वायु प्रदूषण की गंभीर समस्या से जूझ रहे एनसीआर और उसके आसपास के क्षेत्रों को इससे निजात दिलाने के लिए वैधानिक प्राधिकरण बनाने वाला बिल लोकसभा ने पास कर दिया। सरकार ने राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र वायु गुणवत्ता प्रबंधन बिल-2021 को पिछले हफ्ते पेश किया था।
वैधानिक आयोग बनाने के लिए लोकसभा में विधेयक पास
पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने विपक्ष के हंगामे के बीच बुधवार को इस बिल को पास कराया। यादव ने बिल पर चर्चा के दौरान कहा, एनसीआर में प्रदूषण से निजात दिलाने में यह बिल महत्वपूर्ण है और सभी सदस्यों से इसका समर्थन करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि इस मामले में कोई स्थायी एवं समर्पित तंत्र नहीं है।
इसलिए एक सहयोगपूर्ण एवं केंद्र, राज्य सरकारों और स्थानीय निकायों सहित सभी हितधारकों की भागीदारी के साथ एनसीआर में प्रदूषण से निजात पाने के उपाय किए जाएंगे। विपक्षी सदस्यों द्वारा सुझाए गए कई संशोधनों को खारिज करते हुए और नारेबाजी के बीच ध्वनिमत से इस बिल को पारित करा लिया गया।
राज्यसभा से पास होने के बाद यह बिल अध्यादेश का स्थान ले लेगा। उल्लेखनीय है कि संसद सत्र नहीं चलने और तत्काल इसकी जरूरत महसूस किए जाने पर 28 अक्तूबर, 2020 को यह अध्यादेश लागू किया गया था।
विस्तार
वायु प्रदूषण की गंभीर समस्या से जूझ रहे एनसीआर और उसके आसपास के क्षेत्रों को इससे निजात दिलाने के लिए वैधानिक प्राधिकरण बनाने वाला बिल लोकसभा ने पास कर दिया। सरकार ने राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र वायु गुणवत्ता प्रबंधन बिल-2021 को पिछले हफ्ते पेश किया था।
वैधानिक आयोग बनाने के लिए लोकसभा में विधेयक पास
पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने विपक्ष के हंगामे के बीच बुधवार को इस बिल को पास कराया। यादव ने बिल पर चर्चा के दौरान कहा, एनसीआर में प्रदूषण से निजात दिलाने में यह बिल महत्वपूर्ण है और सभी सदस्यों से इसका समर्थन करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि इस मामले में कोई स्थायी एवं समर्पित तंत्र नहीं है।
इसलिए एक सहयोगपूर्ण एवं केंद्र, राज्य सरकारों और स्थानीय निकायों सहित सभी हितधारकों की भागीदारी के साथ एनसीआर में प्रदूषण से निजात पाने के उपाय किए जाएंगे। विपक्षी सदस्यों द्वारा सुझाए गए कई संशोधनों को खारिज करते हुए और नारेबाजी के बीच ध्वनिमत से इस बिल को पारित करा लिया गया।
राज्यसभा से पास होने के बाद यह बिल अध्यादेश का स्थान ले लेगा। उल्लेखनीय है कि संसद सत्र नहीं चलने और तत्काल इसकी जरूरत महसूस किए जाने पर 28 अक्तूबर, 2020 को यह अध्यादेश लागू किया गया था।