उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों में भगवा लहराने के बाद अब भाजपा-आरएसएस को ज्ञानवापी मस्जिद विवाद ने बैठे बिठाए एक ऐसा मुद्दा दे दिया है जो अब तक इनके कोर एजेंडे में रहा है। विश्व हिंदू परिषद और सम वैचारिक संगठन इस मामले को उठाकर हिंदुत्व के एजेंडे को और धार देने की कोशिश में जुट गए हैं। लेकिन फिलहाल भाजपा और संघ ने इससे दूरी बनाई हुई है। सूत्रों की मानें तो ज्ञानवापी पर आरएसएस फिलहाल देखो और इंतजार करो के मोड में नजर आ रहा है।
अमर उजाला से बातचीत में संघ मामलों के जानकार राजीव तुली कहते है, कुछ लोग कह रहे हैं कि देश में ऐसी कई मस्जिदें हैं जिन पर आरएसएस मंदिर होने का दावा करता है। ऐसी कोई सूची संघ ने नहीं बनाई है। लेकिन हो सकता है कुछ इतिहासकार, विद्धान, पुरातत्ववेत्ता और हिंदू पंडितों ने ऐसी सूची बनाई होगी। ज्ञानपावी मसला समाज और विश्व हिंदू परिषद का विषय है। 2018 में विज्ञान भवन की व्याख्यानमाला में सरसंघचालक जी ने कहा था कि काशी और मथुरा संघ के एजेंडे में नहीं है। संघ एक सामाजिक संगठन है इसलिए अगर समाज चाहेगा और संत समाज इसे लेकर हमारे पास आएगा तो हम इस पर अवश्य विचार करेंगे
संघ नहीं खींचना चाहता कोई नई लाइन
वरिष्ठ पत्रकार समीर चौगांवकर ने लंबे वक्त तक आरएसएस को कवर किया है। अमर उजाला से बातचीत में वे बताते हैं, अभी तक राष्ट्रीय स्वयं संघ ने इस मुद्दे पर कुछ भी नहीं कहा है न ही आगे वह कुछ कहेगा। ज्ञानवापी का मुद्दा संवेदनशील है इसलिए संघ सभी को जोड़कर और साथ लेकर चलने में भरोसा कर रहा है। अयोध्या का मसला भी कोर्ट से ही तय हुआ था। इसलिए संघ भी जानता है कि कोर्ट के हस्तक्षेप के बगैर यह मुद्दा हल होने वाला नहीं है। संघ इस मामले में अपनी तरफ से कोई नई लाइन नहीं खींचना चाहता है इसलिए वह वेट एंड वॉच की स्थिति में है। जहां तक विश्व हिंदू परिषद की बात है तो अयोध्या के बाद उसे यह बड़ा मुद्दा मिला है। इसलिए वीएचपी इसे जोर शोर से उठाएगी और इस मामले में सक्रिय भूमिका निभा कर इसे अंतिम सिरे तक ले जाने की कोशिश करेगी। अशोक सिंघल जीवित रहते हुए कई बार चुके कह चुके थे कि यहां एक मंदिर है और अयोध्या के बाद काशी मथुरा की बारी है।
जून की बैठक में संत और वीएचपी करेंगे ज्ञानपावी पर चर्चा
इधर,लाउडस्पीकर, श्रीकृष्ण जन्मस्थान और ज्ञानवापी मस्जिद विवाद के बीच विश्व हिंदू परिषद के केंद्रीय मार्गदर्शक मंडल की बैठक होने जा रही है। यह बैठक 11-12 जून को उत्तराखंड के हरिद्वार में होगी। इसमें विहिप पदाधिकारी के अलावा 300 से ज्यादा साधु संत शामिल होंगे। बैठक में काशी विश्वनाथ ज्ञानवापी विवाद, श्रीकृष्ण जन्मस्थान ईदगाह विवाद, लाउडस्पीकर विवाद, जनसंख्या नियंत्रण कानून और यूनिफॉर्म सिविल कोड जैसे मुद्दों पर रणनीति बनाई जाएगी। अमर उजाला से चर्चा में विश्व हिंदू परिषद के केंद्रीय मंत्री एवं धर्माचार्य संपर्क प्रमुख अशोक तिवारी ने कहा कि कृष्ण जन्मभूमि और काशी विश्वनाथ को मुक्त कराने के लिए मार्गदर्शक मंडल की बैठक में अहम फैसला होना संभव है। मंदिर का मुद्दा कोर इशू है और ये एजेंडे में है। यह मुद्दा संतों के समक्ष रखा जाएगा। इसके बाद वीएचपी के पदाधिकारी और संत समाज भविष्य की रणनीति को लेकर चर्चा करेंगे।
विस्तार
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों में भगवा लहराने के बाद अब भाजपा-आरएसएस को ज्ञानवापी मस्जिद विवाद ने बैठे बिठाए एक ऐसा मुद्दा दे दिया है जो अब तक इनके कोर एजेंडे में रहा है। विश्व हिंदू परिषद और सम वैचारिक संगठन इस मामले को उठाकर हिंदुत्व के एजेंडे को और धार देने की कोशिश में जुट गए हैं। लेकिन फिलहाल भाजपा और संघ ने इससे दूरी बनाई हुई है। सूत्रों की मानें तो ज्ञानवापी पर आरएसएस फिलहाल देखो और इंतजार करो के मोड में नजर आ रहा है।
अमर उजाला से बातचीत में संघ मामलों के जानकार राजीव तुली कहते है, कुछ लोग कह रहे हैं कि देश में ऐसी कई मस्जिदें हैं जिन पर आरएसएस मंदिर होने का दावा करता है। ऐसी कोई सूची संघ ने नहीं बनाई है। लेकिन हो सकता है कुछ इतिहासकार, विद्धान, पुरातत्ववेत्ता और हिंदू पंडितों ने ऐसी सूची बनाई होगी। ज्ञानपावी मसला समाज और विश्व हिंदू परिषद का विषय है। 2018 में विज्ञान भवन की व्याख्यानमाला में सरसंघचालक जी ने कहा था कि काशी और मथुरा संघ के एजेंडे में नहीं है। संघ एक सामाजिक संगठन है इसलिए अगर समाज चाहेगा और संत समाज इसे लेकर हमारे पास आएगा तो हम इस पर अवश्य विचार करेंगे
संघ नहीं खींचना चाहता कोई नई लाइन
वरिष्ठ पत्रकार समीर चौगांवकर ने लंबे वक्त तक आरएसएस को कवर किया है। अमर उजाला से बातचीत में वे बताते हैं, अभी तक राष्ट्रीय स्वयं संघ ने इस मुद्दे पर कुछ भी नहीं कहा है न ही आगे वह कुछ कहेगा। ज्ञानवापी का मुद्दा संवेदनशील है इसलिए संघ सभी को जोड़कर और साथ लेकर चलने में भरोसा कर रहा है। अयोध्या का मसला भी कोर्ट से ही तय हुआ था। इसलिए संघ भी जानता है कि कोर्ट के हस्तक्षेप के बगैर यह मुद्दा हल होने वाला नहीं है। संघ इस मामले में अपनी तरफ से कोई नई लाइन नहीं खींचना चाहता है इसलिए वह वेट एंड वॉच की स्थिति में है। जहां तक विश्व हिंदू परिषद की बात है तो अयोध्या के बाद उसे यह बड़ा मुद्दा मिला है। इसलिए वीएचपी इसे जोर शोर से उठाएगी और इस मामले में सक्रिय भूमिका निभा कर इसे अंतिम सिरे तक ले जाने की कोशिश करेगी। अशोक सिंघल जीवित रहते हुए कई बार चुके कह चुके थे कि यहां एक मंदिर है और अयोध्या के बाद काशी मथुरा की बारी है।
जून की बैठक में संत और वीएचपी करेंगे ज्ञानपावी पर चर्चा
इधर,लाउडस्पीकर, श्रीकृष्ण जन्मस्थान और ज्ञानवापी मस्जिद विवाद के बीच विश्व हिंदू परिषद के केंद्रीय मार्गदर्शक मंडल की बैठक होने जा रही है। यह बैठक 11-12 जून को उत्तराखंड के हरिद्वार में होगी। इसमें विहिप पदाधिकारी के अलावा 300 से ज्यादा साधु संत शामिल होंगे। बैठक में काशी विश्वनाथ ज्ञानवापी विवाद, श्रीकृष्ण जन्मस्थान ईदगाह विवाद, लाउडस्पीकर विवाद, जनसंख्या नियंत्रण कानून और यूनिफॉर्म सिविल कोड जैसे मुद्दों पर रणनीति बनाई जाएगी। अमर उजाला से चर्चा में विश्व हिंदू परिषद के केंद्रीय मंत्री एवं धर्माचार्य संपर्क प्रमुख अशोक तिवारी ने कहा कि कृष्ण जन्मभूमि और काशी विश्वनाथ को मुक्त कराने के लिए मार्गदर्शक मंडल की बैठक में अहम फैसला होना संभव है। मंदिर का मुद्दा कोर इशू है और ये एजेंडे में है। यह मुद्दा संतों के समक्ष रखा जाएगा। इसके बाद वीएचपी के पदाधिकारी और संत समाज भविष्य की रणनीति को लेकर चर्चा करेंगे।