दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित का अचानक देहांत से यूपीए चेयरपर्सन सोनिया गांधी को अखर रहा है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी विपश्यना के लिए गए हैं, लेकिन उन्हें भी शीला दीक्षित के निधन की पीड़ा है। कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी के करीबी भी बताते हैं कि सोनभद्र दौरे पर गई प्रियंका लौटने के बाद से शीला के निधन से दुखी हैं। पार्टी के तीनों नेताओं के अलावा कांग्रेस कई और नेताओं को शीला के निधन सता रहा है। पार्टी के एक महासचिव ने कहा कि दिल्ली की पूर्व सीएम का निधन दिल का दौरा पड़ने से हुआ, लेकिन लग रहा है कि वह दिल्ली प्रदेश कांग्रेस की गुटबाजी और अपना अपमान नहीं झेल पाईं।
शीला ने दिल्ली में चल रही राजनीतिक उठापटक को लेकर यूपीए चेयरपर्सन सोनिया गांधी को पत्र लिखा था। वह कांग्रेस नेता राहुल गांधी से मिलकर लौटी थीं। इसके बाद शीला दीक्षित ने दिल्ली प्रदेश कांग्रेस में सुधार के प्रयास तेज कर दिए थे। बताते हैं शीला दीक्षित दिल्ली प्रदेश कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष अजय माकन की पर्दे के पीछे की हरकतों से परेशान थी। अजय माकन, राहुल गांधी को सही रिपोर्ट नहीं दे रहे थे और प्रदेश कांग्रेस प्रभारी पीसी चाको को भी गुमराह कर रहे थे। शीला दीक्षित ने यूपीए चेयरपर्सन को लिखे पत्र में न केवल इसका जिक्र किया था, बल्कि पूरे मामले की जांच कराने को भी आग्रह किया था।
कांग्रेस की जड़ में है गुटबाजी
कांग्रेस के एक वरिष्ठ महासचिव ने कहा कि राजनीति में गुटबाजी होती है, लेकिन कांग्रेस की जड़ में काफी गहराई तक गुटबाजी की पैठ हो चुकी है। इसका हमें लगातार नुकसान उठाना पड़ रहा है। सूत्र का कहना है कि शीला हों या कोई अन्य, एक प्रदेश अध्यक्ष द्वारा लिए गए निर्णय को इस तरह से रातोंरात प्रभारी द्वारा बदला जाना न्याय संगत नहीं कहा जाएगा। बताते हैं इस तरह की गुटबाजी इस समय हरियाणा, पंजाब, हिमाचल, मध्य प्रदेश, राजस्थान, महाराष्ट्र, कर्नाटक हर जगह है। बताते हैं हरियाणा में तो प्रदेश प्रधान अशोक तंवर, पूर्व मुख्यमंत्री भूपेन्द्र सिंह हुड्डा के बीच में तलवारें खिची है।
शीला का पत्र बना चर्चा का विषय
शीला दीक्षित का यह पत्र चर्चा का विषय बना है। कांग्रेस नेताओं में इसको लेकर लगातार खुसर-फुसर चल रही है। दरअसल शीला दीक्षित ने लोकसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी के साथ गठबंधन न करने की सलाह दी थी। जबकि अजय माकन और पीसी चाको गठबंधन के पक्षधर थे। अंतत: शीला की ही चली। गठबंधन नहीं हुआ। चुनाव में कांग्रेस पार्टी भाजपा के बाद दूसरे नंबर पर रही। दिल्ली की सातों सीट भाजपा की झोली में रही। पीसी चाको और अजय माकन कैंप का मानना है कि यदि गठबंधन हुआ होता तो कांग्रेस और आम आदमी पार्टी दोनों की सीटें आती, भाजपा की घटती। जवाब में शीला का तर्क रहा कि सीटें भले नहीं आईं, लेकिन कांग्रेस तीसरे नंबर से आम आदमी को पछाड़कर दूसरे नंबर की पार्टी बन गई है। वह (शीला) पार्टी को खड़ा कर रही हैं और विधानसभा चुनाव 2020 में अच्छे नतीजे आने की उम्मीद है। इसको लेकर दोनों पक्षों में जोरदार टकराव चल रहा था।
दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित का अचानक देहांत से यूपीए चेयरपर्सन सोनिया गांधी को अखर रहा है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी विपश्यना के लिए गए हैं, लेकिन उन्हें भी शीला दीक्षित के निधन की पीड़ा है। कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी के करीबी भी बताते हैं कि सोनभद्र दौरे पर गई प्रियंका लौटने के बाद से शीला के निधन से दुखी हैं। पार्टी के तीनों नेताओं के अलावा कांग्रेस कई और नेताओं को शीला के निधन सता रहा है। पार्टी के एक महासचिव ने कहा कि दिल्ली की पूर्व सीएम का निधन दिल का दौरा पड़ने से हुआ, लेकिन लग रहा है कि वह दिल्ली प्रदेश कांग्रेस की गुटबाजी और अपना अपमान नहीं झेल पाईं।
शीला ने दिल्ली में चल रही राजनीतिक उठापटक को लेकर यूपीए चेयरपर्सन सोनिया गांधी को पत्र लिखा था। वह कांग्रेस नेता राहुल गांधी से मिलकर लौटी थीं। इसके बाद शीला दीक्षित ने दिल्ली प्रदेश कांग्रेस में सुधार के प्रयास तेज कर दिए थे। बताते हैं शीला दीक्षित दिल्ली प्रदेश कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष अजय माकन की पर्दे के पीछे की हरकतों से परेशान थी। अजय माकन, राहुल गांधी को सही रिपोर्ट नहीं दे रहे थे और प्रदेश कांग्रेस प्रभारी पीसी चाको को भी गुमराह कर रहे थे। शीला दीक्षित ने यूपीए चेयरपर्सन को लिखे पत्र में न केवल इसका जिक्र किया था, बल्कि पूरे मामले की जांच कराने को भी आग्रह किया था।
कांग्रेस की जड़ में है गुटबाजी
कांग्रेस के एक वरिष्ठ महासचिव ने कहा कि राजनीति में गुटबाजी होती है, लेकिन कांग्रेस की जड़ में काफी गहराई तक गुटबाजी की पैठ हो चुकी है। इसका हमें लगातार नुकसान उठाना पड़ रहा है। सूत्र का कहना है कि शीला हों या कोई अन्य, एक प्रदेश अध्यक्ष द्वारा लिए गए निर्णय को इस तरह से रातोंरात प्रभारी द्वारा बदला जाना न्याय संगत नहीं कहा जाएगा। बताते हैं इस तरह की गुटबाजी इस समय हरियाणा, पंजाब, हिमाचल, मध्य प्रदेश, राजस्थान, महाराष्ट्र, कर्नाटक हर जगह है। बताते हैं हरियाणा में तो प्रदेश प्रधान अशोक तंवर, पूर्व मुख्यमंत्री भूपेन्द्र सिंह हुड्डा के बीच में तलवारें खिची है।
शीला का पत्र बना चर्चा का विषय
शीला दीक्षित का यह पत्र चर्चा का विषय बना है। कांग्रेस नेताओं में इसको लेकर लगातार खुसर-फुसर चल रही है। दरअसल शीला दीक्षित ने लोकसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी के साथ गठबंधन न करने की सलाह दी थी। जबकि अजय माकन और पीसी चाको गठबंधन के पक्षधर थे। अंतत: शीला की ही चली। गठबंधन नहीं हुआ। चुनाव में कांग्रेस पार्टी भाजपा के बाद दूसरे नंबर पर रही। दिल्ली की सातों सीट भाजपा की झोली में रही। पीसी चाको और अजय माकन कैंप का मानना है कि यदि गठबंधन हुआ होता तो कांग्रेस और आम आदमी पार्टी दोनों की सीटें आती, भाजपा की घटती। जवाब में शीला का तर्क रहा कि सीटें भले नहीं आईं, लेकिन कांग्रेस तीसरे नंबर से आम आदमी को पछाड़कर दूसरे नंबर की पार्टी बन गई है। वह (शीला) पार्टी को खड़ा कर रही हैं और विधानसभा चुनाव 2020 में अच्छे नतीजे आने की उम्मीद है। इसको लेकर दोनों पक्षों में जोरदार टकराव चल रहा था।