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विस्तार
दिल्ली नगर निगम के चुनावों के परिणाम घोषित हो गए और इसके साथ ही आम आदमी पार्टी ने पूर्ण बहुमत के साथ नगर निगम पर कब्जा जमा लिया। तीनों नगर निगम में बीते 15 साल से भारतीय जनता पार्टी की कब्जेदारी बुधवार को चुनावी परिणामों के साथ समाप्त हो गई। एमसीडी की चुनावी सियासत वाली जमीन पर अब सभी राजनीतिक दल अपने नफा नुकसान का आकलन तो कर ही रहे होंगे।
इस पूरे चुनाव में कांग्रेस हारने के बाद भी इस चुनाव को अपने लिए संजीवनी मान रही है। दरअसल, इस सियासी बाजी में वोट प्रतिशत के लिहाज से कांग्रेस ने बीते विधानसभा चुनावों से तीन गुना ज्यादा बेहतर प्रदर्शन किया है। जबकि आम आदमी पार्टी का बीते विधानसभा के चुनाव और एमसीडी के चुनावों में वोट प्रतिशत कम हुआ है। भारतीय जनता पार्टी नगर निगम की सत्ता गंवाने के बाद भी वोट प्रतिशत में यथास्थिति में ही बनी हुई है।
दिल्ली में हुए नगर निगम के चुनाव में कांग्रेस को इस बार सीटों के लिहाज से भारी नुकसान हुआ है। आंकड़ों के मुताबिक, कांग्रेस को इस बार महज नौ सीटें मिली है जो कि 2017 में तीनों नगर निगम के पार्षदों की संख्या में 22 कम है। सीटों के कम होने के बावजूद भी कांग्रेस को 2020 में हुए विधानसभा के चुनावों की तुलना में 3 गुना ज्यादा यानी 12 फीसदी मत प्रतिशत मिला है।
सियासी जानकारों का कहना है कि कांग्रेस को कम सीटों के बाद भी बढ़ा हुआ मत प्रतिशत उसको यह उम्मीद दिखाता है आने वाले लोकसभा के चुनावों में कांग्रेस अपने बड़े हुए मत प्रतिशत के साथ चुनावी मैदान में बहुत कुछ नया कर सकती है। आंकड़ों के मुताबिक कांग्रेस को 2020 के विधानसभा चुनावों में 4.3% वोट मिले थे। जो एमसीडी के चुनाव में 12 फीसदी हो गए हैं। सियासी जानकारों का कहना है कि कांग्रेस को बड़े वोट प्रतिशत से ही आम आदमी पार्टी का मत प्रतिशत एमसीडी के चुनावों में कम हुआ है। जबकि भारतीय जनता पार्टी का विधानसभा के चुनावों में मिला वोट प्रतिशत एमसीडी के चुनाव में मिले वोट प्रतिशत से थोड़ा ज्यादा ही है।
दरअसल एमसीडी के चुनावों में जो वोट प्रतिशत भारतीय जनता पार्टी, कांग्रेस और आम आदमी पार्टी को मिला है उसकी तुलना जब 2020 में विधानसभा के चुनावों से करते हैं तो सबसे ज्यादा नुकसान आम आदमी पार्टी को ही दिख रहा है। आंकड़ों के मुताबिक आम आदमी पार्टी को 2020 के विधानसभा चुनावों में 53.8 फीसदी वोट मिले थे। भारतीय जनता पार्टी को 38.7 फीसदी वोट मिले थे। इस बार को एमसीडी के चुनाव में आम आदमी पार्टी का मत प्रतिशत 53.8 फीसदी से गिरकर 42.3 फीसदी पहुंच गया है। भारतीय जनता पार्टी का मत प्रतिशत 38.7 से बढ़कर 39.2 हो गया है।
हालांकि, 2017 में हुए नगर निगम के चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को 26.8 फीसदी मत मिले थे। जबकि पहली बार नगर निगम के चुनाव में किस्मत आजमाने उतरी आम आदमी पार्टी को 26.23 फीसदी वोट मिले थे। इसी तरह सत्ता से बाहर हो चुकी कांग्रेस ने भी नगर निगम में 21.9 फीसदी मत पाए थे। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि कांग्रेस के घटे जनाधार और आम आदमी पार्टी के बढ़े जनाधार से स्पष्ट हो जाता है कि आम आदमी पार्टी में कांग्रेस के वोटों की पूरी तरह से शिफ्टिंग हुई।
सियासी जानकार और डेटा विश्लेषक तरुण धर बताते हैं कि अगर आप मत प्रतिशत की गणित को बहुत बारीकी से समझेंगे तो एक बात तो स्पष्ट हो जाती है कि भारतीय जनता पार्टी के मत प्रतिशत में बहुत बड़ा फेरबदल नहीं हुआ है। जबकि कांग्रेस के मत प्रतिशत में 3 गुना का ज्यादा इजाफा हुआ है। तरुण कहते हैं कि इस पूरी सियासी गणित में आम आदमी पार्टी और कांग्रेस को केंद्र बिंदु में ही रखकर चुनावी आकलन किया जाना चाहिए। क्योंकि एमसीडी चुनावों के वोट प्रतिशत बताते हैं आम आदमी पार्टी के वोट बैंक में कांग्रेस ने सेंधमारी की है और कांग्रेस ने अपना वोट प्रतिशत बढ़ाया है
राजनीतिक विश्लेषक हरिहर दत्त कहते हैं कि अगर वोट प्रतिशत की गणित पर आप जाएं तो स्पष्ट रूप से पता चलता है कि कांग्रेस के बढ़े हुए वोट प्रतिशत आम आदमी पार्टी के वोट बैंक में सेंधमारी करने से ही बढ़े हैं। भारतीय जनता पार्टी के मत प्रतिशत में तो खासा बदलाव दिखा नहीं है। बल्कि तकरीबन एक फ़ीसदी के करीब मत प्रतिशत भारतीय जनता पार्टी का विधानसभा चुनावों की तुलना में एमसीडी के चुनाव में बढ़ गया है। सियासी जानकारों का कहना है कि कांग्रेस पार्टी अगर एमसीडी में बढ़े हुए वोट प्रतिशत के साथ अपनी आने वाले चुनावों में रणनीति बनाती है तो निश्चित तौर पर वह कुछ बेहतर कर सकेगी। कांग्रेस पार्टी से जुड़े वरिष्ठ नेता कहते हैं कि उनकी सीटें जरूर कम आई हैं लेकिन एमसीडी चुनाव में बढ़े हुए मत प्रतिशत को आने वाले चुनावों में और ज्यादा वोट परसेंटेज बढ़ाने के साथ सीटें बढ़ाने पर रणनीति भी बनाएंगे।
पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक अभिषेक शर्मा कहते हैं कि एमसीडी के चुनाव के साथ-साथ हिमाचल प्रदेश और गुजरात के चुनाव में भी ऐसे ही मत प्रतिशत के आधार पर सियासी जमीन की ताकत का अंदाजा लगाया जा सकेगा। शर्मा कहते हैं कि गुरुवार को हिमाचल प्रदेश और गुजरात का रिजल्ट भी आना बाकी है। वो कहते हैं कि अगर एग्जिट पोल को आंकड़ों के लिहाज से देखें तो पता चलता है कि आम आदमी पार्टी ने गुजरात में कांग्रेस के वोट में सेंधमारी की है।
उनका कहना है कि एग्जिट पोल के अनुमान अगर नतीजों में और मत प्रतिशत में तब्दील हो जाते हैं तो यह जरूर स्पष्ट हो जाएगा कि आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के वोट बैंक में किसकी सेंधमारी हो रही है। अभिषेक कहते हैं कि एमसीडी के चुनावों से एक बात तो बिल्कुल स्पष्ट हो गई है कि कांग्रेस ने बढ़े हुए वोट प्रतिशत के साथ आम आदमी पार्टी के वोट बैंक में सेंधमारी करने की कोशिश की है, और बहुत हद तक सफलता भी पाई है। हालांकि सीटों के लिहाज से कांग्रेस को कोई भी फायदा नहीं हुआ है।
कांग्रेस पार्टी से जुड़े हुए एक वरिष्ठ नेता बताते हैं कि आम आदमी पार्टी का जनाधार कांग्रेस के ही असली वोट बैंक के साथ शुरू हुआ है। वो कहते हैं कि एमसीडी के चुनाव में कांग्रेस को मिले वोटों से वह अब अपनी नई रणनीति भी बनाने वाले हैं। उनका कहना है कि जिस तरीके से कांग्रेस की ओर दिल्ली के लोगों ने रुख करना शुरू किया है, वह आने वाले लोकसभा के चुनावों में नासिर और बढ़ेगा बल्कि अन्य राज्यों में होने वाले विधानसभा के चुनावों में भी एक बड़ा संदेश देगा। राजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक एमसीडी के चुनाव में कांग्रेस का बढ़ा हुआ वोट प्रतिशत निश्चित तौर पर पार्टी के लिए एक नई ऊर्जा और ऑक्सीजन की तरह ही है।