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Sharad Pawar said on Maharashtra Karnataka border dispute that should not test patience
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Maharashtra: महाराष्ट्र सीमा विवाद को लेकर सीएम बोम्मई पर भड़के शरद पवार, बोले- धैर्य की परीक्षा न ले कर्नाटक
एएनआई, मुंबई
Published by: Jeet Kumar
Updated Tue, 06 Dec 2022 05:41 PM IST
सार
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शरद पवार ने कहा, सीमा विवाद को लेकर सीएम शिंदे ने कर्नाटक के सीएम बोम्मई से भी बात की। इसके बावजूद, उन्होंने इस मुद्दे पर कोई नरमी नहीं दिखाई है।
महाराष्ट्र और कर्नाटक के बीच चल रहा सीमा विवाद अब गहराता जा रहा है। मंगलवार को कर्नाटक के बेलगावी के बागेवाड़ी में प्रदर्शन के दौरान कर्नाटक रक्षण वेदिके के कार्यकर्ताओं ने महाराष्ट्र के ट्रकों पर पथराव किया। जिसको लेकर अब एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने कर्नाटक के सीएम पर निशाना साधते हुए कहा कि महाराष्ट्र के धैर्य की परीक्षा न लें।
शरद पवार ने कहा, सीमा विवाद को लेकर सीएम शिंदे ने कर्नाटक के सीएम बोम्मई से भी बात की। इसके बावजूद, उन्होंने इस मुद्दे पर कोई नरमी नहीं दिखाई है। आगे कहा कि किसी को भी महाराष्ट्र धैर्य की परीक्षा नहीं लेनी चाहिए और इसका हल जल्द निकलना चाहिए ताकि कुछ गलत दिशा में न जाए।
आगे उन्होंने कहा कि सीएम शिंदे को कोई भी फैसला लेने से पहले सभी पार्टियों को विश्वास में लेना चाहिए। संसद सत्र शुरू होने वाला है, मैं सभी सांसदों से एक साथ आने का और इस मुद्दे को प्रमुखता से उठाने का अनुरोध करता हूं। पवार ने कहा कि कर्नाटक में महाराष्ट्र की गाड़ियों को नुकसान पहुंचाया जा रहा है।
बता दें कि मंगलवार को बागेवाड़ी में कर्नाटक रक्षण वेदिके के कार्यकर्ताओं ने उन ट्रकों को रोका जिन पर महाराष्ट्र की नंबर प्लेट लगी थी। एक ट्रक पर पथराव किया गया। कार्यकर्ताओं ने हाईवे पर धरना-प्रदर्शन भी किया। इस दौरान पुलिस ने कुछ को हिरासत में ले लिया।
ये है महाराष्ट्र-कर्नाटक सीमा विवाद
सीमा विवाद 1953 में शुरू हुआ था, जब महाराष्ट्र सरकार ने बेलगावी सहित 865 गांवों को शामिल करने पर आपत्ति जताई थी। गांव बेलागवी और कर्नाटक के उत्तर-पश्चिमी और उत्तर-पूर्वी क्षेत्रों में फैले हुए हैं। सभी महाराष्ट्र की सीमा से लगे हुए हैं। 1956 के राज्य पुनर्गठन अधिनियम के लागू होने के बाद, महाराष्ट्र सरकार ने कर्नाटक के साथ अपनी सीमा के पुन: समायोजन की मांग की।
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इसके बाद दोनों राज्यों की ओर से चार सदस्यीय कमेटी का गठन किया गया। महाराष्ट्र सरकार ने मुख्य रूप से कन्नड़ भाषी 260 गांवों को स्थानांतरित करने की इच्छा व्यक्त की थी, लेकिन कर्नाटक द्वारा इसे ठुकरा दिया गया था। अब, कर्नाटक और महाराष्ट्र दोनों सरकारों ने मामले में तेजी लाने के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है, और मामला अभी भी लंबित है।
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