दिल्ली को प्रदूषण मुक्त बनाने के लिए जहां सरकार ने गाड़ियों के लिए ऑड-इवन का फार्मूला लागू किया है। वहीं, अब पर्यावरण को बचाए रखने के लिए यूजीसी (यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन) ने भी कवायद शुरू कर दी है। शादी-विवाह में होने वाली आतिशबाजी हो या फिर दीपावली पर छोड़े जाने वाले पटाखे। अब छात्रों को इनसे होने वाले दुष्प्रभाव का पाठ पढ़ाया जाएगा। देशभर की यूनिवर्सिटी में यह पाठ पढ़ाया जा सके, इसके लिए यूजीसी ने पर्यावरण की पढ़ाई में ‘इल इफेक्ट ऑफ फायर वर्क्स’ का मोड्यूल शुरू किया है।
दरअसल, यूनिवर्सिटी में छात्रों को पर्यावरण की शिक्षा तो दी जाती है, लेकिन पर्यावरण में जहर घोलने वाले पटाखों को लेकर कोई अलग से पाठ नहीं पढ़ाया जाता। यही कारण है कि पटाखों से होने वाले दुष्प्रभाव के प्रति छात्र अनजान रहते हैं। अब यूजीसी ने यह कवायद शुरू करते हुए सभी यूनिवर्सिटी को निर्देश जारी किए हैं। यूजीसी ने निर्देश देते हुए कहा है कि पर्यावरण की पढ़ाई के साथ ‘इल इफेक्ट ऑफ फायर वर्क्स’ का मोड्यूल भी शुरू किया जाए। इसके लिए अलग से कक्षाएं भी चलाई जाएंगी। यह हर छात्र के लिए जरूरी होगा। इसमें बताया जाएगा कि आतिशबाजी में प्रयोग होने वाला केमिकल कितना खतरनाक होता है और पर्यावरण में इसका असर होने के बाद लोगों पर क्या प्रभाव पड़ता है। खाद्य पदार्थ भी पटाखों के दुष्प्रभाव से नहीं बच पाते।
स्कूल-कॉलेजों के बच्चों को भी करना होगा जागरूक
यूजीसी की तरफ से जारी निर्देशों में कहा गया है कि यह पाठ केवल यूनिवर्सिटी तक ही सीमित न रखा जाए। यूनिवर्सिटी के छात्रों व शिक्षकों को स्कूल-कॉलेजों में जाकर कार्यक्रम करने होंगे। यानी कार्यशाला, लेक्चर और अन्य माध्यम से बच्चों को पटाखों के दुष्प्रभाव के प्रति जागरूक करना होगा। इसके साथ-साथ परिचर्चा और आपसी बातचीत के माध्यम से भी इसका प्रचार-प्रसार करना होगा।
वर्जन
यूजीसी की तरफ से वेबसाइट पर अपडेट कर दिया गया है। यह एक अच्छी कवायद है। इससे न केवल बच्चे जागरूक होंगे, बल्कि साफ-सुधरा पर्यावरण भी मिलेगा।
- प्रो. राजेश धनखड़, विभागाध्यक्ष पर्यावरण विज्ञान विभाग एमडीयू।