न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: दीप्ति मिश्रा
Updated Tue, 08 Dec 2020 08:56 PM IST
चीन वर्ष 2017 में डोकलाम में भारतीय सेना से मुंहतोड़ जवाब मिलने के बाद से ही वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर सैन्य ताकत बढ़ाने में लगा हुआ है। डोकलाम संकट के बाद से चीन ने लद्दाख से लेकर अरुणाचल प्रदेश तक एलएसी के पास गहराई वाले इलाकों में सैन्य शिविर बना लिए हैं। सूत्रों से मंगलवार को यह जानकारी मिली।
भारत और चीन की सेनाओं के बीच अप्रैल-मई से ही एलएसी पर तनावपूर्ण स्थिति बनी हुई है। इस कड़ाके की सर्दी में भी 18 हजार फीट की ऊंचाई पर लद्दाख के रेतीले पहाड़ों पर दोनों सेनाएं आमने-सामने डटी हुई हैं। लेकिन ऐसा लगता है कि डोकलाम के बाद से ही चीन ने किसी भी स्थिति से निपटने की तैयारी शुरू कर दी थी।
स्थानीय नागरिकों ने देखे चीनी शिविर
एक सरकारी सूत्र ने बताया कि चीन डोकलाम विवाद के बाद से ही एलएसी के साथ अपने निचले क्षेत्रों में सैन्य शिविर बनाने में जुटा है। एलएसी के आसपास स्थानीय नागरिकों ने ऐसे 20 से अधिक शिविर देखे हैं। इन शिविरों को बना लेने से चीनी सेना को ये फायदा हुआ है कि वह अपने क्षेत्र में ज्यादा बेहतर तरीके से गश्त कर सकती है। साथ ही सीमा पर तनाव की स्थिति में चीनी सेना को मूवमेंट में भी आसानी रहेगी।
भारत ने 2017 में भूटान के क्षेत्र में चीनी सेना के निर्माण कार्य को दिया था, इसके बाद डोकलाम में भारत और चीन की सेनाएं आमने-सामने आ गईं थीं। इस निर्माण के चलते चीन भारत के उस रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण हिस्से के बेहद पास आ जाता, जिसे चिकन नेक कहा जाता है। चिकन नेक वह हिस्सा है, जो भारत के मुख्य हिस्से और उत्तर पूर्वी क्षेत्र को आपस में जोड़ता है। इस हिस्से पर अगर चीन नियंत्रण कर ले तो भारत के लिए उत्तर पूर्व से जमीनी संपर्क टूट जाएगा।
भारत के इस रुख की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर काफी सराहना हुई थी। इसकी वजह ये पहली बार था, जब सीमा के मुद्दे पर किसी ने चीन की आंख में आंख डालकर बात की थी। वहीं पूर्वी लद्दाख में चल रहे दोनों देशों की सेनाओं के बीच जारी तनाव के दौरान भी 50 हजार से अधिक भारतीय सैनिक दुर्गम स्थानों पर चीन के सामने मजबूती से खड़े हैं।
चीन वर्ष 2017 में डोकलाम में भारतीय सेना से मुंहतोड़ जवाब मिलने के बाद से ही वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर सैन्य ताकत बढ़ाने में लगा हुआ है। डोकलाम संकट के बाद से चीन ने लद्दाख से लेकर अरुणाचल प्रदेश तक एलएसी के पास गहराई वाले इलाकों में सैन्य शिविर बना लिए हैं। सूत्रों से मंगलवार को यह जानकारी मिली।
भारत और चीन की सेनाओं के बीच अप्रैल-मई से ही एलएसी पर तनावपूर्ण स्थिति बनी हुई है। इस कड़ाके की सर्दी में भी 18 हजार फीट की ऊंचाई पर लद्दाख के रेतीले पहाड़ों पर दोनों सेनाएं आमने-सामने डटी हुई हैं। लेकिन ऐसा लगता है कि डोकलाम के बाद से ही चीन ने किसी भी स्थिति से निपटने की तैयारी शुरू कर दी थी।
स्थानीय नागरिकों ने देखे चीनी शिविर
एक सरकारी सूत्र ने बताया कि चीन डोकलाम विवाद के बाद से ही एलएसी के साथ अपने निचले क्षेत्रों में सैन्य शिविर बनाने में जुटा है। एलएसी के आसपास स्थानीय नागरिकों ने ऐसे 20 से अधिक शिविर देखे हैं। इन शिविरों को बना लेने से चीनी सेना को ये फायदा हुआ है कि वह अपने क्षेत्र में ज्यादा बेहतर तरीके से गश्त कर सकती है। साथ ही सीमा पर तनाव की स्थिति में चीनी सेना को मूवमेंट में भी आसानी रहेगी।