राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने शुक्रवार को कहा कि भारत ने कोविड-19 रोधी टीकों की मुफ्त और सर्वत्र उपलब्धता की नीति को अपना कर लाखों लोगों की जान बचाने में सफलता पाई है। उन्होंने यह बात राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) की ओर से आयोजित मानवाधिकार दिवस कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कही। राष्ट्रपति ने कहा कि मानवता इतिहास की सबसे भीषण महामारी से जूझ रही है।
उन्होंने कहा, 'यह महामारी अभी भी समाप्त नहीं हुई है और ऐसा लगता है कि वायरस मानव जाति से एक कदम आगे है। ऐसे समय में दुनिया ने अभी तक अपनी प्रतिक्रिया विज्ञान और वैश्विक भागीदारी में भरोसा जता कर दी है।' राष्ट्रपति ने कहा कि यद्यपि इस महामारी ने पूरी दूनिया में मानवता को प्रभावित किया है, यह भी देखा गया है कि कमजोर वर्गों पर इसका असमान रूप से विनाशकारी असर पड़ता है।
भारत की टीकाकरण नीति ने लाखों लोगों की जान बचाई
राष्ट्रपति ने आगे कहा, 'इस परिदृश्य में चुनौतियों के बावजूद भारत ने लाखों लोगों की जान बचाने में सफलता प्राप्त की है। हमने ऐसा कोरोना टीके की मुफ्त और सर्वत्र उपलब्धता सुनिश्चित करने वाली एक नीति अपना कर किया। इतिहास के सबसे बड़े टीकाकरण अभियान का संचालन करने के साथ भारत सरकार लगभग एक अरब लोगों को वायरस के खिलाफ सुरक्षा उपलब्ध कराने में सफलता हासिल की है।'
संकट के समय में कोरोना योद्धाओं के प्रयासों को सराहा
उन्होंने लोगों के जीवन के अधिकार और स्वास्थ्य के अधिकार की सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए चिकित्सकों, वैज्ञानिकों और अन्य सभी कोरोना योद्धाओं की ओर से किए गए प्रयासों की सराहना की। राष्ट्रपति ने कहा, 'कुछ सबसे कठिन समय के दौरान सरकार के संस्थानों ने ऐसी स्थिति का जवाब देने में अपना सर्वश्रेष्ठ दिया जिसको लेकर किसी भी मात्रा में तैयारी पर्याप्त नहीं साबित हो सकती थी।'
समानता ही मानवाधिकारों की आत्मा है: राष्ट्रपति कोविंद
राष्ट्रपति कोविंद ने कहा कि इस साल मानवाधिकार दिवस का विषय समानता रखा गया है और समानता ही मानवाधिकारों की आत्मा है। उन्होंने कहा कि मानवाधिकारों में समानता सुनिश्चित करने के लिए राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग नागरिक संगठनों और निजी स्तर पर इसमें समाज, मीडिया और कार्यकर्ताओं समेत मानवाधिकार संरक्षण को लेकर काम कर रहे सभी पक्षकारों के साथ मिलकर काम कर रहा है।
विस्तार
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने शुक्रवार को कहा कि भारत ने कोविड-19 रोधी टीकों की मुफ्त और सर्वत्र उपलब्धता की नीति को अपना कर लाखों लोगों की जान बचाने में सफलता पाई है। उन्होंने यह बात राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) की ओर से आयोजित मानवाधिकार दिवस कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कही। राष्ट्रपति ने कहा कि मानवता इतिहास की सबसे भीषण महामारी से जूझ रही है।
उन्होंने कहा, 'यह महामारी अभी भी समाप्त नहीं हुई है और ऐसा लगता है कि वायरस मानव जाति से एक कदम आगे है। ऐसे समय में दुनिया ने अभी तक अपनी प्रतिक्रिया विज्ञान और वैश्विक भागीदारी में भरोसा जता कर दी है।' राष्ट्रपति ने कहा कि यद्यपि इस महामारी ने पूरी दूनिया में मानवता को प्रभावित किया है, यह भी देखा गया है कि कमजोर वर्गों पर इसका असमान रूप से विनाशकारी असर पड़ता है।
भारत की टीकाकरण नीति ने लाखों लोगों की जान बचाई
राष्ट्रपति ने आगे कहा, 'इस परिदृश्य में चुनौतियों के बावजूद भारत ने लाखों लोगों की जान बचाने में सफलता प्राप्त की है। हमने ऐसा कोरोना टीके की मुफ्त और सर्वत्र उपलब्धता सुनिश्चित करने वाली एक नीति अपना कर किया। इतिहास के सबसे बड़े टीकाकरण अभियान का संचालन करने के साथ भारत सरकार लगभग एक अरब लोगों को वायरस के खिलाफ सुरक्षा उपलब्ध कराने में सफलता हासिल की है।'
संकट के समय में कोरोना योद्धाओं के प्रयासों को सराहा
उन्होंने लोगों के जीवन के अधिकार और स्वास्थ्य के अधिकार की सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए चिकित्सकों, वैज्ञानिकों और अन्य सभी कोरोना योद्धाओं की ओर से किए गए प्रयासों की सराहना की। राष्ट्रपति ने कहा, 'कुछ सबसे कठिन समय के दौरान सरकार के संस्थानों ने ऐसी स्थिति का जवाब देने में अपना सर्वश्रेष्ठ दिया जिसको लेकर किसी भी मात्रा में तैयारी पर्याप्त नहीं साबित हो सकती थी।'
समानता ही मानवाधिकारों की आत्मा है: राष्ट्रपति कोविंद
राष्ट्रपति कोविंद ने कहा कि इस साल मानवाधिकार दिवस का विषय समानता रखा गया है और समानता ही मानवाधिकारों की आत्मा है। उन्होंने कहा कि मानवाधिकारों में समानता सुनिश्चित करने के लिए राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग नागरिक संगठनों और निजी स्तर पर इसमें समाज, मीडिया और कार्यकर्ताओं समेत मानवाधिकार संरक्षण को लेकर काम कर रहे सभी पक्षकारों के साथ मिलकर काम कर रहा है।