बंगलूरू में राष्ट्रीय जांच एजेंसी की विशेष अदालत ने मैसूर कोर्ट ब्लास्ट मामले में अलकायदा से जुड़े तीन आतंकियों को सजा सुनाई। पिछले शुक्रवार को अदालत ने नैनार अब्बास अली, सैमसन करीम राजा और सुलेमान को दोषी ठहराया था। 1 अगस्त 2016 को मैसूर के चामराजपुरम कोर्ट परिसर में एक सार्वजनिक शौचालय में बम ब्लास्ट हुआ था।
जेल की सजा के साथ जुर्माना भी
एनआईए द्वारा जारी प्रेस रिलीज के मुताबिक, नैनार अब्बास अली को सात साल कठोर कारावास और तीन साल सामान्य जेल (कुल 10 साल) की सजा सुनाई गई है। उस पर 43,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है। सैमसन करीम राजा को पांच साल जेल की सजा और 25,000 रुपये जुर्माना की सजा सुनाई गई है। तीसरे दोषी सुलेमान को सात साल कठोर कारावास और तीन साल सामान्य जेल (कुल 10 साल) की सजा सुनाई गई है। उसे 38,000 रुपये जुर्माना भरने का आदेश दिया गया है।
शौचालय में हुआ था धमाका
मैसूर जिले में चामराजपुरम कोर्ट परिसर के एक शौचालय में 1 अगस्त 2016 को ये धमाका हुआ था। इस मामले में 1 अगस्त 2016 को लक्ष्मीपुरम पुलिस थाने पर अज्ञात लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई थी। बाद में केंद्रीय गृहमंत्रालय के आदेश पर एनआईए ने दोबारा मामला दर्ज किया था।
एनआईए के अनुसार जांच में ये पता चला कि मैसूर का ये धमाका बेस मूवमेंट के सदस्यों द्वारा किए गए पांच बम धमाकों की श्रृंखला का हिस्सा था। इन सदस्यों ने उसी साल 4 अप्रैल को आंध्र प्रदेश के नेल्लोर जिले में चिट्टोर कोर्ट, केरल के कोल्लम कोर्ट में 15 मई और फिर से नेल्लोर कोर्ट में 12 सितंबर और केरल के मल्लपुरम कोर्ट में एक नवंबर को धमाके किए थे।
अलकायदा से प्रभावित थे आतंकी
नैनार अब्बास और दाउद सुलेमान ने अलकायदा और ओसामा बिन लादेन से प्रेरित होकर जनवरी 2015 में तमिलनाडु में बेस मूवमेंट की स्थापना की थी। इसके बाद इन्होंने अन्य सदस्यों को जोड़ा और सरकारी विभागों खासकर अदालतों को निशाना बनाना शुरू किया क्योंकि ये मानते थे कि अदालतें एक खास समुदाय के उत्पीड़न के लिए जिम्मेदार हैं।
इस साजिश के तहत इन लोगों ने अलग अलग राज्यों के जेल अधिकारियों, पुलिस अधिकारियों, भारत स्थित फ्रांसीसी दूतावास आदि को धमकी भरे संदेश भी भेजे थे। जांच के बाद एनआईए ने तीन आरोपियों नयनार अब्बास अली, एम सुलेमान करीम राजा और दाउद सुलेमान के खिलाफ 24 मई 2017 को आरोपपत्र दायर किया था।
विस्तार
बंगलूरू में राष्ट्रीय जांच एजेंसी की विशेष अदालत ने मैसूर कोर्ट ब्लास्ट मामले में अलकायदा से जुड़े तीन आतंकियों को सजा सुनाई। पिछले शुक्रवार को अदालत ने नैनार अब्बास अली, सैमसन करीम राजा और सुलेमान को दोषी ठहराया था। 1 अगस्त 2016 को मैसूर के चामराजपुरम कोर्ट परिसर में एक सार्वजनिक शौचालय में बम ब्लास्ट हुआ था।
जेल की सजा के साथ जुर्माना भी
एनआईए द्वारा जारी प्रेस रिलीज के मुताबिक, नैनार अब्बास अली को सात साल कठोर कारावास और तीन साल सामान्य जेल (कुल 10 साल) की सजा सुनाई गई है। उस पर 43,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है। सैमसन करीम राजा को पांच साल जेल की सजा और 25,000 रुपये जुर्माना की सजा सुनाई गई है। तीसरे दोषी सुलेमान को सात साल कठोर कारावास और तीन साल सामान्य जेल (कुल 10 साल) की सजा सुनाई गई है। उसे 38,000 रुपये जुर्माना भरने का आदेश दिया गया है।
शौचालय में हुआ था धमाका
मैसूर जिले में चामराजपुरम कोर्ट परिसर के एक शौचालय में 1 अगस्त 2016 को ये धमाका हुआ था। इस मामले में 1 अगस्त 2016 को लक्ष्मीपुरम पुलिस थाने पर अज्ञात लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई थी। बाद में केंद्रीय गृहमंत्रालय के आदेश पर एनआईए ने दोबारा मामला दर्ज किया था।
एनआईए के अनुसार जांच में ये पता चला कि मैसूर का ये धमाका बेस मूवमेंट के सदस्यों द्वारा किए गए पांच बम धमाकों की श्रृंखला का हिस्सा था। इन सदस्यों ने उसी साल 4 अप्रैल को आंध्र प्रदेश के नेल्लोर जिले में चिट्टोर कोर्ट, केरल के कोल्लम कोर्ट में 15 मई और फिर से नेल्लोर कोर्ट में 12 सितंबर और केरल के मल्लपुरम कोर्ट में एक नवंबर को धमाके किए थे।
अलकायदा से प्रभावित थे आतंकी
नैनार अब्बास और दाउद सुलेमान ने अलकायदा और ओसामा बिन लादेन से प्रेरित होकर जनवरी 2015 में तमिलनाडु में बेस मूवमेंट की स्थापना की थी। इसके बाद इन्होंने अन्य सदस्यों को जोड़ा और सरकारी विभागों खासकर अदालतों को निशाना बनाना शुरू किया क्योंकि ये मानते थे कि अदालतें एक खास समुदाय के उत्पीड़न के लिए जिम्मेदार हैं।
इस साजिश के तहत इन लोगों ने अलग अलग राज्यों के जेल अधिकारियों, पुलिस अधिकारियों, भारत स्थित फ्रांसीसी दूतावास आदि को धमकी भरे संदेश भी भेजे थे। जांच के बाद एनआईए ने तीन आरोपियों नयनार अब्बास अली, एम सुलेमान करीम राजा और दाउद सुलेमान के खिलाफ 24 मई 2017 को आरोपपत्र दायर किया था।