मामला इतना बढ़ा कि छात्रों और गेट पर खड़े कर्मियों में अंदर जाने के लिए पुलिस के सामने ही हाथापाई शुरू हो गई। हाथापाई और धक्का-मुक्की में यूनिवर्सिटी के चालक सुभाष और डाटा एंट्री ऑपरेटर जितेंद्र के कपड़े भी फट गए। गुस्साए छात्रों ने कर्मियों को गेट से हटा दिया और अंदर जा घुसे। वहां पर अभिभावकों और छात्रों ने प्रबंधन से सवाल-जवाब किए, लेकिन रास्ता नहीं निकला। कुछ देर बाद एसडीएम डॉ. मुनीष नागपाल और डीएसपी विवेक चौधरी पहुंच गए। एसडीएम ने एक-एक कर मांगें सुनीं।
भीड़ में समाधान नहीं होता देख 5 अभिभावकों और 5 छात्रों की दस सदस्यीय कमेटी बनवाई गई। डीन डीएस कपूर के कार्यालय में कमेटी की बैठक हुईं, लेकिन वहां भी कोई समाधान नहीं हो सका। आखिर में प्रबंधन ने आश्वासन दिया कि 25 मई तक मांगें पूरी कर दी जाएंगी। इस अवधि के बाद समाधान नहीं होने पर दोबारा से मीटिंग होगी। छात्रों ने अगली मीटिंग तक हड़ताल टाल दी है।
अभिभावकों और छात्रों के सवाल पर प्रबंधन के बेतुके जवाब
सवाल : टूर के नाम पर छात्रों से पांच-पांच हजार रुपये लिए गए, लेकिन टूर नहीं ले जाया जा रहा, क्यों?
जवाब : इस बार जाट आरक्षण आंदोलन के कारण 22 दिन यूनिवर्सिटी बंद रही। इसलिए टूर नहीं ले जाया गया। सवाल : जाट आरक्षण आंदोलन के पहले या बाद में टूर क्यों नहीं ले जाया गया। इस सवाल पर प्रबंधन के पास कोई संतोषजनक जवाब नहीं था।
सवाल : एडमिशन के समय स्टेशनरी और वर्कशॉप के नाम पर भी रुपये लिए जाते हैं, लेकिन स्टेशनरी आज तक नहीं दी?
जवाब : कई बार वर्कशॉप कराई गई है, जिसमें बजट से ज्यादा खर्च हुआ है। इसी कारण स्टेशनरी नहीं मिल पायी। छात्र : तो क्या अब वर्कशॉप के पूरे रुपये भी छात्र ही देंगे। इस पर भी प्रबंधन खामोश रहा।
सवाल : कई साल से पढ़ रहे छात्रों का रजिस्ट्रेशन अभी तक नहीं हुआ, आखिर क्यों?
जवाब : रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया चल रही है। जल्द ही रजिस्ट्रेशन कर दिए जाएंगे। छात्र : क्या दो साल में भी रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया पूरी नहीं हुई। प्रबंधन की बोलती बंद।
सवाल : 15 मई से पेपर होने हैं। इसकी डेटशीट जारी कर दी गई, लेकिन कोर्स अभी पूरा नहीं हुआ। परीक्षा कैसे दें?
जवाब : प्रबंधन के दो अलग-अलग जवाब आए।
एआर ने जवाब दिया कि रजिस्ट्रेशन के लिए एमडीयू पर दबाव डालने के लिए डेटशीट जारी हुई है। वीसी ने पास खड़े परीक्षा से संबंधित अधिकारी को आदेश दिया कि जो भी सिलेबस अब तक पढ़ाया गया है उसी में से पेपर तैयार करना। वीसी का यह जवाब भी बेतुका था। तो क्या आधे सिलेबस से पेपर कराएं जाएंगे। आखिर बच्चों के भविष्य से इतना बड़ा खिलवाड़ क्यों?
नोट : इसके अलावा भी ऐसे ढेरों सवाल पूछे गए, जिनका प्रबंधन के पास कोई जवाब नहीं था।
खूब हुआ अभद्र भाषा का प्रयोग, गुरु-शिष्य की मर्यादा खत्म
यूं तो स्टेट यूनिवर्सिटी में छात्रों और फैकल्टी के बीच अक्सर विवाद होते हैं, लेकिन शुक्रवार को मीटिंग के दौरान गुरु-शिष्य परंपरा की धज्जियां उड़ाई गईं। मीटिंग में जमकर अभद्र भाषा का प्रयोग हुआ। छात्रों ने प्रबंधन को खूब खरीखोटी सुनाई तो प्रबंधन ने भी कोई कसर नहीं छोड़ी। गाली-गलौच नहीं तो इससे कम भी नहीं कहा जा सकता।
मुंह पर हाथ रखने से काम नहीं चलेगा वीसी साहब
मीटिंग के दौरान वीसी के पास किसी भी सवाल का कोई ठोस जवाब नहीं था। हर सवाल पर वीसी या तो डीन की तरफ इशारा कर देते या किसी दूसरे अधिकारी और फैकल्टी की ओर। छात्रों और अभिभावकों ने कई बार गुस्सा जाहिर किया। यहां तक कह दिया कि वीसी साहब! मुंह पर हाथ रखकर काम नहीं चलेगा। दिन-रात मेहनत कर बच्चों की फीस भरते हैं। आप लोगों की वजह से मेहनत की कमाई को बर्बाद नहीं होने देंगे।