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Gujarat Elections 2022: Hardik patel, Alpesh thakor, Jignesh mewani...struggle to prove political status
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Gujarat Elections 2022: हार्दिक, अल्पेश, जिग्नेश...सियासी हैसियत साबित करने का संघर्ष
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, गांधीनगर
Published by: Amit Mandal
Updated Sun, 04 Dec 2022 05:48 AM IST
सार
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पार्टियों से जुड़ने के बाद इन युवा नेताओं के स्वतंत्र विचार अर्थहीन हो गए हैं। पार्टियों की मर्यादा में रहकर स्वीकार्यता बनाने की चुनौती है। इस बार तीनों की कड़ी परीक्षा है।
गांधीनगर। पांच वर्ष पहले भाजपा की नाक में दम करके गुजरात के सियासी फलक पर चमकदार सितारे की तरह उभरे तीन युवा 2022 में अपना सियासी वजूद कायम रखने को संघर्षरत हैं। खास बात ये है कि इनमें हार्दिक पटेल और अल्पेश ठाकोर कांग्रेस छोड़कर अब भाजपा के सहारे सियासी साख बनाने के संघर्ष में हैं तो जिग्नेश मेवाणी ने अब कांग्रेस का दामन थाम लिया है। ब्यूरो
हार्दिक पटेल : हृदय परिवर्तन कितना कारगर
पाटीदार आंदोलन से उभरे हार्दिक पटेल कांग्रेस छोड़कर अब अहमदाबाद की विरमगाम सीट से भाजपा प्रत्याशी हैं। यहां 2012 व 2017 में कांग्रेस जीती। यह पिछड़ा वर्ग व ठाकोर समाज के दबदबे वाली सीट है। हार्दिक को मशक्कत करनी पड़ रही है।
अल्पेश ठाकोर : विरोधी बता रहे बाहरी
गुजरात क्षत्रिय ठाकोर सेना बनाकर शराब विरोधी आंदोलनकारी से पहचान बनाने वाले अल्पेश कांग्रेस छोड़कर गांधीनगर दक्षिण से भाजपा प्रत्याशी हैं। भाजपा 2007 से यह सीट जीत रही है। प्रभावशाली पाटीदार समाज का झुकान कांग्रेस के पटेल प्रत्याशी की ओर दिख रहा है।
जिग्नेश की चुनौतियां आप व एआईएमआईएम
ऊना के दलित आंदोलन का चेहरा रहे जिग्नेश मेवाणी अब गुजरात कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष हैं और वडगाम से मैदान में हैं। भाजपा ने 2012 में वडगाम में कांग्रेस से जीते मणिलाल वाघेला को उतारा है। मेवाणी के सामने आप व एआईएमआईएम की चुनौती है।
स्वीकार्यता बनाने की चुनौती
पार्टियों से जुड़ने के बाद इन युवा नेताओं के स्वतंत्र विचार अर्थहीन हो गए हैं। पार्टियों की मर्यादा में रहकर स्वीकार्यता बनाने की चुनौती है। समाज विशेष की लड़ाई लड़कर चर्चा तो बटोरी जा सकती है लेकिन चुनाव में जीत आसान नहीं है। अगर ये ऐसा कर पाए, तो सफल हो सकते हैं। -डॉ. पार्थ पटेल, राजनीतिक विश्लेषक
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