पासपोर्ट फार्म में लिंग परिवर्तन सर्जरी (एसआरएस) की जानकारी मांगे जाने के खिलाफ दायर याचिका पर मद्रास हाईकोर्ट ने बुधवार को केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया है। यह याचिका चेन्नई के सामाजिक कार्यकर्ता शिवकुमार ने हाईकोर्ट में दाखिल की है।
याचिका में कहा गया है कि यह संविधान के अनुच्छेद 21 का उल्लंघन है, जिसमें नागरिकों की निजी आजादी को संरक्षण दिया गया है। शिवकुमार ने अदालत से अपील की थी कि पासपोर्ट आवेदन में एसआरएस सर्टिफिकेट मांगे जाने को अंसवैधानिक करार दिया जाए।
मामले पर सुनवाई करते हुए जस्टिस एम सत्यनारायणन और जस्टिस एन शेषसाई की बेंच ने विदेश मंत्रालय के साथ, कानून और सामाजिक न्याय मंत्रालय को 12 दिसंबर तक जवाब दाखिल करने को कहा है। शिवकुमार ने अपनी याचिका में सुप्रीम कोर्ट का भी जिक्र किया है।
याचिकाकर्ता ने कहा, सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि लिंग परिवर्तन सर्जरी (एसआरएस) का प्रमाण पत्र मांगना गैर कानूनी है, लेकिन 2016 तक पासपोर्ट के लिए आवेदन करने पर उनसे मेडिकल सर्टिफिकेट मांगा जाता था। उन्होंने यह भी कहा कि भारत के अलावा दुनियाभर में एसआरएस सर्टिफिकेट को गैर जरूरी और निजी आजादी का उल्लंघन माना जाता है।
शिवकुमार ने अपनी याचिका में कहा है कि पासपोर्ट कानून 1980 के नियम 39 के तहत, एक आवेदक से उस अस्पताल का सर्टिफिकेट मांगा गया जहां लिंग परिवर्तन सर्जरी कराई गई थी। उन्होंने कहा, यह गैर कानूनी और असंवैधानिक है।
पासपोर्ट फार्म में लिंग परिवर्तन सर्जरी (एसआरएस) की जानकारी मांगे जाने के खिलाफ दायर याचिका पर मद्रास हाईकोर्ट ने बुधवार को केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया है। यह याचिका चेन्नई के सामाजिक कार्यकर्ता शिवकुमार ने हाईकोर्ट में दाखिल की है।
याचिका में कहा गया है कि यह संविधान के अनुच्छेद 21 का उल्लंघन है, जिसमें नागरिकों की निजी आजादी को संरक्षण दिया गया है। शिवकुमार ने अदालत से अपील की थी कि पासपोर्ट आवेदन में एसआरएस सर्टिफिकेट मांगे जाने को अंसवैधानिक करार दिया जाए।
मामले पर सुनवाई करते हुए जस्टिस एम सत्यनारायणन और जस्टिस एन शेषसाई की बेंच ने विदेश मंत्रालय के साथ, कानून और सामाजिक न्याय मंत्रालय को 12 दिसंबर तक जवाब दाखिल करने को कहा है। शिवकुमार ने अपनी याचिका में सुप्रीम कोर्ट का भी जिक्र किया है।
याचिकाकर्ता ने कहा, सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि लिंग परिवर्तन सर्जरी (एसआरएस) का प्रमाण पत्र मांगना गैर कानूनी है, लेकिन 2016 तक पासपोर्ट के लिए आवेदन करने पर उनसे मेडिकल सर्टिफिकेट मांगा जाता था। उन्होंने यह भी कहा कि भारत के अलावा दुनियाभर में एसआरएस सर्टिफिकेट को गैर जरूरी और निजी आजादी का उल्लंघन माना जाता है।
शिवकुमार ने अपनी याचिका में कहा है कि पासपोर्ट कानून 1980 के नियम 39 के तहत, एक आवेदक से उस अस्पताल का सर्टिफिकेट मांगा गया जहां लिंग परिवर्तन सर्जरी कराई गई थी। उन्होंने कहा, यह गैर कानूनी और असंवैधानिक है।