न्यूज डेस्क, अमर उजाला, मुंबई
Published by: गौरव पाण्डेय
Updated Fri, 21 Jan 2022 10:41 PM IST
महाराष्ट्र के पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख ने चांदीवाल आयोग को बताया है कि बर्खास्त सहायक पुलिस निरीक्षक सचिन वाजे को मुंबई पुलिस की अपराध इंटेलिजेंस इकाई (सीआईयू) का अध्यक्ष नियुक्त किए जाने के बाद उन्हें कई शिकायतें प्राप्त हुई थीं।
देशमुख इस समय न्यायमूर्ति केयू चांदीवाल आयोग के समक्ष पेश हो रहे हैं। यह आयोग मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त परम बीर सिंह द्वारा उनके खिलाफ लगाए गए भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच कर रहा है। देशमुख से वाजे की ओर से जिरह की जा रही है।
एक सवाल के जवाब में देशमुख ने कहा, 'मुझे कुछ शिकायतें ऐसी मिली थीं कि वाजे लगभग 14-15 साल से निलंबित था और बहाली के बाद उसे सीआईयू का अध्यक्ष बना दिया गया। आम तौर पर ऐसे अधिकारी को इतनी अहम तैनाती नहीं मिलती है।'
उन्होंने कहा कि इनमें से कई शिकायतें मौखिक रूप में थीं और शिकायत करने वाले लोगों का मैं नाम नहीं ले सकता हूं। हालांकि उन्होंने कहा कि यह संभव हो सकता है कि इस संबंध में राज्य के गृह विभाग को लिखित रूप में कुछ शिकायतें प्राप्त हुई हों।
तत्कालीन संयुक्त आयुक्त ने जताई थी वाजे की नियुक्ति पर आपत्ति
देशमुख ने कहा, 'सचिन वाजे क्राइम ब्रांच में तैनात था और पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह के मौखिक निर्देश पर उसे सीआईयू का प्रमुख नियुक्त किया गया था।' उन्होंने कहा कि तत्कालीन संयुक्त पुलिस आयुक्त संतोष रस्तोगी ने इस पर आपत्ति जताई थी।
एक अन्य सवाल के जवाब में एनसीपी (राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी) के वरिष्ठ नेता देशमुख ने कहा कि मैंने मुख्यमंत्री को सुझाव दिया था कि परमबीर सिंह के पत्र में लगाए गए झूठे और मनगढ़ंत आरोपों की जांच के लिए एक समिति का गठन किया जाना चाहिए।
महाराष्ट्र सरकार ने परमबीर सिंह के देशमुख के खिलाफ आरोपों की जांच के लिए पिछले साल मार्च में सेवानिवृत्त न्यायाधीश चांदीवाल की अध्यक्षता वाले एक सदस्यीय आयोग का गठन किया था। इसकी जांच सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय भी कर रहा है।
अनिल देशमुख को पिछले साल दो नवंबर को गिरफ्तार किया गया था। इस समय वह न्यायिक हिरासत में हैं। देशमुख पर परमबीर सिंह ने भ्रष्टाचार और रिश्वतखोरी के गंभीर आरोप लगाए थे। आयोग के सामने देशमुख से जिरह सोमवार को भी जारी रहेगी।
मुंबई की विशेष पीएमएलए अदालत ने अपने आदेश में महाराष्ट्र के पूर्व गृह मंत्री और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के नेता अनिल देशमुख को धन शोधन मामले में तकनीकी आधार पर जमानत देने से इनकार करते हुए कहा कि उनकी न्यायिक हिरासत का विस्तार अवैध नहीं है। अदालत ने कहा कि प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने निर्धारित 60 दिन की अवधि में पूरक आरोप पत्र दाखिल किया था।
विस्तार
महाराष्ट्र के पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख ने चांदीवाल आयोग को बताया है कि बर्खास्त सहायक पुलिस निरीक्षक सचिन वाजे को मुंबई पुलिस की अपराध इंटेलिजेंस इकाई (सीआईयू) का अध्यक्ष नियुक्त किए जाने के बाद उन्हें कई शिकायतें प्राप्त हुई थीं।
देशमुख इस समय न्यायमूर्ति केयू चांदीवाल आयोग के समक्ष पेश हो रहे हैं। यह आयोग मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त परम बीर सिंह द्वारा उनके खिलाफ लगाए गए भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच कर रहा है। देशमुख से वाजे की ओर से जिरह की जा रही है।
एक सवाल के जवाब में देशमुख ने कहा, 'मुझे कुछ शिकायतें ऐसी मिली थीं कि वाजे लगभग 14-15 साल से निलंबित था और बहाली के बाद उसे सीआईयू का अध्यक्ष बना दिया गया। आम तौर पर ऐसे अधिकारी को इतनी अहम तैनाती नहीं मिलती है।'
उन्होंने कहा कि इनमें से कई शिकायतें मौखिक रूप में थीं और शिकायत करने वाले लोगों का मैं नाम नहीं ले सकता हूं। हालांकि उन्होंने कहा कि यह संभव हो सकता है कि इस संबंध में राज्य के गृह विभाग को लिखित रूप में कुछ शिकायतें प्राप्त हुई हों।