राज्यसभा के 12 सदस्यों को संसद के चालू शीत सत्र के लिए निलंबित किए जाने के फैसले का सभापति वेंकैया नायडू ने जोरदार ढंग से बचाव किया है। उन्होंने कहा कि यह कदम लोकतंत्र बचाने के लिए उठाया गया और यह सदन का फैसला था न कि आसंदी का। नायडू की दलीलों पर कांग्रेस नेता व राज्यसभा सदस्य आनंद शर्मा ने पलटवार किया है।
नायडू ने राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे द्वारा सदस्यों के निलंबन को लेकर मंगलवार को सदन में उठाए गए विभिन्न पहलुओं व प्रक्रियागत आपत्तियों का जवाब देते हुए यह बात कही। नायडू ने कहा कि राज्यसभा एक सतत चलने वाली संस्था है। पिछले मानसून सत्र के अंतिम दिन कुछ सांसदों द्वारा किए गए दुराचार को लेकर मौजूदा सत्र के पहले दिन कार्रवाई करने का फैसला सही है। यह सदन का निर्णय था न कि आसंदी का।
राज्यसभा के सभापति ने कहा कि निलंबन को लोकतंत्र विरोधी बताना सही नहीं है। उन्होंने जोर देकर कहा कि आसंदी व सदन को सदन के अंदर अनुशासनहीनता करने वाले सदस्यों के खिलाफ कार्रवाई करने का अधिकार है। सदन संचालन के नियमों व प्रक्रियाओं में इस कार्रवाई का प्रावधान है।
माफी नहीं मांगी, उल्टा अनुशासनहीनता को उचित ठहरा रहे
नायडू ने कहा कि जिन सदस्यों ने सदन के खिलाफ यह अनुचित कृत्य किया है, उन्होंने कोई माफी नहीं मांगी है। वहीं दूसरी ओर वे उसे उचित ठहरा रहे हैं। राज्यसभा सभापति नायडू ने कहा कि इन्हीं कारणों से वे विपक्ष के नेता खड़गे की निलंबन बहाली की अपील को विचार योग्य करने नहीं मानते हैं।
कांग्रेस नेता आनंद शर्मा ने कार्रवाई के विरोध में कही ये बातें
सभापति नायडू के जवाब के बाद कांग्रेस नेता आनंद शर्मा ने ट्वीट कर कहा कि निलंबित सदस्यों में से कई इस बात से नाराज हैं कि उनका नाम नहीं लिया गया। सदन संचालन के निश्चित नियम हैं। नियम 256 लागू में कार्रवाई उचित नहीं है, इसका उल्लंघन हुआ है।
राज्यसभा की निरंतरता की दलील नामंजूर
शर्मा ने कहा कि राज्यसभा को निरंतर चलने वाला सदन मानने की दलील को भी मैं नहीं मानता। संविधान के अनुच्छेद 83 के तहत, राष्ट्रपति गजट अधिसूचना के माध्यम से सत्र बुलाते हैं। इसके बाद सदस्यों को समंस भेजे जाते हैं। मानसून सत्र समाप्त होने के बाद सत्रावसान कर दिया गया था। इसलिए मौजूदा सत्र को राष्ट्रपति द्वारा नए सिरे से बुलाया गया है।
सरकार आत्म निरीक्षण करे
राज्यसभा सदस्य आनंद शर्मा ने कहा, 'विपक्षी दल अपनी अगली कार्रवाई पर विचार कर रहे हैं। जो भी हुआ वह घोर अनुचित है। विपक्ष को गलत ढंग से पेश किया जा रहा है। हम संसदीय परंपरा का उल्लंघन करने वाली किसी बात का समर्थन नहीं कर रहे हैं, लेकिन सरकार को भी आत्म निरीक्षण करना चाहिए।'
राहुल ने कहा, किस बात की माफी
वहीं, कांग्रेस के पूर्व नेता राहुल गांधी ने सवाल उठाया कि आखिर किस बात की माफी? क्या संसद में आवाज उठाने की? इसे लेकर भाजपा प्रवक्ता संबित पात्रा ने उन्हें निशाने पर लेते हुए कहा कि बात उठाना और अभ्रदता व उत्पात में फर्क है।
खड़गे ने लिखा नायडू को पत्र
राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने मंगलवार को सभापति एम वेंकैया नायडू को पत्र लिखकर विपक्ष के 12 सांसदों को निलंबित करने के अपने फैसले को वापस लेने का आग्रह किया। अपने पत्र में खड़गे ने कहा कि सांसदों को सुनवाई का अवसर प्रदान किए बिना उन्हें निलंबित करके जरूरत से सख्त कार्रवाई की गई है।
उन्होंने कहा कि वह विपक्षी दलों की ओर से लिखने और संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी द्वारा सोमवार को लाए गए प्रस्ताव के बाद निलंबित किए गए 12 सदस्यों की जायज शिकायतों की ओर उनका ध्यान आकर्षित करने के लिए विवश हैं। खड़गे ने नायडू को लिखे अपने पत्र में कहा कि मेरा विचार है कि इन सदस्यों का निलंबन, राज्यसभा के 2021 के मानसून सत्र के अंतिम दिनों में हुई दुर्भाग्यपूर्ण घटनाओं के लिए एक अभूतपूर्व सख्त कार्रवाई है।
विस्तार
राज्यसभा के 12 सदस्यों को संसद के चालू शीत सत्र के लिए निलंबित किए जाने के फैसले का सभापति वेंकैया नायडू ने जोरदार ढंग से बचाव किया है। उन्होंने कहा कि यह कदम लोकतंत्र बचाने के लिए उठाया गया और यह सदन का फैसला था न कि आसंदी का। नायडू की दलीलों पर कांग्रेस नेता व राज्यसभा सदस्य आनंद शर्मा ने पलटवार किया है।
नायडू ने राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे द्वारा सदस्यों के निलंबन को लेकर मंगलवार को सदन में उठाए गए विभिन्न पहलुओं व प्रक्रियागत आपत्तियों का जवाब देते हुए यह बात कही। नायडू ने कहा कि राज्यसभा एक सतत चलने वाली संस्था है। पिछले मानसून सत्र के अंतिम दिन कुछ सांसदों द्वारा किए गए दुराचार को लेकर मौजूदा सत्र के पहले दिन कार्रवाई करने का फैसला सही है। यह सदन का निर्णय था न कि आसंदी का।
राज्यसभा के सभापति ने कहा कि निलंबन को लोकतंत्र विरोधी बताना सही नहीं है। उन्होंने जोर देकर कहा कि आसंदी व सदन को सदन के अंदर अनुशासनहीनता करने वाले सदस्यों के खिलाफ कार्रवाई करने का अधिकार है। सदन संचालन के नियमों व प्रक्रियाओं में इस कार्रवाई का प्रावधान है।
माफी नहीं मांगी, उल्टा अनुशासनहीनता को उचित ठहरा रहे
नायडू ने कहा कि जिन सदस्यों ने सदन के खिलाफ यह अनुचित कृत्य किया है, उन्होंने कोई माफी नहीं मांगी है। वहीं दूसरी ओर वे उसे उचित ठहरा रहे हैं। राज्यसभा सभापति नायडू ने कहा कि इन्हीं कारणों से वे विपक्ष के नेता खड़गे की निलंबन बहाली की अपील को विचार योग्य करने नहीं मानते हैं।
कांग्रेस नेता आनंद शर्मा ने कार्रवाई के विरोध में कही ये बातें
सभापति नायडू के जवाब के बाद कांग्रेस नेता आनंद शर्मा ने ट्वीट कर कहा कि निलंबित सदस्यों में से कई इस बात से नाराज हैं कि उनका नाम नहीं लिया गया। सदन संचालन के निश्चित नियम हैं। नियम 256 लागू में कार्रवाई उचित नहीं है, इसका उल्लंघन हुआ है।
राज्यसभा की निरंतरता की दलील नामंजूर
शर्मा ने कहा कि राज्यसभा को निरंतर चलने वाला सदन मानने की दलील को भी मैं नहीं मानता। संविधान के अनुच्छेद 83 के तहत, राष्ट्रपति गजट अधिसूचना के माध्यम से सत्र बुलाते हैं। इसके बाद सदस्यों को समंस भेजे जाते हैं। मानसून सत्र समाप्त होने के बाद सत्रावसान कर दिया गया था। इसलिए मौजूदा सत्र को राष्ट्रपति द्वारा नए सिरे से बुलाया गया है।
सरकार आत्म निरीक्षण करे
राज्यसभा सदस्य आनंद शर्मा ने कहा, 'विपक्षी दल अपनी अगली कार्रवाई पर विचार कर रहे हैं। जो भी हुआ वह घोर अनुचित है। विपक्ष को गलत ढंग से पेश किया जा रहा है। हम संसदीय परंपरा का उल्लंघन करने वाली किसी बात का समर्थन नहीं कर रहे हैं, लेकिन सरकार को भी आत्म निरीक्षण करना चाहिए।'
राहुल ने कहा, किस बात की माफी
वहीं, कांग्रेस के पूर्व नेता राहुल गांधी ने सवाल उठाया कि आखिर किस बात की माफी? क्या संसद में आवाज उठाने की? इसे लेकर भाजपा प्रवक्ता संबित पात्रा ने उन्हें निशाने पर लेते हुए कहा कि बात उठाना और अभ्रदता व उत्पात में फर्क है।
खड़गे ने लिखा नायडू को पत्र
राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने मंगलवार को सभापति एम वेंकैया नायडू को पत्र लिखकर विपक्ष के 12 सांसदों को निलंबित करने के अपने फैसले को वापस लेने का आग्रह किया। अपने पत्र में खड़गे ने कहा कि सांसदों को सुनवाई का अवसर प्रदान किए बिना उन्हें निलंबित करके जरूरत से सख्त कार्रवाई की गई है।
उन्होंने कहा कि वह विपक्षी दलों की ओर से लिखने और संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी द्वारा सोमवार को लाए गए प्रस्ताव के बाद निलंबित किए गए 12 सदस्यों की जायज शिकायतों की ओर उनका ध्यान आकर्षित करने के लिए विवश हैं। खड़गे ने नायडू को लिखे अपने पत्र में कहा कि मेरा विचार है कि इन सदस्यों का निलंबन, राज्यसभा के 2021 के मानसून सत्र के अंतिम दिनों में हुई दुर्भाग्यपूर्ण घटनाओं के लिए एक अभूतपूर्व सख्त कार्रवाई है।