उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने गुरुवार को 13 वें एएसईएम शिखर सम्मेलन का वर्चुअल शुभारंभ किया। इस मौके पर उन्होंने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद और अन्य महत्वपूर्ण अंतरराष्ट्रीय संगठनों में सुधारों पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि आज विश्व कई चुनौतियों का सामना कर रहा है। मौजूदा प्रणाली इन चुनौतियों से निपटने में कमजोर रही है।
एशिया-यूरोप मीटिंग (एएसईएम) एशिया और यूरोप के देशों के लिए क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर वैचारिक आदान-प्रदान व सहयोग को मजबूत करने का एक मंच है। गुरुवार से इसकी दो दिनी वर्चुअल शिखर बैठक शुरू हुई। इस शिखर सम्मेलन का विषय 'साझा विकास के लिए बहुपक्षवाद को मजबूत करना' है।
विदेश मंत्रालय ने बताया कि उपराष्ट्रपति नायडू ने शिखर बैठक में कहा कि वैश्विक संस्थाओं में बदलाव इसलिए जरूरी है, ताकि ये समकालीन वास्तविकताओं का प्रदर्शन कर सकें और मौजूदा चुनौतियां का सामना कर सकें। नायडू ने कहा कि विश्व तेज आर्थिक विकास और तकनीकी व सुरक्षा चुनौतियों से जूझ रहा है। मौजूदा बहुदेशी प्रणाली इन चुनौतियों से प्रभावी ढंग से निपटने में खुद को कमजोर पा रही है।
भारत लगातार कर रहा सार्थक सुधारों की मांग
उपराष्ट्रपति ने कहा कि बहुदेशीय ढांचे में सुधार की जरूरतों पर जोर देते हुए कहा कि भारत मौजूदा प्रणाली में सार्थक बदलाव के लिए लगातार आग्रह कर रहा है। नायडू ने यह भी कहा कि महामारी ने अविश्वनीय वैश्विक आपूर्ति तंत्र की पोल खोल दी है। असमान वैक्सीन वितरण से यह सामने आ गया है कि वैश्विक एकता व सशक्त बहुदेशीय प्रणाली की जरूरत है।
महामारी के बाद की दुनिया की जरूरतें अलग
उपराष्ट्रपति नायडू ने कहा कि महामारी के बाद की दुनिया की बहुदेशीय प्रणाली से अलग जरूरतें होंगी। उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक सहयोग के लिए चार महत्वपूर्ण जरूरतों पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि लचीली और विश्वसनीय आपूर्ति प्रणाली, स्वास्थ्य सुरक्षा, विकास के लिए डिजिटल सुविधाओं पर जोर और हरित व टिकाऊ आर्थिक सुधार जरूरी है।
विस्तार
उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने गुरुवार को 13 वें एएसईएम शिखर सम्मेलन का वर्चुअल शुभारंभ किया। इस मौके पर उन्होंने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद और अन्य महत्वपूर्ण अंतरराष्ट्रीय संगठनों में सुधारों पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि आज विश्व कई चुनौतियों का सामना कर रहा है। मौजूदा प्रणाली इन चुनौतियों से निपटने में कमजोर रही है।
एशिया-यूरोप मीटिंग (एएसईएम) एशिया और यूरोप के देशों के लिए क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर वैचारिक आदान-प्रदान व सहयोग को मजबूत करने का एक मंच है। गुरुवार से इसकी दो दिनी वर्चुअल शिखर बैठक शुरू हुई। इस शिखर सम्मेलन का विषय 'साझा विकास के लिए बहुपक्षवाद को मजबूत करना' है।
विदेश मंत्रालय ने बताया कि उपराष्ट्रपति नायडू ने शिखर बैठक में कहा कि वैश्विक संस्थाओं में बदलाव इसलिए जरूरी है, ताकि ये समकालीन वास्तविकताओं का प्रदर्शन कर सकें और मौजूदा चुनौतियां का सामना कर सकें। नायडू ने कहा कि विश्व तेज आर्थिक विकास और तकनीकी व सुरक्षा चुनौतियों से जूझ रहा है। मौजूदा बहुदेशी प्रणाली इन चुनौतियों से प्रभावी ढंग से निपटने में खुद को कमजोर पा रही है।
भारत लगातार कर रहा सार्थक सुधारों की मांग
उपराष्ट्रपति ने कहा कि बहुदेशीय ढांचे में सुधार की जरूरतों पर जोर देते हुए कहा कि भारत मौजूदा प्रणाली में सार्थक बदलाव के लिए लगातार आग्रह कर रहा है। नायडू ने यह भी कहा कि महामारी ने अविश्वनीय वैश्विक आपूर्ति तंत्र की पोल खोल दी है। असमान वैक्सीन वितरण से यह सामने आ गया है कि वैश्विक एकता व सशक्त बहुदेशीय प्रणाली की जरूरत है।
महामारी के बाद की दुनिया की जरूरतें अलग
उपराष्ट्रपति नायडू ने कहा कि महामारी के बाद की दुनिया की बहुदेशीय प्रणाली से अलग जरूरतें होंगी। उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक सहयोग के लिए चार महत्वपूर्ण जरूरतों पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि लचीली और विश्वसनीय आपूर्ति प्रणाली, स्वास्थ्य सुरक्षा, विकास के लिए डिजिटल सुविधाओं पर जोर और हरित व टिकाऊ आर्थिक सुधार जरूरी है।