वायरस हमारी सेहत और समृद्धि पर हमला कर रहे हैं। हर दो साल बाद नया वायरस सामने आ रहा है। यह सिलसिला अब भी जारी है। चीन के वुहान से वर्ष 2019 में शुरू हुआ कोरोना का खतरा दुनिया में अब भी बना हुआ है। ओमिक्रॉन के रूप में वर्ष 2022 में सामने आया नया वायरस पहले से ज्यादा संक्रमण फैला कर लोगों को बीमार कर रहा है। यह चिकित्सा विज्ञान की बड़ी समस्या बनता जा रहा है। देश में हर दो साल में नया वायरस सामने आ रहा है। अमर उजाला से बातचीत में एमडीयू के सेंटर फॉर बायो टेक्नोलॉजी विभाग के सहायक प्राध्यापक डॉक्टर समुंदर कौशिक ने यह जानकारी दी।
उन्होंने बताया कि देश पर पिछले करीब डेढ़ दशक में दस वायरस हमला कर चुके हैं। इनमें इबोला, मारबर्ग, सार्स, मर्स, नीपा, जीका, रिफ्ट वैली फीवर वायरस व कोविड-19 वायरस शामिल है। विश्व स्वास्थ्य संगठन भी पांच वायरस को लेकर महामारी घोषित कर चुका है।
इसमें एचवन एनवन से लेकर पोलियो, इबोला, जीका व कोरोना वायरस मुख्य हैं। ये वायरस हमारी सेहत पर ही हमला नहीं कर रहे हैं, स्वास्थ्य पर खर्च होने वाली धन राशि के जरिये हमारी समृद्धि भी निगल रहे हैं। कोविड काल में ही अरबों खरबों का स्वास्थ्य बाजार रहा। इसमें जरूरी दवाएं, ऑक्सीजन सिलिंडर व अन्य उपकरण शामिल हैं।
वर्ष 1919 में घटी थी देश की आबादी
देश के सदियों पुराने इतिहास में लगातार आबादी बढ़ने के ही संकेत मिले हैं। यहां 19वीं शताब्दी से अब तक एक ही बार देश की आबादी घटने की जानकारी है। वर्ष 1919 में आए स्पेनिश फ्लू के चलते ऐसा हुआ था। उस समय देश की आबादी करीब 50 करोड़ थी। वायरस के हमले से करीब 10 प्रतिशत लोगों की मौत हुई थी। यह अब तक की सबसे बड़ी त्रासदी रही है। इसे कार्तिक माह में आई बीमारी के नाम से भी जानते हैं। दूसरे विश्व युद्ध में भी देश की आबादी पर असर नहीं हुआ था। उस समय बांग्लादेश व पाकिस्तान देश का हिस्सा थे। ऐसे में कोरोना वायरस को हलके में लेना खतरनाक साबित हो सकता है।
सैकड़ों में से 7 वायरस हैं खतरनाक
कोरोना विरिडी फैमिली का वायरस है। यह सैकड़ों वायरसों का समूह है। ये मानव व पशु दोनों को संक्रमित करते हैं। इनमें से सात वायरस ही ऐसे हैं जो मानव जाति को संक्रमित कर उनके लिए घातक बनते हैं। इसमें 229ई कोरोना वायरस, एनएल63 कोरोना वायरस, ओसी43 कोरोना वायरस, एचकेयू वन कोरोना वायरस, एसएआरएस कोरोना वायरस, एमईआरएस कोरोना वायरस व कोविड-19 वायरस शामिल हैं।
कोरोना के तीन वायरस हैं घातक
कोरोना के खतरनाक सात में से चार तरह के वायरस हमें 30 प्रतिशत प्रभावित करते हैं। इसमें 229ई कोरोना वायरस, एनएल63 कोरोना वायरस, ओसी43 कोरोना वायरस, एचकेयू वन कोरोना वायरस शामिल हैं। ये हल्का संक्रमण करते हैं। इनकी मृत्यु दर कम व संक्रमण की रफ्तार ज्यादा होती है। जबकि शेष तीन वायरस घातक होते हैं। इसमें एसएआरएस कोरोना वायरस, एमईआरएस कोरोना वायरस व कोविड-19 वायरस शामिल है। इनका संक्रमण कम व मृत्यु दर ज्यादा होती है।
दो तरह के होते हैं सांस के वायरस
सांस के वायरस दो तरह के होते हैं। इसमें गले के कंठ से ऊपर के हिस्से को अपर रेस्पिरेटरी व नीचे के हिस्से को लोवर रेस्पिरेटरी कहा जाता है। अपर रेस्पिरेटरी में खांसी, जुकाम मुख्य होता है। यह तेजी फैलता है। इसमें मृत्यु दर कम होती है। जबकि लोवर रेस्पिरेटरी में वायरस कम फैलते हैं। वे अंदर फेफड़ों को जकड़ लेते हैं। इसलिए मृत्यु दर ज्यादा रहती है।
वायरस एक नजर में
- 2009 में स्वाइन फ्लू हमला हुआ।
- 2015 में गुजरात हेमरेजिंग फीवर आया।
- 2016 में जीका वायरस ने हमला किया।
- 2018 में नीपा वायरस का हमला हुआ।
- 2019 में कोविड-19 वायरस आया।
विस्तार
वायरस हमारी सेहत और समृद्धि पर हमला कर रहे हैं। हर दो साल बाद नया वायरस सामने आ रहा है। यह सिलसिला अब भी जारी है। चीन के वुहान से वर्ष 2019 में शुरू हुआ कोरोना का खतरा दुनिया में अब भी बना हुआ है। ओमिक्रॉन के रूप में वर्ष 2022 में सामने आया नया वायरस पहले से ज्यादा संक्रमण फैला कर लोगों को बीमार कर रहा है। यह चिकित्सा विज्ञान की बड़ी समस्या बनता जा रहा है। देश में हर दो साल में नया वायरस सामने आ रहा है। अमर उजाला से बातचीत में एमडीयू के सेंटर फॉर बायो टेक्नोलॉजी विभाग के सहायक प्राध्यापक डॉक्टर समुंदर कौशिक ने यह जानकारी दी।
उन्होंने बताया कि देश पर पिछले करीब डेढ़ दशक में दस वायरस हमला कर चुके हैं। इनमें इबोला, मारबर्ग, सार्स, मर्स, नीपा, जीका, रिफ्ट वैली फीवर वायरस व कोविड-19 वायरस शामिल है। विश्व स्वास्थ्य संगठन भी पांच वायरस को लेकर महामारी घोषित कर चुका है।
इसमें एचवन एनवन से लेकर पोलियो, इबोला, जीका व कोरोना वायरस मुख्य हैं। ये वायरस हमारी सेहत पर ही हमला नहीं कर रहे हैं, स्वास्थ्य पर खर्च होने वाली धन राशि के जरिये हमारी समृद्धि भी निगल रहे हैं। कोविड काल में ही अरबों खरबों का स्वास्थ्य बाजार रहा। इसमें जरूरी दवाएं, ऑक्सीजन सिलिंडर व अन्य उपकरण शामिल हैं।
वर्ष 1919 में घटी थी देश की आबादी
देश के सदियों पुराने इतिहास में लगातार आबादी बढ़ने के ही संकेत मिले हैं। यहां 19वीं शताब्दी से अब तक एक ही बार देश की आबादी घटने की जानकारी है। वर्ष 1919 में आए स्पेनिश फ्लू के चलते ऐसा हुआ था। उस समय देश की आबादी करीब 50 करोड़ थी। वायरस के हमले से करीब 10 प्रतिशत लोगों की मौत हुई थी। यह अब तक की सबसे बड़ी त्रासदी रही है। इसे कार्तिक माह में आई बीमारी के नाम से भी जानते हैं। दूसरे विश्व युद्ध में भी देश की आबादी पर असर नहीं हुआ था। उस समय बांग्लादेश व पाकिस्तान देश का हिस्सा थे। ऐसे में कोरोना वायरस को हलके में लेना खतरनाक साबित हो सकता है।
सैकड़ों में से 7 वायरस हैं खतरनाक
कोरोना विरिडी फैमिली का वायरस है। यह सैकड़ों वायरसों का समूह है। ये मानव व पशु दोनों को संक्रमित करते हैं। इनमें से सात वायरस ही ऐसे हैं जो मानव जाति को संक्रमित कर उनके लिए घातक बनते हैं। इसमें 229ई कोरोना वायरस, एनएल63 कोरोना वायरस, ओसी43 कोरोना वायरस, एचकेयू वन कोरोना वायरस, एसएआरएस कोरोना वायरस, एमईआरएस कोरोना वायरस व कोविड-19 वायरस शामिल हैं।
कोरोना के तीन वायरस हैं घातक
कोरोना के खतरनाक सात में से चार तरह के वायरस हमें 30 प्रतिशत प्रभावित करते हैं। इसमें 229ई कोरोना वायरस, एनएल63 कोरोना वायरस, ओसी43 कोरोना वायरस, एचकेयू वन कोरोना वायरस शामिल हैं। ये हल्का संक्रमण करते हैं। इनकी मृत्यु दर कम व संक्रमण की रफ्तार ज्यादा होती है। जबकि शेष तीन वायरस घातक होते हैं। इसमें एसएआरएस कोरोना वायरस, एमईआरएस कोरोना वायरस व कोविड-19 वायरस शामिल है। इनका संक्रमण कम व मृत्यु दर ज्यादा होती है।
दो तरह के होते हैं सांस के वायरस
सांस के वायरस दो तरह के होते हैं। इसमें गले के कंठ से ऊपर के हिस्से को अपर रेस्पिरेटरी व नीचे के हिस्से को लोवर रेस्पिरेटरी कहा जाता है। अपर रेस्पिरेटरी में खांसी, जुकाम मुख्य होता है। यह तेजी फैलता है। इसमें मृत्यु दर कम होती है। जबकि लोवर रेस्पिरेटरी में वायरस कम फैलते हैं। वे अंदर फेफड़ों को जकड़ लेते हैं। इसलिए मृत्यु दर ज्यादा रहती है।
कोरोना का खतरा बना हुआ है। वायरस तेजी से लोगों को बीमार कर रहा है। ऐसे में हमें वायरस से बचना होगा। वायरस और उसकी गतिविधि को समझना भी जरूरी है। इसी संदर्भ में व्याख्यान दिया है। इसमें विशेषज्ञों के बीच देश में हर दो साल बाद आने वाले वायरस की स्थिति को दर्शाया है। कुलपति प्रो. राजबीर सिंह के मार्गदर्शन में विद्यार्थियों को भी महामारी के खतरे से अवगत कराया जा रहा है। - डॉ. समुंदर कौशिक, सहायक प्राध्यापक, सेंटर फार बायो टेक्नोलॉजी, एमडीयू।
वायरस एक नजर में
- 2009 में स्वाइन फ्लू हमला हुआ।
- 2015 में गुजरात हेमरेजिंग फीवर आया।
- 2016 में जीका वायरस ने हमला किया।
- 2018 में नीपा वायरस का हमला हुआ।
- 2019 में कोविड-19 वायरस आया।