पेगासस सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल कर कथित फोन टैपिंग की जांच के लिए पश्चिम बंगाल सरकार ने एक आयोग गठित करने की अधिसूचना जारी की थी। राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से इस अधिसूचना को जारी करने के लिए आधार बनाई गई कार्यवाही और सभी दस्तावेज साझा करने के लिए कहा है।
इसके लिए सोमवार को उन्होंने संविधान के अनुच्छेद 167 का हवाला दिया। संविधान का अनुच्छेद 167 राज्यपाल को सूचना प्रस्तुत करने के बारे में मुख्यमंत्री के कर्तव्यों से संबंधित है।मुख्यमंत्री बनर्जी को लिखे एक पत्र में राज्यपाल धनखड़ ने दावा किया है कि इस मामले में मेरी राय नहीं मांगी गई थी, हालांकि अधिसूचना राज्यपाल द्वारा राय बनाने की ओर इशारा करती है।
उन्होंने एक ट्वीट में लिखा, संविधान के अनुच्छेद 167 के अनुसार मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और मुख्य सचिव हरिकृष्ण द्विवेदी को 26 जुलाई 2021 को जांच आयोग के गठन और उसके कामकाज के संबंध में एक सर्कुलर जमा करना है, लेकिन वे अभी तक इस संबंध में कोई दस्तावेज उपलब्ध कराने में असफल रहे हैं।
'मुख्यमंत्री की ओर से नहीं किया गया कोई भी संवाद'
इस ट्वीट के साथ उन्होंने मुख्यमंत्री को लिखे अपने पत्र की एक प्रति भी साझा की। उन्होंने कहा कि अधिसूचना जारी होने से पहले बनर्जी की ओर से मेरे साथ इस संबंध में कोई संवाद नहीं किया गया है।
बता दें कि इस कथित फोन टैपिंग मामले की जांच के लिए जिस आयोग के गठन को लेकर यह विवाद हो रहा है उसके सदस्यों में सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश मदन बी लोकुर और कलकत्ता हाईकोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश ज्योतिर्मय भट्टाचार्य थे। सुप्रीम कोर्ट की ओर से इस आयोग की कार्यवाही पर रोक लगाई जा चुकी है।
विस्तार
पेगासस सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल कर कथित फोन टैपिंग की जांच के लिए पश्चिम बंगाल सरकार ने एक आयोग गठित करने की अधिसूचना जारी की थी। राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से इस अधिसूचना को जारी करने के लिए आधार बनाई गई कार्यवाही और सभी दस्तावेज साझा करने के लिए कहा है।
इसके लिए सोमवार को उन्होंने संविधान के अनुच्छेद 167 का हवाला दिया। संविधान का अनुच्छेद 167 राज्यपाल को सूचना प्रस्तुत करने के बारे में मुख्यमंत्री के कर्तव्यों से संबंधित है।मुख्यमंत्री बनर्जी को लिखे एक पत्र में राज्यपाल धनखड़ ने दावा किया है कि इस मामले में मेरी राय नहीं मांगी गई थी, हालांकि अधिसूचना राज्यपाल द्वारा राय बनाने की ओर इशारा करती है।
उन्होंने एक ट्वीट में लिखा, संविधान के अनुच्छेद 167 के अनुसार मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और मुख्य सचिव हरिकृष्ण द्विवेदी को 26 जुलाई 2021 को जांच आयोग के गठन और उसके कामकाज के संबंध में एक सर्कुलर जमा करना है, लेकिन वे अभी तक इस संबंध में कोई दस्तावेज उपलब्ध कराने में असफल रहे हैं।
'मुख्यमंत्री की ओर से नहीं किया गया कोई भी संवाद'
इस ट्वीट के साथ उन्होंने मुख्यमंत्री को लिखे अपने पत्र की एक प्रति भी साझा की। उन्होंने कहा कि अधिसूचना जारी होने से पहले बनर्जी की ओर से मेरे साथ इस संबंध में कोई संवाद नहीं किया गया है।
बता दें कि इस कथित फोन टैपिंग मामले की जांच के लिए जिस आयोग के गठन को लेकर यह विवाद हो रहा है उसके सदस्यों में सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश मदन बी लोकुर और कलकत्ता हाईकोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश ज्योतिर्मय भट्टाचार्य थे। सुप्रीम कोर्ट की ओर से इस आयोग की कार्यवाही पर रोक लगाई जा चुकी है।