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PGIMS Research: Possible to protect the child born to Hepatitis-B infected mother from infection
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Research: हेपेटाइटिस-बी संक्रमित मां से जन्मे बच्चे को संक्रमण से बचाना संभव, 150 पर रिसर्च सफल
संजय कुमार, अमर उजाला ब्यूरो, रोहतक (हरियाणा)
Published by: भूपेंद्र सिंह
Updated Mon, 05 Dec 2022 09:45 PM IST
सार
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हरियाणा के रोहतक पंडित भगवत दयाल शर्मा स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय में 450 पर रिसर्च हो रही है। इसमें डॉक्टर 150 नवजातों को संक्रमण से बचाने में सफल रहे हैं।
डॉ. प्रवीण मल्होत्रा व डॉ. वाणी मल्होत्रा।
- फोटो : अमर उजाला
हेपेटाइटिस-बी संक्रमित मां से जन्मे बच्चे को 12 घंटे के अंदर हेपेटाइटिस बी इम्युनोग्लोबिन का टीका व सुरक्षा वैक्सीन लगाने के बाद संक्रमण से बचाना संभव है। यह साबित हुआ है हरियाणा के पीजीआईएमएस रोहतक में चल रही रिसर्च में। यहां 450 संक्रमित महिलाओं पर रिसर्च की जा रही है। इनमें से 150 बच्चे वे हैं जिनको संक्रमित महिलाओं ने जन्म दिया है। इनके जन्म के एक वर्ष बाद जब इनकी जांच की गई तो किसी को संक्रमण नहीं मिला।
पंडित भगवत दयाल शर्मा स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय के गेस्ट्रोएंट्रोलॉजी, स्त्री एवं प्रसूति विभाग व माइक्रो बायोलॉजी विभाग की ओर से संयुक्त रूप से रिसर्च की जा रही है। इसमें स्त्री रोग विभाग में आने वाली गर्भवती महिलाओं के सैंपल जांच करवाए जाते हैं और हेपेटाइटिस बी संक्रमित मिलने पर उनका उपचार शुरू किया जाता है।
तीनों विभागों की रिसर्च का मकसद है कि गर्भवती मां से जन्म लेने वाले बच्चे को संक्रमित होने से बचाया जाए। गेस्ट्रोएंट्रोलॉजी विभागाध्यक्ष एवं सीनियर प्रोफेसर डॉ. प्रवीण मल्होत्रा ने बताया कि हेपेटाइटिस बी संक्रमित महिला में यदि वायरस लोड अधिक है तो उसे उपचार की जरूरत है।
क्योंकि गर्भवती महिला से जन्म लेने वाले बच्चों को संक्रमण हो सकता है। बच्चे को संक्रमण से बचाने के लिए जरूरी है कि उसके जन्म लेने के 12 घंटे के अंदर उसे हेपेटाइटिस बी इम्युनोग्लोबिन का टीका व हेपेटाइटिस बी की वैक्सीन लगा दी जाए। यह टीका तीन से पांच हजार में मिलता है, सरकारी संस्थान में यह निशुल्क है।
पीजीआईएमएस 2018 से इस पर कार्य कर रहा है। बच्चे की आयु जब एक साल हो जाती है तो उसकी जांच कराई जाती है। अभी तक संस्थान में जन्मे 150 उन बच्चों की जांच करवाई जा चुकी है, जिनकी उम्र एक साल पूरी हो गई है। ये सभी निगेटिव पाए गए हैं। अन्य की जांच जारी है।
भ्रांतियों में न आए, उपचार करें : डॉ. वाणी
स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. वाणी मल्होत्रा ने बताया कि हेपेटाइटिस बी संक्रमित महिलाएं भ्रांतियों में न पड़ कर उपचार कराएं। सातवें माह के गर्भकाल से यह संक्रमण शिशु में जाने की संभावना होती है। लोगों को भ्रम है कि संक्रमित मां का दूूध पीने से बच्चा संक्रमित होता है, लेकिन मां को दूध पिलाना चाहिए। इससे उसकी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है।
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नॉमर्ल डिलिवरी कराने की तुलना में सिजेरियन डिलिवरी कराना अधिक सही है यह भ्रम है। पीजीआईएमएस में संक्रमित महिलाओं की 75 प्रतिशत सफल सामान्य डिलिवरी व 25 को सिजेरियन डिलिवरी हुई है। ध्यान देने योग्य है कि घर में डिलिवरी न कराएं और निजी क्लीनिक में हेपेटाइटिस की जांच जरूर हो।
संक्रमण को पहले ही रोक दिया जाए तो बच्चे को भविष्य में होने वाले संक्रमण से बचाया जा सकता है। यह संक्रमण रक्त, शारीरिक संबंधों से फैलता है। हेपेटाइटिस बी की दवा मां व बच्चों के लिए सुरक्षित है। रिसर्च में सामने आया है कि 450 केसों में से 30 प्रतिशत महिलाओं में वायरस का लोड अधिक था।
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