संसदीय समिति ने कहा है कि प्रशासनिक सुधार व लोक शिकायत विभाग (डीएआरपीजी) मंत्रालयों को मीडिया में उठी शिकायतों की समीक्षा की अहमियत बताएं। इसके साथ ही उन्हें शिकायतों की नियमित समीक्षा का महत्व समझाए।
‘भारत सरकार के शिकायत निवारण तंत्र को मजबूत करना’ शीर्षक वाली अपनी रिपोर्ट में समिति का कहना है, कुछ विभागों या संगठनों द्वारा शिकायतों का निपटारा महज किसी अन्य एजेंसी, कभी-कभार अधीनस्थ कार्यालय से संपर्क करने के सुझाव के साथ किया जा रहा है। कुछ मामलों में तो शिकायत उस एजेंसी को ही वापस भेजी जा रही है, जिसके खिलाफ शिकायत हुई है।
वहीं, कुछ दूसरे मामलों में ऑनलाइन शिकायतों का निपटारा शिकायत को संबंधित एजेंसी या किसी शिकायत समिति के पोर्टल पर डालने की सलाह देकर किया जा रहा है। समिति ने कहा, डीएआरपीजी ने मंत्रालयों या विभागों को शिकायतें समाप्त करने का वैध कारण बताने के निर्देश दिए हैं। हालांकि, कई मामलों में ऐसा नहीं किया जा रहा है।
जन सुविधा की जिम्मेदारी नहीं छोड़ सकता केंद्र
समिति ने पाया है कि केंद्रीकृत लोक शिकायत निवारण और निगरानी प्रणाली (सीपीजीआरएएमएस) पर मिली कई शिकायतें राज्य सरकारों से संबंधित हैं और इनमें से कई मामलों में याचिकाकर्ता को राज्यों से संपर्क करने के लिए कह दिया गया। साथ ही शिकायत को आगे भेजने के बजाय उसका निपटारा हो गया। यानी इनका कोई निवारण नहीं हुआ। रिपोर्ट के मुताबिक, पोर्टल पर राज्यों का प्रदर्शन उन पर छोड़ा जा सकता है लेकिन जन शिकायत दर्ज होने पर केंद्र लोगों को सुविधा मुहैया कराने की जिम्मेदारी से नहीं हट सकता।
सुशील मोदी के नेतृत्व वाली समिति ने दी रिपोर्ट
यह रिपोर्ट कार्मिक, लोक शिकायत, कानून और न्याय पर विभाग-संबंधित संसदीय स्थायी समिति ने दी है, जिसकी अध्यक्षता भाजपा नेता सुशील कुमार मोदी ने की है। समिति ने अपनी रिपोर्टे में डीएआरपीजी को मंत्रालयों/विभागों को उन शिकायतों की नियमित समीक्षा करने से अवगत कराने की सिफारिश दी है, जो प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में सामने आती हैं।
विस्तार
संसदीय समिति ने कहा है कि प्रशासनिक सुधार व लोक शिकायत विभाग (डीएआरपीजी) मंत्रालयों को मीडिया में उठी शिकायतों की समीक्षा की अहमियत बताएं। इसके साथ ही उन्हें शिकायतों की नियमित समीक्षा का महत्व समझाए।
‘भारत सरकार के शिकायत निवारण तंत्र को मजबूत करना’ शीर्षक वाली अपनी रिपोर्ट में समिति का कहना है, कुछ विभागों या संगठनों द्वारा शिकायतों का निपटारा महज किसी अन्य एजेंसी, कभी-कभार अधीनस्थ कार्यालय से संपर्क करने के सुझाव के साथ किया जा रहा है। कुछ मामलों में तो शिकायत उस एजेंसी को ही वापस भेजी जा रही है, जिसके खिलाफ शिकायत हुई है।
वहीं, कुछ दूसरे मामलों में ऑनलाइन शिकायतों का निपटारा शिकायत को संबंधित एजेंसी या किसी शिकायत समिति के पोर्टल पर डालने की सलाह देकर किया जा रहा है। समिति ने कहा, डीएआरपीजी ने मंत्रालयों या विभागों को शिकायतें समाप्त करने का वैध कारण बताने के निर्देश दिए हैं। हालांकि, कई मामलों में ऐसा नहीं किया जा रहा है।
जन सुविधा की जिम्मेदारी नहीं छोड़ सकता केंद्र
समिति ने पाया है कि केंद्रीकृत लोक शिकायत निवारण और निगरानी प्रणाली (सीपीजीआरएएमएस) पर मिली कई शिकायतें राज्य सरकारों से संबंधित हैं और इनमें से कई मामलों में याचिकाकर्ता को राज्यों से संपर्क करने के लिए कह दिया गया। साथ ही शिकायत को आगे भेजने के बजाय उसका निपटारा हो गया। यानी इनका कोई निवारण नहीं हुआ। रिपोर्ट के मुताबिक, पोर्टल पर राज्यों का प्रदर्शन उन पर छोड़ा जा सकता है लेकिन जन शिकायत दर्ज होने पर केंद्र लोगों को सुविधा मुहैया कराने की जिम्मेदारी से नहीं हट सकता।
सुशील मोदी के नेतृत्व वाली समिति ने दी रिपोर्ट
यह रिपोर्ट कार्मिक, लोक शिकायत, कानून और न्याय पर विभाग-संबंधित संसदीय स्थायी समिति ने दी है, जिसकी अध्यक्षता भाजपा नेता सुशील कुमार मोदी ने की है। समिति ने अपनी रिपोर्टे में डीएआरपीजी को मंत्रालयों/विभागों को उन शिकायतों की नियमित समीक्षा करने से अवगत कराने की सिफारिश दी है, जो प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में सामने आती हैं।