पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव के लिए 11 अप्रैल को होने वाले मतदान में कई दिग्गजों की किस्मत दांव पर है। इनमें माकपा के प्रदेश सचिव और विधानसभा में विपक्ष के नेता सूर्यकांत मिश्र के अलावा प्रदेश कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष मानस भुंइया और भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष शामिल हैं। पूर्व माकपा विधायक और अब तृणमूल कांग्रेस के टिकट पर मैदान में उतरी छाया दोलुई के लिए भी यह चुनाव एक कड़ी चुनौती है।
इसी तरह पश्चिम मेदिनीपुर जिला परिषद की अध्यक्ष व माकपा नेता अंतरा भट्टाचार्य भी अबकी बार भाजपा के टिकट पर मैदान में हैं। सूर्यकांत मिश्र के लिए भी यह चुनाव किसी अग्निपरीक्षा से कम नहीं है। वह मेदिनीपुर जिले की नारायणगढ़ सीट से मैदान में हैं। बीते लोकसभा चुनावों में इस विधानसभा क्षेत्र में माकपा उम्मीदवार को तृणमूल कांग्रेस उम्मीदवार के मुकाबले 26,405 वोट कम मिले थे।
इस अंतर को पाटना मिश्र के लिए एक कड़ी चुनौती है। इस बार हालांकि कांग्रेस व वाम मोर्चा में गठजोड़ है, लेकिन इससे मिश्र को खास फायदा मिलता नहीं नजर आता। बीते लोकसभा चुनावों में इस क्षेत्र में कांग्रेस उम्मीदवार को महज चार हजार वोट ही मिले थे। इस समीकरण को ध्यान में रखते हुए ही मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने पश्चिम मेदिनीपुर जिले में कई रैलियां की हैं।
इसी जिले के तहत पड़ने वाले खड़गपुर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी रैली कर चुके हैं। मिश्र के मुकाबले पूर्व कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष मानस भुंइया बेहतर स्थिति में हैं। ऐसे में माकपा को वोटों के सहारे मानस की राह आसान नजर आती है। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष खड़गपुर सीट से मैदान में हैं। यहां उनका मुकाबला कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ज्ञान सिंह सोहनपाल से है, जो 1972 से ही यह सीट जीतते रहे हैं। इस सीट पर लड़ाई तिकोनी हो गई है।
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पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव के लिए 11 अप्रैल को होने वाले मतदान में कई दिग्गजों की किस्मत दांव पर है। इनमें माकपा के प्रदेश सचिव और विधानसभा में विपक्ष के नेता सूर्यकांत मिश्र के अलावा प्रदेश कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष मानस भुंइया और भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष शामिल हैं। पूर्व माकपा विधायक और अब तृणमूल कांग्रेस के टिकट पर मैदान में उतरी छाया दोलुई के लिए भी यह चुनाव एक कड़ी चुनौती है।
इसी तरह पश्चिम मेदिनीपुर जिला परिषद की अध्यक्ष व माकपा नेता अंतरा भट्टाचार्य भी अबकी बार भाजपा के टिकट पर मैदान में हैं। सूर्यकांत मिश्र के लिए भी यह चुनाव किसी अग्निपरीक्षा से कम नहीं है। वह मेदिनीपुर जिले की नारायणगढ़ सीट से मैदान में हैं। बीते लोकसभा चुनावों में इस विधानसभा क्षेत्र में माकपा उम्मीदवार को तृणमूल कांग्रेस उम्मीदवार के मुकाबले 26,405 वोट कम मिले थे।
इस अंतर को पाटना मिश्र के लिए एक कड़ी चुनौती है। इस बार हालांकि कांग्रेस व वाम मोर्चा में गठजोड़ है, लेकिन इससे मिश्र को खास फायदा मिलता नहीं नजर आता। बीते लोकसभा चुनावों में इस क्षेत्र में कांग्रेस उम्मीदवार को महज चार हजार वोट ही मिले थे। इस समीकरण को ध्यान में रखते हुए ही मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने पश्चिम मेदिनीपुर जिले में कई रैलियां की हैं।
इसी जिले के तहत पड़ने वाले खड़गपुर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी रैली कर चुके हैं। मिश्र के मुकाबले पूर्व कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष मानस भुंइया बेहतर स्थिति में हैं। ऐसे में माकपा को वोटों के सहारे मानस की राह आसान नजर आती है। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष खड़गपुर सीट से मैदान में हैं। यहां उनका मुकाबला कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ज्ञान सिंह सोहनपाल से है, जो 1972 से ही यह सीट जीतते रहे हैं। इस सीट पर लड़ाई तिकोनी हो गई है।