भारत और चीन के बीच पांच मई से जारी गतिरोध के बीच सोमवार को चीनी सेना कुछ किलोमीटर पीछे हट गई हैं। पूर्वी लद्दाख में गतिरोध के मद्देनजर भारत ने अमेरिकी अपाचे हेलिकॉप्टर्स की आखिरी खेप को वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर तैनात किया हुआ है। इसके लिए केंद्र सरकार ने कोविड-19 महामारी के कारण अधिसूचित अनिवार्य क्वारंटीन नियमों से बोइंग ठेकेदारों को छूट दी थी।
टीम ने उन पांच हेलिकॉप्टरों को इकट्ठा किया, जिन्हें भारत भेजा गया था और लद्दाख में तैनाती के लिए उड़ान परीक्षण के बाद जल्दी से उन्हें पठानकोट एयर बेस पर भेज दिया गया था। सरकार के एक उच्च सरकारी अधिकारी ने कहा, ‘सेना सबसे खराब स्थिति के लिए तैयार रहना चाहती थी। और वो यह था।’
भारत ने पिछले साल बोइंग की ओर से 22 एएच -64 अपाचे हेलिकॉप्टरों में से 17 को शामिल किया था जो 128 लक्ष्यों को ट्रैक कर सकते हैं, खतरों को प्राथमिकता दे सकते हैं और 16 लक्ष्यों को संलग्न कर सकते हैं। शेष पांच हेलिकॉप्टर मार्च के अंत तक भारत आने वाले थे। मगर कोरोना महामारी के कारण भारत में लागू राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन के कारण हेलिकॉप्टरों को भारत भेजने की योजना को रोकना पड़ा था।
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भारत को मई में उस समय झटका लगा था जब मई की शुरुआत में पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलएल) के सैनिकों ने एलएसी पर आक्रामक पॉश्चर अपना लिया था। इसके बाद लद्दाख में चार प्वाइंट पर दोनों सेनाओं के बीच गतिरोध शुरू हो गया। यह स्पष्ट था कि गतिरोध बीजिंग के आदेश पर शुरू किया गया था। इसके बाद नई दिल्ली ने जवाब देने के लिए तैयारी शुरू कर दी थी।
गतिरोध शुरू होने के कुछ दिन बाद भारतीय वायुसेना ने अपनी परिसंपत्तियां जैसे कि अपाचे हेलिकॉप्टर और 15 हैवी वेट चिनूक हेलिकॉप्टर्स को जम्मू और कश्मीर के पास स्थित एयरबेस पर भेजना शुरू कर दिया था। वायुसेना की बढ़ती गतिविधियों के बारे में पूछे जाने पर एक अधिकारी ने कहा था, ‘हम किसी भी हालात से निपटने के लिए पूरी तरह तैयार हैं।’
भारत और चीन के बीच पांच मई से जारी गतिरोध के बीच सोमवार को चीनी सेना कुछ किलोमीटर पीछे हट गई हैं। पूर्वी लद्दाख में गतिरोध के मद्देनजर भारत ने अमेरिकी अपाचे हेलिकॉप्टर्स की आखिरी खेप को वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर तैनात किया हुआ है। इसके लिए केंद्र सरकार ने कोविड-19 महामारी के कारण अधिसूचित अनिवार्य क्वारंटीन नियमों से बोइंग ठेकेदारों को छूट दी थी।
टीम ने उन पांच हेलिकॉप्टरों को इकट्ठा किया, जिन्हें भारत भेजा गया था और लद्दाख में तैनाती के लिए उड़ान परीक्षण के बाद जल्दी से उन्हें पठानकोट एयर बेस पर भेज दिया गया था। सरकार के एक उच्च सरकारी अधिकारी ने कहा, ‘सेना सबसे खराब स्थिति के लिए तैयार रहना चाहती थी। और वो यह था।’
भारत ने पिछले साल बोइंग की ओर से 22 एएच -64 अपाचे हेलिकॉप्टरों में से 17 को शामिल किया था जो 128 लक्ष्यों को ट्रैक कर सकते हैं, खतरों को प्राथमिकता दे सकते हैं और 16 लक्ष्यों को संलग्न कर सकते हैं। शेष पांच हेलिकॉप्टर मार्च के अंत तक भारत आने वाले थे। मगर कोरोना महामारी के कारण भारत में लागू राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन के कारण हेलिकॉप्टरों को भारत भेजने की योजना को रोकना पड़ा था।
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भारत को मई में उस समय झटका लगा था जब मई की शुरुआत में पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलएल) के सैनिकों ने एलएसी पर आक्रामक पॉश्चर अपना लिया था। इसके बाद लद्दाख में चार प्वाइंट पर दोनों सेनाओं के बीच गतिरोध शुरू हो गया। यह स्पष्ट था कि गतिरोध बीजिंग के आदेश पर शुरू किया गया था। इसके बाद नई दिल्ली ने जवाब देने के लिए तैयारी शुरू कर दी थी।
गतिरोध शुरू होने के कुछ दिन बाद भारतीय वायुसेना ने अपनी परिसंपत्तियां जैसे कि अपाचे हेलिकॉप्टर और 15 हैवी वेट चिनूक हेलिकॉप्टर्स को जम्मू और कश्मीर के पास स्थित एयरबेस पर भेजना शुरू कर दिया था। वायुसेना की बढ़ती गतिविधियों के बारे में पूछे जाने पर एक अधिकारी ने कहा था, ‘हम किसी भी हालात से निपटने के लिए पूरी तरह तैयार हैं।’