गुजरात हाईकोर्ट ने बृहस्पतिवार को राज्य सरकार की एक अपील खारिज कर धर्मांतरणरोधी कानून पर अपने आदेश में बदलाव करने से इनकार कर दिया है। इससे पहले दिए आदेश में हाईकोर्ट ने गुजरात धार्मिक स्वतंत्रता (संशोधन) अधिनियम 2021 के सेक्शन पांच पर रोक लगा दी थी।
इस सेक्शन के अनुसार अगर कोई अपना धर्म परिवर्तन करने किसी धर्मगुरु के पास आता है तो धर्मगुरु को जिलाधिकारी से पूर्व अनुमति लेनी होगी। जिस व्यक्ति ने धर्म परिवर्तन करवाया, उसे भी इसकी सूचना जिलाधिकारी को निर्धारित प्रारूप में देनी होगी। इस कानून के खिलाफ पिछले महीने जमीयत ए उलेमा ए हिंद गुजरात चैप्टर ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर सेक्शन 5 सहित विभिन्न प्रावधानों को संविधान विरुद्ध बताया था।
19 अगस्त को दिए अपने आदेश में हाईकोर्ट ने सेक्शन पांच सहित कुल सात प्रावधानों के अनुपालन पर रोक लगा दी थी। उस समय हाईकोर्ट ने कहा था कि एक धर्म के व्यक्ति द्वारा दूसरे धर्म के व्यक्ति से बिना किसी दबाव, धोखे या लालच से किया विवाह गैरकानूनी धर्म परिवर्तन के लिए हुआ विवाह नहीं माना जा सकता।
हाईकोर्ट का निर्णय: हाईकोर्ट ने कहा कि महाधिवक्ता खुद ही मान बैठे हैं कि कोर्ट ने सभी प्रकार के धर्म परिवर्तनों के लिए पूर्व अनुमति पर रोक लगा दी है, ऐसा नहीं है। अगर अविवाहित व्यक्ति धर्म परिवर्तन करना चाहता है, तो उसे अनुमति लेनी होगी। हाईकोर्ट ने इस पर रोक नहीं लगाई है। केवल शादी के जरिए धर्म परिवर्तनों पर रोक लगाई है।
राज्य सरकार के तर्क: गुजरात सरकार के महाधिवक्ता कमल त्रिवेदी ने तर्क रखा कि इस अधिनियम का सेक्शन 5 2003 में बने मूल कानून में पहले से शामिल है। इसका विवाह के लिए होने वाले धर्म परिवर्तन से संबंध नहीं है। अगर सेक्शन पांच रोका गया, तो पूरे कानून का अनुपालन रुक जाएगा। जिलाधिकारी के पास कोई भी धर्म परिवर्तन से पहले अनुमति लेने आएगा ही नहीं।
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गुजरात हाईकोर्ट ने बृहस्पतिवार को राज्य सरकार की एक अपील खारिज कर धर्मांतरणरोधी कानून पर अपने आदेश में बदलाव करने से इनकार कर दिया है। इससे पहले दिए आदेश में हाईकोर्ट ने गुजरात धार्मिक स्वतंत्रता (संशोधन) अधिनियम 2021 के सेक्शन पांच पर रोक लगा दी थी।
इस सेक्शन के अनुसार अगर कोई अपना धर्म परिवर्तन करने किसी धर्मगुरु के पास आता है तो धर्मगुरु को जिलाधिकारी से पूर्व अनुमति लेनी होगी। जिस व्यक्ति ने धर्म परिवर्तन करवाया, उसे भी इसकी सूचना जिलाधिकारी को निर्धारित प्रारूप में देनी होगी। इस कानून के खिलाफ पिछले महीने जमीयत ए उलेमा ए हिंद गुजरात चैप्टर ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर सेक्शन 5 सहित विभिन्न प्रावधानों को संविधान विरुद्ध बताया था।
19 अगस्त को दिए अपने आदेश में हाईकोर्ट ने सेक्शन पांच सहित कुल सात प्रावधानों के अनुपालन पर रोक लगा दी थी। उस समय हाईकोर्ट ने कहा था कि एक धर्म के व्यक्ति द्वारा दूसरे धर्म के व्यक्ति से बिना किसी दबाव, धोखे या लालच से किया विवाह गैरकानूनी धर्म परिवर्तन के लिए हुआ विवाह नहीं माना जा सकता।
हाईकोर्ट का निर्णय: हाईकोर्ट ने कहा कि महाधिवक्ता खुद ही मान बैठे हैं कि कोर्ट ने सभी प्रकार के धर्म परिवर्तनों के लिए पूर्व अनुमति पर रोक लगा दी है, ऐसा नहीं है। अगर अविवाहित व्यक्ति धर्म परिवर्तन करना चाहता है, तो उसे अनुमति लेनी होगी। हाईकोर्ट ने इस पर रोक नहीं लगाई है। केवल शादी के जरिए धर्म परिवर्तनों पर रोक लगाई है।
राज्य सरकार के तर्क: गुजरात सरकार के महाधिवक्ता कमल त्रिवेदी ने तर्क रखा कि इस अधिनियम का सेक्शन 5 2003 में बने मूल कानून में पहले से शामिल है। इसका विवाह के लिए होने वाले धर्म परिवर्तन से संबंध नहीं है। अगर सेक्शन पांच रोका गया, तो पूरे कानून का अनुपालन रुक जाएगा। जिलाधिकारी के पास कोई भी धर्म परिवर्तन से पहले अनुमति लेने आएगा ही नहीं।