संसद भवन के सेंट्रल हॉल में लोक लेखा समिति के दो दिवसीय शताब्दी समारोह का उद्घाटन करते हुए राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने शनिवार को कहा, लोकतंत्र में संसद लोगों की इच्छाओं का प्रतीक होती है और संसदीय समितियां इसके विस्तार के रूप में काम करते हुए इसे कार्यकुशल बनाती हैं। इसमें विशेष रूप से लोक लेखा समिति, विधायिका के प्रति कार्यपालिका की प्रशासनिक जवाबदेही सुनिश्चित करती है।
कोविंद ने कहा, चूंकि संसद ही कार्यपालिका को धनराशि जुटाने और खर्च करने की अनुमति देती है, इसलिए यह आकलन करना भी इसका कर्तव्य है कि निर्धारित उद्देश्यों के अनुसार धन जुटाया और खर्च किया गया या नहीं।
उन्होंने लोक लेखा समिति के रिकॉर्ड को सराहनीय और उल्लेखनीय बताते हुए उम्मीद जताई कि इस समिति का यह शताब्दी समारोह कार्यपालिका को अधिक जवाबदेह बनाने और इस प्रकार जनकल्याण में सुधार करने के तरीकों पर चर्चा के लिए एक आदर्श मंच प्रदान करेगा।
दो दिवसीय शताब्दी समारोह के उद्घाटन कार्यक्रम में उपराष्ट्रपति और राज्य सभा के सभापति वेंकैया नायडू, संसद की लोक लेखा समिति के सभापति अधीर रंजन चौधरी के अलावा कई केंद्रीय मंत्री, सांसद, राज्यों के विधानमंडलों के पीठासीन अधिकारी, राज्यों की लोक लेखा समितियों के अध्यक्ष और अन्य विशिष्ट व्यक्ति भी शामिल हुए।
वर्ष में सौ दिन चलनी चाहिए सदन की कार्यवाही: नायडू
उपराष्ट्रपति तथा राज्यसभा के सभापति एम वेंकैया नायडू ने इस दौरान कहा, सरकारों द्वारा मुफ्त में दी जाने वाली सुविधाओं की पृष्ठभूमि में कल्याण और विकास के उद्देश्यों के बीच तालमेल बिठाने पर व्यापक चर्चा होनी चाहिए।
उन्होंने संसद की लोक लेखा समिति (पीएसी) से इस पहलू पर विचार करने का अनुरोध किया ताकि व्यापक चर्चा का मार्ग प्रशस्त हो सके। साथ ही यह भी कहा कि संसद को हर साल कम से कम 100 दिन और राज्य विधानसभाओं को कम से कम 90 दिन बैठक करनी चाहिए। जरूरतमंद लोगों के कल्याण और सामाजिक सुरक्षा को सुनिश्चित करना सरकारों का एक सबसे बड़ा दायित्व है। इसलिए इस मुद्दे पर व्यापक बहस होनी चाहिए।
यह आत्मनिरीक्षण कावक्त
नायडू कहा, संसदीय समितियों की बैठक में सांसदों ने शामिल होना छोड़ दिया है। इसलिए यह आत्मनिरीक्षण का समय है। उन्होंने फिजूलखर्च रोकने और संसाधनों का दुरुपयोग न करने पर भी जोर दिया। राजीव गांधी का जिक्र करते हुए कहा, उन्होंने कहा था कि एक रुपये में महज 16 पैसे ही जनता के पास पहुंचते हैं। यह किसी पर आरोप नहीं था, बल्कि व्यवस्था पर उठाया गया सवाल था।
संसद व राज्य विधानमंडलों की लोक लेखा समितियों का एक साझा मंच बने: बिरला
लोक लेखा समिति के सौ वर्ष पूरे होने के मौके पर लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा, संसद और सभी राज्यों के विधानमंडलों की लोक लेखा समितियों का एक साझा मंच होना चाहिए। चूंकि दोनों के बीच साझे हित के अनेक मुद्दे हैं, इसलिए इनके बीच समन्वय बढ़ाने, अधिक पारदर्शिता व कार्यपालिका की जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए साझा मंच होना चाहिए।
उन्होंने कहा, लोकतांत्रिक संस्थाओं का मुख्य दायित्व शासन को जनता के प्रति जवाबदेह, जिम्मेदार व पारदर्शी बनाना है और संसदीय समितियों ने अपने काम से इसे संभव बनाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है
विस्तार
संसद भवन के सेंट्रल हॉल में लोक लेखा समिति के दो दिवसीय शताब्दी समारोह का उद्घाटन करते हुए राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने शनिवार को कहा, लोकतंत्र में संसद लोगों की इच्छाओं का प्रतीक होती है और संसदीय समितियां इसके विस्तार के रूप में काम करते हुए इसे कार्यकुशल बनाती हैं। इसमें विशेष रूप से लोक लेखा समिति, विधायिका के प्रति कार्यपालिका की प्रशासनिक जवाबदेही सुनिश्चित करती है।
कोविंद ने कहा, चूंकि संसद ही कार्यपालिका को धनराशि जुटाने और खर्च करने की अनुमति देती है, इसलिए यह आकलन करना भी इसका कर्तव्य है कि निर्धारित उद्देश्यों के अनुसार धन जुटाया और खर्च किया गया या नहीं।
उन्होंने लोक लेखा समिति के रिकॉर्ड को सराहनीय और उल्लेखनीय बताते हुए उम्मीद जताई कि इस समिति का यह शताब्दी समारोह कार्यपालिका को अधिक जवाबदेह बनाने और इस प्रकार जनकल्याण में सुधार करने के तरीकों पर चर्चा के लिए एक आदर्श मंच प्रदान करेगा।
दो दिवसीय शताब्दी समारोह के उद्घाटन कार्यक्रम में उपराष्ट्रपति और राज्य सभा के सभापति वेंकैया नायडू, संसद की लोक लेखा समिति के सभापति अधीर रंजन चौधरी के अलावा कई केंद्रीय मंत्री, सांसद, राज्यों के विधानमंडलों के पीठासीन अधिकारी, राज्यों की लोक लेखा समितियों के अध्यक्ष और अन्य विशिष्ट व्यक्ति भी शामिल हुए।
वर्ष में सौ दिन चलनी चाहिए सदन की कार्यवाही: नायडू
उपराष्ट्रपति तथा राज्यसभा के सभापति एम वेंकैया नायडू ने इस दौरान कहा, सरकारों द्वारा मुफ्त में दी जाने वाली सुविधाओं की पृष्ठभूमि में कल्याण और विकास के उद्देश्यों के बीच तालमेल बिठाने पर व्यापक चर्चा होनी चाहिए।
उन्होंने संसद की लोक लेखा समिति (पीएसी) से इस पहलू पर विचार करने का अनुरोध किया ताकि व्यापक चर्चा का मार्ग प्रशस्त हो सके। साथ ही यह भी कहा कि संसद को हर साल कम से कम 100 दिन और राज्य विधानसभाओं को कम से कम 90 दिन बैठक करनी चाहिए। जरूरतमंद लोगों के कल्याण और सामाजिक सुरक्षा को सुनिश्चित करना सरकारों का एक सबसे बड़ा दायित्व है। इसलिए इस मुद्दे पर व्यापक बहस होनी चाहिए।
यह आत्मनिरीक्षण कावक्त
नायडू कहा, संसदीय समितियों की बैठक में सांसदों ने शामिल होना छोड़ दिया है। इसलिए यह आत्मनिरीक्षण का समय है। उन्होंने फिजूलखर्च रोकने और संसाधनों का दुरुपयोग न करने पर भी जोर दिया। राजीव गांधी का जिक्र करते हुए कहा, उन्होंने कहा था कि एक रुपये में महज 16 पैसे ही जनता के पास पहुंचते हैं। यह किसी पर आरोप नहीं था, बल्कि व्यवस्था पर उठाया गया सवाल था।
संसद व राज्य विधानमंडलों की लोक लेखा समितियों का एक साझा मंच बने: बिरला
लोक लेखा समिति के सौ वर्ष पूरे होने के मौके पर लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा, संसद और सभी राज्यों के विधानमंडलों की लोक लेखा समितियों का एक साझा मंच होना चाहिए। चूंकि दोनों के बीच साझे हित के अनेक मुद्दे हैं, इसलिए इनके बीच समन्वय बढ़ाने, अधिक पारदर्शिता व कार्यपालिका की जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए साझा मंच होना चाहिए।
उन्होंने कहा, लोकतांत्रिक संस्थाओं का मुख्य दायित्व शासन को जनता के प्रति जवाबदेह, जिम्मेदार व पारदर्शी बनाना है और संसदीय समितियों ने अपने काम से इसे संभव बनाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है