न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: गौरव पाण्डेय
Updated Wed, 27 Oct 2021 03:45 PM IST
चीन के नए भूमि सीमा नियम को भारतीय विदेश मंत्रालय ने बुधवार को एकतरफा फैसला करार दिया। मंत्रालय ने कहा कि एक ऐसा कानून लाने का चीन का एकतरफा निर्णय जो सीमा प्रबंधन के साथ-साथ सीमा से संबंधित मुद्दों पर हमारी मौजूदा द्विपक्षीय व्यवस्थाओं पर प्रभाव डाल सकता है, हमारे लिए चिंता का विषय है।
मंत्रालय ने कहा कि इस तरह के एकतरफा कदम का उन व्यवस्थाओं पर कोई असर नहीं पड़ेगा जिन दोनों पक्ष पहले ही सहमत हो चुके हैं, फिर चाहे वह सीमा से संबंधित मामलों पर हो या भारत-चीन सीमा क्षेत्रों में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर शांति बनाए रखने के लिए हो। विदेश मंत्रालय ने कहा कि हम उम्मीद करते हैं कि चीन इस कानून के बहाने ऐसे कदम उठाने से बचेगा जो भारत और चीन के बीच सीमा क्षेत्रों में स्थिति को एकतरफा रूप से बदल सकते हैं और तनाव पैदा कर सकते हैं।
विदेश मंत्रालय की ओर से अरिंदम बागची ने प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कहा कि हमने चीन की तरफ से पारित लैंड बाउंड्री कानून को देखा है। इसके मुताबिक, चीन दूसरे देशों के साथ भूमि सीमा मामलों पर किए गए समझौतों का पालन करता है। इसके तहत सीमावर्ती इलाकों के जिलों में नए सिरे से सीमा तय करने का भी प्रावधान है। यह भी ध्यान रखा जाना चाहिए कि भारत और चीन के बीच अंतरराष्ट्रीय सीमा का अभी तक निर्धारण नहीं हो सका है। दोनों देशों ने वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर अमन व शांति बनाये रखने के लिए कई समझौतों और मसौदों पर भी हस्ताक्षर किये हैं। इस संबंध में चीन की तरफ से मनमाने तरीके से इस तरह का कानून बनाने से हमारे बीच किये गये मौजूदा समझौतों पर असर हो सकता है।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि हमारी नजर में इस तरह का कानून 1963 में चीन और पाकिस्तान के बीच किए गए सीमा समझौतों की स्थिति भी नहीं बदल सकता। यह समझौता अवैध और गलत है।
विस्तार
चीन के नए भूमि सीमा नियम को भारतीय विदेश मंत्रालय ने बुधवार को एकतरफा फैसला करार दिया। मंत्रालय ने कहा कि एक ऐसा कानून लाने का चीन का एकतरफा निर्णय जो सीमा प्रबंधन के साथ-साथ सीमा से संबंधित मुद्दों पर हमारी मौजूदा द्विपक्षीय व्यवस्थाओं पर प्रभाव डाल सकता है, हमारे लिए चिंता का विषय है।
मंत्रालय ने कहा कि इस तरह के एकतरफा कदम का उन व्यवस्थाओं पर कोई असर नहीं पड़ेगा जिन दोनों पक्ष पहले ही सहमत हो चुके हैं, फिर चाहे वह सीमा से संबंधित मामलों पर हो या भारत-चीन सीमा क्षेत्रों में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर शांति बनाए रखने के लिए हो। विदेश मंत्रालय ने कहा कि हम उम्मीद करते हैं कि चीन इस कानून के बहाने ऐसे कदम उठाने से बचेगा जो भारत और चीन के बीच सीमा क्षेत्रों में स्थिति को एकतरफा रूप से बदल सकते हैं और तनाव पैदा कर सकते हैं।
विदेश मंत्रालय की ओर से अरिंदम बागची ने प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कहा कि हमने चीन की तरफ से पारित लैंड बाउंड्री कानून को देखा है। इसके मुताबिक, चीन दूसरे देशों के साथ भूमि सीमा मामलों पर किए गए समझौतों का पालन करता है। इसके तहत सीमावर्ती इलाकों के जिलों में नए सिरे से सीमा तय करने का भी प्रावधान है। यह भी ध्यान रखा जाना चाहिए कि भारत और चीन के बीच अंतरराष्ट्रीय सीमा का अभी तक निर्धारण नहीं हो सका है। दोनों देशों ने वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर अमन व शांति बनाये रखने के लिए कई समझौतों और मसौदों पर भी हस्ताक्षर किये हैं। इस संबंध में चीन की तरफ से मनमाने तरीके से इस तरह का कानून बनाने से हमारे बीच किये गये मौजूदा समझौतों पर असर हो सकता है।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि हमारी नजर में इस तरह का कानून 1963 में चीन और पाकिस्तान के बीच किए गए सीमा समझौतों की स्थिति भी नहीं बदल सकता। यह समझौता अवैध और गलत है।