शशिधर पाठक, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: Harendra Chaudhary
Updated Thu, 04 Feb 2021 07:31 PM IST
संसद राजनीति का मंदिर है तो राजनीति की बातें सुनने को मिलती ही रहती हैं। गुरुवार को राज्यसभा के सांसदों को ऐसा ही क्षण देखने को मिला, जब सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों तरफ से व्यंग्य वाण चले। एक तरफ ग्वालियर के महाराज ज्योतिरादित्य सिंधिया थे तो दूसरी तरफ विपक्ष से राघोगढ़ के राजा दिग्विजय सिंह। हुआ यूं कि ज्योतिरादित्य सिंधिया ने तीनों कृषि कानूनों का समर्थन करते हुए यूपीए-2 सरकार के दौर का सहारा ले लिया। वह कांग्रेस पर दोहरा मानदंड अपनाने का आरोप लगाने से नहीं चूके। सिंधिया के बैठते ही दिग्विजय ने कांगेस की तरफ से कमान संभाली और ग्वालियर के महाराज पर यह कहते हुए दोहरे मानदंड का तंज कस दिया कि जब यूपीए सरकार में थे हमारे सरकार की वकालत करते थे और अब दूसरे पाले में हैं तो उधर की भाषा बोल रहे हैं।
मामला यहीं खत्म नहीं हुआ दिग्विजय के इस जहर बुझे बारीक तीर को उसी अंदाज में सिंधिया ने लौटा दिया। सिंधिया ने कहा कि आपका आशीर्वाद है। राजनीति के पंडितों ने यहां फिर व्यंग्य का आदान-प्रदान देखा। उन्हें लग रहा है कि सिंधिया ने ताना कसा कि उन्होंने कांग्रेस छोड़ी तो इसका बड़ा कारण दिग्विजय ही थे। दिग्विजय भी कहां चूकने वाले। पलट कर कह दिया कि महाराज आपके ऊपर हमारा आशीर्वाद था, है और रहेगा। भला अब इसके बाद बचता ही क्या है।
हरसिमरत कौर बादल की दुविधा
शिरोमणि अकाली दल (बादल) की सांसद और पूर्व केन्द्रीय मंत्री हरसिमरत कौर बादल की दुविधा काफी बढ़ गई है। बादल तेज तर्रार नेता हैं। उनकी संवाद शैली भी बहुत अच्छी है, लेकिन पूरी योग्यता धरी की धरी रह जा रही है। केन्द्र सरकार में मंत्री रहने के कारण किसान संगठन जहां खास ध्यान नहीं दे रहे हैं, वहीं आज उनका गाजीपुर का दौरा भी सफल नहीं हो पाया। हरसिमरत कौर संसद भवन परिसर में पहले आती थीं तो मीडियाकर्मी उन्हें बाइट लेने के लिए घेर लेते थे। लेकिन जब से उन्होंने केन्द्र सरकार का साथ छोड़ा है, इसमें भी काफी कमी आई है। दो दिन पहले किसानों के मुद्दे पर हरसिमरत कौर किसानों के मुद्दे पर किसानों पर बरस रही थीं तो पीछे से एक भाजपा सांसद तंज कसते हुए निकल गए कि क्या दिन आ गए। जब चाहे सत्ता में रहो सरकार का गुणगान करो और जब चाहे बाहर होकर मोदी सरकार को पानी पीकर कोसो।
किसानों के आंदोलन में राजनीति की घुसपैठ कराएगी फायदा
केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह को लग रहा है कि किसान आंदोलन में जल्द ही पासा पलटेगा। केन्द्रीय कृषि मंत्री नरेन्द्र तोमर अभी वेट एंड वाच की भूमिका में हैं। विदेश मंत्रालय इसे लेकर विदेश और मीडिया में बढ़ रही हलचल को लेकर तंग है। इससे इतर एक मोदी सेना है। सोशल मीडिया से लेकर हर जगह काफी सक्रिय है। इन सबके साथ-साथ केन्द्र सरकार के आधिकारियों और सलाहकारों का भी वर्ग है। इसे उम्मीद है कि जल्द ही किसानों के आंदोलन में बढ़ रहा राजनीतिक दबाव सरकार को बड़ी राहत दे सकता है। बताते हैं कि भाकियू के नेता टिकैत अब आंदोलन का बड़ा चेहरा बन गए हैं। कृषि मंत्रालय के एक नौकरशाह का कहना है कि आंदोलन पर जब सरकार का दबाव होता है, तो उसे राजनीतिक संरक्षण की जरूरत पड़ती है, लेकिन आंदोलन पर राजनीति हावी हो जाती है, तब उसके भटकने का खतरा बढ़ जाता है। सूत्र के मुताबिक सरकार को हमेशा ऐसे ही समय की तलाश रहती है।
विस्तार
संसद राजनीति का मंदिर है तो राजनीति की बातें सुनने को मिलती ही रहती हैं। गुरुवार को राज्यसभा के सांसदों को ऐसा ही क्षण देखने को मिला, जब सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों तरफ से व्यंग्य वाण चले। एक तरफ ग्वालियर के महाराज ज्योतिरादित्य सिंधिया थे तो दूसरी तरफ विपक्ष से राघोगढ़ के राजा दिग्विजय सिंह। हुआ यूं कि ज्योतिरादित्य सिंधिया ने तीनों कृषि कानूनों का समर्थन करते हुए यूपीए-2 सरकार के दौर का सहारा ले लिया। वह कांग्रेस पर दोहरा मानदंड अपनाने का आरोप लगाने से नहीं चूके। सिंधिया के बैठते ही दिग्विजय ने कांगेस की तरफ से कमान संभाली और ग्वालियर के महाराज पर यह कहते हुए दोहरे मानदंड का तंज कस दिया कि जब यूपीए सरकार में थे हमारे सरकार की वकालत करते थे और अब दूसरे पाले में हैं तो उधर की भाषा बोल रहे हैं।
मामला यहीं खत्म नहीं हुआ दिग्विजय के इस जहर बुझे बारीक तीर को उसी अंदाज में सिंधिया ने लौटा दिया। सिंधिया ने कहा कि आपका आशीर्वाद है। राजनीति के पंडितों ने यहां फिर व्यंग्य का आदान-प्रदान देखा। उन्हें लग रहा है कि सिंधिया ने ताना कसा कि उन्होंने कांग्रेस छोड़ी तो इसका बड़ा कारण दिग्विजय ही थे। दिग्विजय भी कहां चूकने वाले। पलट कर कह दिया कि महाराज आपके ऊपर हमारा आशीर्वाद था, है और रहेगा। भला अब इसके बाद बचता ही क्या है।