न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: प्रांजुल श्रीवास्तव
Updated Sat, 25 Dec 2021 02:30 PM IST
सुशासन दिवस के मौके पर उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने कहा कि विधायिका की गिरती शाख के लिए जबरन स्थगन और व्यवधान जिम्मेदार हैं। इससे विधायिका निष्क्रिय हो जाएगी और कार्यपालिका के सवालों को विधायिका में उठाने पर किसी में कोई डर ही नहीं रहेगा। उपराष्ट्रपति ने आगे कहा कि लोगों के प्रति कार्यपालिका की जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए अच्छी विधायिका की आवश्यकता है।
अपने वीडियो संदेश में नायडू ने कहा कि प्रश्नकाल, लघु अवधि चर्चा व विधेयकों पर बहस करके निर्वाचित सदस्य कल्याण व विकास योजनाओं पर सरकार से सवाल कर सकते हैं, लेकिन इसके लिए अच्छे विधायकों व सांसदों की जरूरत है। जरूरी है कि विधायक अपना सर्वश्रेष्ठ दें क्योंकि लोगों ने उन्हें बहुत भरोसे के साथ विधायिका में भेजा है और उस भरोसे के साथ न्याय करें।
प्रश्नकाल का 61 प्रतिशत समय हुआ बेकार
वेंकैया नायडू ने कहा कि शीतकालीन सत्र के दौरान लगातार व्यवधानों के कारण प्रश्नकाल का 61 प्रतिशत समय बेकार हो गया। दरअसल, विपक्ष के 12 सांसदों के निलंबन को लेकर विपक्षी पार्टी के सांसदों ने सदन में काफी हंगामा किया। इस कारण बार-बार सदन की कार्यवाही को स्थगित करना पड़ा। उपराष्ट्रपति नायडू ने कहा कि यदि कोई सांसद या विधायक अपने कार्य का प्रभावी ढंग से निर्वहन नहीं करता है तो कार्यकारिणी पर सवाल उठाने का उसे कोई अधिकार भी नहीं है।
विस्तार
सुशासन दिवस के मौके पर उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने कहा कि विधायिका की गिरती शाख के लिए जबरन स्थगन और व्यवधान जिम्मेदार हैं। इससे विधायिका निष्क्रिय हो जाएगी और कार्यपालिका के सवालों को विधायिका में उठाने पर किसी में कोई डर ही नहीं रहेगा। उपराष्ट्रपति ने आगे कहा कि लोगों के प्रति कार्यपालिका की जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए अच्छी विधायिका की आवश्यकता है।
अपने वीडियो संदेश में नायडू ने कहा कि प्रश्नकाल, लघु अवधि चर्चा व विधेयकों पर बहस करके निर्वाचित सदस्य कल्याण व विकास योजनाओं पर सरकार से सवाल कर सकते हैं, लेकिन इसके लिए अच्छे विधायकों व सांसदों की जरूरत है। जरूरी है कि विधायक अपना सर्वश्रेष्ठ दें क्योंकि लोगों ने उन्हें बहुत भरोसे के साथ विधायिका में भेजा है और उस भरोसे के साथ न्याय करें।
प्रश्नकाल का 61 प्रतिशत समय हुआ बेकार
वेंकैया नायडू ने कहा कि शीतकालीन सत्र के दौरान लगातार व्यवधानों के कारण प्रश्नकाल का 61 प्रतिशत समय बेकार हो गया। दरअसल, विपक्ष के 12 सांसदों के निलंबन को लेकर विपक्षी पार्टी के सांसदों ने सदन में काफी हंगामा किया। इस कारण बार-बार सदन की कार्यवाही को स्थगित करना पड़ा। उपराष्ट्रपति नायडू ने कहा कि यदि कोई सांसद या विधायक अपने कार्य का प्रभावी ढंग से निर्वहन नहीं करता है तो कार्यकारिणी पर सवाल उठाने का उसे कोई अधिकार भी नहीं है।