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Granting permission or rejection is police discretionary power
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Madras HC: 'आंदोलन की अनुमति देना या नामंजूर करना पुलिस का विवेकाधिकार', मद्रास हाईकोर्ट ने की टिप्पणी
पीटीआई, चेन्नई
Published by: संजीव कुमार झा
Updated Fri, 09 Dec 2022 05:58 PM IST
सार
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मद्रास हाईकोर्ट ने ईज आंदोलन की अनुमति देने में पुलिस की भूमिका पर आज फैसला सुनाया। अदालत ने कहा कि विरोध प्रदर्शन की अनुमति देने या उसे अस्वीकार करने की शक्ति पुलिस विभाग के पास निहित है।
मद्रास उच्च न्यायालय ने माना है कि विरोध प्रदर्शन की अनुमति देने या उसे अस्वीकार करने की शक्ति पुलिस विभाग के पास निहित है। न्यायमूर्ति वी शिवगणनम ने हाल ही में एक कर्मचारी संघ, वालपराई थिराविदा थोट्टा थोझिलालार मुनेत्र संगम के अध्यक्ष की अवमानना याचिका को बंद करते हुए यह फैसला सुनाया।
क्या है मामला?
दरअसल, यह याचिका न्यूनतम मजदूरी में संशोधन की मांग पूरी नहीं होने के बाद पुलिस से आंदोलन की अनुमति लेने को लेकर डाली गई थी। याचिकाकर्ता के अनुसार, सरकार ने जुलाई, 2021 में जारी एक अधिसूचना द्वारा न्यूनतम मजदूरी को 345 रुपये से संशोधित कर 425 रुपये कर दिया है। चूंकि सरकार इसे लागू करने में विफल रही, इसलिए एसोसिएशन ने वालपराई से कोयंबटूर तक पैदल यात्रा करने और हाथ बंटाने का फैसला किया। उन्होंने अनुमति के लिए आवेदन किया, लेकिन वालपराई पुलिस ने इस साल 8 सितंबर को मना कर दिया। इसलिए, एक रिट याचिका दायर की गई और अदालत ने 14 अक्तूबर को पुलिस को याचिका पर विचार करने का निर्देश दिया। हालांकि, पुलिस ने फिर से अनुमति देने से इनकार कर दिया। याचिकाकर्ता ने कोयंबटूर के पुलिस अधीक्षक और पुलिस आयुक्त को दंडित करने के लिए वर्तमान अवमानना आवेदन को प्राथमिकता दी।
न्यायाधीश ने दिया ये जवाब
अवमानना याचिका को बंद करते हुए, न्यायाधीश ने कहा कि विवेकाधीन शक्ति का प्रयोग करके अनुमति देने या न देने का विवेक पुलिस के पास है। परिस्थितियों के आधार पर पुलिस ने 26 अक्तूबर को याचिकाकर्ता के अनुरोध को खारिज कर दिया है। इसलिए, मुझे इस अदालत के आदेश की जानबूझकर अवज्ञा नहीं मिलती है। इसलिए, मुझे अवमानना याचिका पर कार्रवाई करने का कोई कारण नहीं मिला न्यायाधीश ने कहा।
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