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हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस ने जिस तरीके से ओपीएस के मुद्दे को मजबूती से आगे बढ़ा कर सत्ता पर कब्जा जमा लिया, तो सवाल अब यही उठ रहा है कि क्या कांग्रेस अब आने वाले दिनों में इसी मुद्दे को सबसे आगे रखेगी। कांग्रेस से जुड़े एक वरिष्ठ नेता कहते हैं कि इसमें कोई दो राय नहीं है कि ओल्ड पेंशन स्कीम के मुद्दे ने लोगों को कांग्रेस से जोड़ा है। यही वजह है कि आने वाले दिनों मे होने वाले विधानसभा और लोकसभा के चुनावों में कांग्रेस अब इसी मुद्दे को गेम चेंजर की तरह इस्तेमाल करने की तैयारी कर रही है।
कांग्रेस ने जिस तरीके से हिमाचल प्रदेश में ओपीएस का मुद्दा बनाकर सत्ता पर कब्जा जमाया वह पार्टी के लिए बड़ी उम्मीद की किरण दिख रही है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि ओपीएस एक बड़ा मुद्दा तो है ही। ओपीएस मामले को लेकर लंबे समय से संघर्ष करने वाली संस्था से जुड़े कर्मचारी नेता हरिमोहन अर्कवंशी कहते हैं कि जो पार्टी इस मुद्दे को जोर-शोर से उठाएगी और उनकी समस्याओं को दूर करेगी जाहिर सी बात है कर्मचारी उनके साथ जुड़ेगा ही। राजनीतिक विश्लेषक आरएन शर्मा बताते हैं कि जिस तरीके से कांग्रेस ने इस मुद्दे को उठाया और मुद्दे के साथ उनको सफलता मिली वह निश्चित तौर पर अगले चुनावों में कांग्रेस के लिए गेम चेंजर साबित हो सकती है। कांग्रेस पार्टी से जुड़े वरिष्ठ नेता बताते हैं कि जिन राज्यों में कांग्रेस की सरकार है वहां पर इस योजना को लागू किया जा चुका है। यही वजह है कि जिन राज्यों में चुनाव हो रहे हैं वहां पर जनता इस मुद्दे के साथ कांग्रेस में भरोसा जता रही है।
सियासी जानकारों का कहना है कि कर्मचारियों के इस मुद्दे के साथ राजनीतिक पार्टियां चुनावी आगाज तो कर ही रही हैं। राजनीतिक विश्लेषक जीडी शुक्ला कहते हैं कि लेकिन यह जरूरी नहीं है कि ओपीएस के मुद्दे पर सभी राज्यों में राजनीतिक दलों को जनता का इतना ही समर्थन मिले। शुक्ला बताते हैं कि उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी ने भी विधानसभा के चुनावों में पुरानी पेंशन बहाली का मुद्दा जोर-शोर से उठाया था। उत्तर प्रदेश की जनता और कर्मचारियों ने इस मुद्दे में समाजवादी पार्टी का साथ नहीं दिया। नतीजतन समाजवादी पार्टी को इस मुद्दे का कोई लाभ नहीं हुआ। वह कहते हैं कि सिर्फ यही मुद्दा उठा कर के कोई भी राजनीतिक पार्टी सरकार बनाने का सपना नहीं देख सकती। सियासी जानकार कहते हैं कि ओपीएस मुद्दा तो बड़ा है लेकिन सिर्फ इस मुद्दे को लेकर के सियासत की जमीन पर जाकर चुनाव लड़ना और फायदे की बात सोचना बेमानी होगी।
आर्थिक मामलों से जुड़े विशेषज्ञ आरएस वैद्य कहते हैं कि 2003 में जब इस स्कीम को बंद किया गया तो आर्थिक स्थिति की बात कही गई थी। उसके बाद बहुत से राज्यों ने आईएस योजना की बहाली भी थी। वैद्य कहते हैं कि पंजाब में भी पुरानी पेंशन योजना की बहाली की तैयारी चल रही है। कांग्रेस ने अपने शासन वाले राज्यों में उसकी बहाली कर दी है। उनका कहना है कि हिमाचल में चुनाव इस बड़े मुद्दे के साथ ही कांग्रेस पार्टी ने जीता है। इसलिए हिमाचल में भी पुरानी पेंशन बहाली की योजना लागू ही हो जाएगी। वह कहते हैं कि राजनीतिक लिहाज से इस योजना का लाभ है लेकिन आर्थिक स्तर पर इसका क्या असर पड़ रहा है इसका जरूर आकलन किया जाना चाहिए।
कांग्रेस पार्टी से जुड़े सूत्रों का कहना है कि कांग्रेस पार्टी सिर्फ इसी मुद्दे के साथ अगले साल होने वाले विधानसभा के चुनाव लोकसभा के चुनाव में उतरने की तैयारी कर रही है। हिमाचल प्रदेश में चुनावों के आए रिजल्ट के बाद इस मुद्दे की बड़े स्तर पर बढ़ाने की पूरी तैयारी की जा रही है। सूत्रों का कहना है कि कांग्रेस की जल्द होने वाली बड़ी बैठक में ऐसे तमाम मुद्दों की पूरी फेहरिस्त तैयार की जा रही है और उसी के आधार पर चुनावी जंग में उतरने का पूरा खाका खींचा जा रहा है।
कांग्रेस से जुड़े वरिष्ठ नेता बताते हैं कि हिमाचल प्रदेश में सरकार बनने की बड़ी वजह में ओल्ड पेंशन स्कीम का मुद्दा सबसे महत्वपूर्ण है। वह कहते हैं कि जिस तरीके से इस पेंशन को बंद कर दिया गया उससे देश का करोड़ों कर्मचारी प्रभावित हो रहे हैं। उनका कहना है कि हिमाचल में ऑफिस के मुद्दे को लेकर जिस तरीके से उनकी पार्टी जनता के बीच में गई और जनता ने उनको इस मुद्दे पर जनादेश भी दिया है। यही वजह है कि उनकी सरकार बनते ही सबसे पहली कैबिनेट बैठक में पुरानी पेंशन बहाल की जाएगी।