न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: Priyesh Mishra
Updated Sun, 12 May 2019 02:22 PM IST
संयुक्त राज्य अमेरिका ने रूसी एस-400 के विकल्प के रूप में भारत को टर्मिनल हाई एल्टीट्यूड एरिया डिफेंस (टीएचएएडी) और पैट्रियट एडवांस कैपेबिलिटी (पीएसी-3) की पेशकश की है। भारत सालों तक चले बातचीत के बाद रूस से अत्याधुनिक एस-400 मिसाइल के खरीद के लिए समझौता कर चुका है।
ट्रम्प प्रशासन ने रूस के साथ हथियार खरीद को लेकर अभी कोई फैसला नहीं किया है कि वह भारत पर 'काट्सा' को लगाएगा कि नहीं। इस प्रतिबंध के लगने से भारत की सामरिक और आर्थिक शक्ति प्रभावित होगी।
माना जाता है कि रक्षामंत्री निर्मला सीतारमण और विदेशमंत्री सुषमा स्वराज के साथ पिछले साल सितंबर में नई दिल्ली में हुई 2+2 बैठक के दौरान एस-400 को लेकर बात हुई थी। जिसमें इस समझौते पर अमेरिकी प्रतिबंधों को न लगाने को लेकर सहमति बन गई थी। लेकिन अब तुर्की और सऊदी अरब द्वारा भी इस मिसाइल को खरीदने की संभावना को देखकर अमेरिका किसी भी देश को प्रतिबंधों में छूट देने से इनकार कर सकता है।
अमेरिकी थाड मिसाइल रक्षा प्रणाली के प्रत्येक इकाई की अनुमानित कीमत लगभग तीन बिलियन डॉलर है। सऊदी अरब ने नवंबर में 44 थाड लांचर और मिसाइल खरीदने के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर किया था। इसकी प्रत्येक बैटरी 6 लांचर्स के साथ आती है। जिसकी कीमत 15 बिलियन डॉलर है। जबकि रूस से खरीदे जा रहे एस-400 के पांच यूनिट के लिए भारत 5.4 बिलियन डॉलर का भुगतान करेगा। इसके प्रत्येक यूनिट में आठ लांचर्स होंगे।
अमेरिका द्वारा भारत को थाड मिसाइल सिस्टम और पीएसी-3 सिस्टम खरीद के लिए किए गए ऑफर की आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है। अमेरिकी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने औपचारिक प्रस्ताव की पुष्टि या खंडन करने के अनुरोध के जवाब में कहा, "हम सार्वजनिक रूप से प्रस्तावित रक्षा बिक्री की पुष्टि नहीं करते हैं या तब तक पुष्टि नहीं करते हैं जब तक कि उन्हें औपचारिक रूप से कांग्रेस को सूचित नहीं किया जाता है।"
कुछ दिन पहले ही भारत के रक्षा सचिव संजय मित्रा के नेतृत्व में वरिष्ठ रक्षा अधिकारियों की एक टीम रूस दौरे पर गई थी। जहां उन्होंने रक्षा सौदे का भुगतान के लिए उपयोग में लाए जाने वाले चैनल पर बातचीत की। अमेरिकी प्रतिबंध के कारण भारत डॉलर में पूरी राशि का भुगतान रूस को नहीं कर सकता है। इसके लिए अलग-अगल प्रणाली से भुगतान करने की योजना बनाई जा रही है।
अगले कुछ वर्षों में भारत को रूसी हथियार प्रणाली के एवज में लगभग 7 बिलियन डॉलर का भुगतान करना होगा। जिसमें सतह से हवा में मार करने वाली ट्रायम्फ या S-400 मिसाइल, परमाणु शक्ति वाली दूसरी पनडुब्बी और दो युद्धपोतों का करार शामिल है। अकेले एस -400 की लागत 40000 करोड़ रुपये है।
काट्सा एक्ट के तहत ब्लैक लिस्ट हैं ये रूसी कंपनियां
काट्सा एक्ट के तहत ब्लैक लिस्ट में 39 रूसी संस्थाओं को रखा गया है। जिससे इनके साथ काम करने वाले देश पर भी अमेरिकी प्रतिबंध अपने-आप लागू हो जाएंगे। इसमें रोसोबोरोन एक्सपोर्ट, अल्माज़-एंटे, सुखोई एविएशन, रूसी विमान निगम, मिग और यूनाइटेड शिपबिल्डिंग कॉर्पोरेशन शामिल हैं।
जबसे काट्सा एक्ट लागू हुआ है तब से भारत ने रूस को अपने सभी भुगतान स्थगित कर दिए हैं। भारत की समस्याएं दो स्तरों पर हैं पहला पुरानी खरीद की मरम्मत के लिए उपकरण लेना और दूसरा नए हथियार। भारत के पास जो भी हथियार हैं उनमें से अधिकांश रूसी मूल के हैं।
काट्सा एक्ट अमेरिका को देता है ये ताकत
ये एक्ट वैश्विक तौर पर अमेरिका के ईरान, उत्तर कोरिया और रूस के खिलाफ आर्थिक और राजनीतिक प्रतिबंधों के माध्यम से उन्हें निशाना बनाने की ताकत देता है। बता दें हाल ही में अमेरिका ने सीएएटीएसए का प्रयोग कर एस-400 की खरीद को लेकर चीनी प्रतिष्ठानों पर प्रतिबंध लगाए थे। अब अमेरिका में मौजूद 'फ्रेंड्स ऑफ इंडिया' को आशा है कि ट्रंप भारत को सीएएटीएसए के तहत प्रतिबंधों से छूट देंगे क्योंकि अमेरिका भारत को महत्वपूर्ण रक्षा साझेदार मानता है। इसके अलावा अमेरिका आगामी कुछ वर्षों में अरबों डॉलर की रक्षा सामग्री भारत को बेचने के संबंध में सौदा करने के अंतिम दौर में है।
एक तरफ तो सूत्रों के मुताबिक यह कहा जा रहा है कि रक्षा मंत्री जिम मैटिस और विदेश मंत्री माइक पॉम्पियो सीएएटीएसए में भारत को छूट दिलाने के लिए जोर दे रहे हैं। वहीं दूसरी तरफ ट्रंप के हाल ही में आए बयान से ऐसा नहीं लगता कि वह ये छूट देने के मूड में हैं। दरअसल ट्रंप ने बीते सप्ताह भारत को टैरिफ किंग कहा था। ट्रंप ने यह भी कहा था कि उनके आयातों पर अतिरिक्त शुल्क लगाने की उनकी चेतावनी के बाद भी भारत अमेरिका के साथ व्यापार समझौता करना चाहता है।
संयुक्त राज्य अमेरिका ने रूसी एस-400 के विकल्प के रूप में भारत को टर्मिनल हाई एल्टीट्यूड एरिया डिफेंस (टीएचएएडी) और पैट्रियट एडवांस कैपेबिलिटी (पीएसी-3) की पेशकश की है। भारत सालों तक चले बातचीत के बाद रूस से अत्याधुनिक एस-400 मिसाइल के खरीद के लिए समझौता कर चुका है।
ट्रम्प प्रशासन ने रूस के साथ हथियार खरीद को लेकर अभी कोई फैसला नहीं किया है कि वह भारत पर 'काट्सा' को लगाएगा कि नहीं। इस प्रतिबंध के लगने से भारत की सामरिक और आर्थिक शक्ति प्रभावित होगी।
माना जाता है कि रक्षामंत्री निर्मला सीतारमण और विदेशमंत्री सुषमा स्वराज के साथ पिछले साल सितंबर में नई दिल्ली में हुई 2+2 बैठक के दौरान एस-400 को लेकर बात हुई थी। जिसमें इस समझौते पर अमेरिकी प्रतिबंधों को न लगाने को लेकर सहमति बन गई थी। लेकिन अब तुर्की और सऊदी अरब द्वारा भी इस मिसाइल को खरीदने की संभावना को देखकर अमेरिका किसी भी देश को प्रतिबंधों में छूट देने से इनकार कर सकता है।